.हमने इंसान को बनते हुए पत्थर देखा |--डॉ. प्रेम जौनपुरी
डॉ. प्रेमचंद्र विश्वकर्मा ( प्रेम जौनपुरी ) की शक्सियत किसी तार्रुफ कि मोहताज नहीं | एक मशहूर गज़लकार के साथ साथ रीडर ,तिलकधारी विधि महाविद्यालय जौनपुर, डीन (अधिष्ठाता) विधि संकाय वी०बी०एस. पूर्वांचल विश्वविधालय भी हैं |
डॉ. प्रेमचंद्र विश्वकर्मा ( प्रेम जौनपुरी ) का जन्म १८ जुलाई १९४९ में ग्राम पोस्ट कोहडा सुलतानपुर जिला जौनपुर में हुआ | इनकी शिक्षा जौनपुर और वाराणसी से हुई | आपने ऍल ऍल बी में गोल्ड मेडल लिया, ऍल ऍल एम् में बी. एच यु में टॉप किया और इसके बाद पी एच डी की | प्रेम जी ने जिंदगी में बहुत कुछ हासिल किया और सबसे अधिक जो मिला वो जौनपुर निवासीयों का प्रेम मिला |
डॉ श्रीपाल सिंह क्षेम जी ने कहा था कि डॉ प्रेम जौनपुरी एक सफल गज़लकार हैं| उनके काव्य भाषा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उर्दू के शिखर को स्पर्श करने के साथ साथ हिंदी के भाव विचारों को भी अपनी रचनाओं में अवतरित करते हैं |
इसी मंतव्य को प्रेम जौनपुरी जी कि यह पंक्तियाँ भी परिलक्षित करती हैं.
“फर्क खुद मिट जाएगा गर हिंदी उर्दू साथ हो,
बस इसी से एकता का एक रास्ता मिल जाएगा |
डॉ प्रेम जी ने आधुनिक परिस्तिथियों को अपनी गज़लों में प्रतिबिम्बित करने का पूर्ण प्रयास किया है | हिंदू मुस्लिम एकता के अतिरिक्त मानवीय मूल्यों को भी अपनी गज़लों में पूर्ण स्थान दिया है |
आप भी पढ़िए डॉ. प्रेमचंद्र विश्वकर्मा ( प्रेम जौनपुरी ) की मशहूर किताब सदा ऐ बक़ा |
आप भी पढ़िए डॉ. प्रेमचंद्र विश्वकर्मा ( प्रेम जौनपुरी ) की मशहूर किताब सदा ऐ बक़ा |
Discover Jaunpur (English ), Jaunpur Photo Album
Admin and Founder
S.M.Masoom
Cont:9452060283
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
हमारा जौनपुर में आपके सुझाव का स्वागत है | सुझाव दे के अपने वतन जौनपुर को विश्वपटल पे उसका सही स्थान दिलाने में हमारी मदद करें |
संचालक
एस एम् मासूम