सुनिये जौनपूर के युवाओं के बेबाक विचार जौनपुर के बदलते समाज और सोशल मीडिया का इस्तेमाल पे |
जौनपुर ज्ञानियों का प्रतिभाओं का शहर हमेशा से रहा है और आने वाले समय में रहेगा भी लेकिन लोग यहाँ से ज्ञान हासिल करते हैं और रोज़गार के चलते यहाँ से पलायन कर जाते है और बहुत बार तो पैसा अधिक हो जाने पे जौनपुर में सुख सुविधाओं की कमी के चलते वहीँ दूर देश में अपनी कर्म भूमि में अपना घर बसा लेते हैं |
जौनपुर में रोज़गार का न मिल पाना एक ऐसा कारण है जिसके चलते वहाँ के बहुत से घर या तो बंद पड़े रहते हैं या कोई एक-दो लोग जो बूढ़े हो चुके हैं आपना जीवन व्यतीत कर रहे होते हैं | वरना कौन है जो अपने वतन से दूर जाना चाहता है और वो भी ऐसा वतन जिसकी शान और शौकत दुनिया में मशहूर रही हो |
एक शानदार इतिहास के होते हुए भी न रोज़गार के अवसर,न खेती करने वाले किसानो को सुविधाएं और ना आम नागरिकों के किये सुख सुविधाएं ऐसे में जौनपुर की प्रतिभाएं बहार जाने पे मजबूर न हों तो क्या करें |
बिजली है तो कब आती हैं और कब जाती है पता ही नहीं लगता अक्सर रातें अँधेरे में ही कटा करती हैं | इन्वर्टर वालों का धंधा ज़ोरों पे है लेकिन वो भी बेचारा कब तक चले ? बिजली यदि आ भी गए तो इतना पॉवर कम हुआ करता है की लोग अब स्टब्लाइज़र का इस्तेमाल करने लगे हैं | पानी है तो बिना टुल्लू पंप के आता ही नहीं और आता है तो कभी खारा कभी प्रदूषित | नौजवान सरकारी नौकरियों के फार्म भर भर के इंतज़ार करते सड़कों पे दोहरा खा के थूकते और बड़ी बड़ी बातें करते मायूस टहला करते हैं | करें भी तो क्या करें ? फिर कोई सहारा मिल गया तो सौदिया, दुबई और मुंबई चले जाते हैं जो रह गए वो ट्यूशन पढ़ा के या मेहनत वाले काम करते हैं | ऐसे में इन नौजवानों का मिज़ाज चिडचिडा हो जाता है और नतीजे में बोली असभ्य हो जाती है |इसलिए जब जब जौनपुर गया दुखी हो के आया |
ज़रा सा आगे चलिए तो शाही किला और उसमे बने हमाम की शान शब्दों में बयां करना संभव नहीं |बड़ी मस्जिद और अटाला मस्जिद की शान तो बस देखते ही बनती है | जौनपुर के आस पास राजा जौनपुर का महल,पंजे शरीफ हजरत अली (अ.स) का रौज़ा ,इमाम पुर और हमजापुर का शानदार रौज़ा देखने पे किसी धन दौलत और मुहब्बत से भरे व्यापार का गढ़ रहे जौनपुर की याद दिलाता है| जौनपुर चित्रसारी के खंडहर और जफराबाद में राजा जयचंद के महलों के खंडहर घुमने पे कोई भी इंसान यह सोंचने में मजूर हो जाता है की जौनपुर में ऐसा क्या था की जो आया बस यही का हो के रह गया | ऐसे जौनपुर को देख के किसे के मुह से नहीं निकलेगा वाह जौनपुर |
उधर पुराने जौनपुर में जाते ही आपको लखओरियों के बने घर और उनके खंडहर अपनी ही एक कहानी करते नज़र आयेंगे | शार्की समय की बनी हुयी बड़ी मस्जिद से होते हुए चार अंगुली मस्जिद और लाल दरवाज़ा मस्जिद अपनी ही एक वैभव भरी कहानियां करते नज़र आते हैं और चित्रसारी के खंडहर और बेगम गंज ,प्रेमराज पुर का इलाका लोधी परिवार द्वारा किस्ये गए ज़ुल्म का गवाह अपने समय के नायाब महलो के खंडहरों को संभाले हुए नज़र आता है |
लेखक एस एम् मासूम |
देखिये आज का जौनपुर का युवा जो अपने सुनहरे भविष्य की तलाश में कभी स्तानक की डिग्री लेता है तो कभी नेता बनने की कोशिश करता है तो कभी समाज सेवा और अंत में मायूस हो के या तो भटक जाता है या जौनपुर से पलायन कर जाता है लेकिन यह बात मैं गर्व से कहता हूँ कहीं भी रहे यह जौनपुर वाला अपने मन में जौनपुर के छूटने का दर्द हर समय मन में लिए रहता है और दिन गिनता है की कब जौनपुर जायगा और दुःख की बात यह है की जब जौनपुर आता है तो सुख सुविधाओं के अभाव में भारी मन से ना चाहते हुए भी फिर से दूर चला जाने को मजबूर हो जाता है |
हम सभी जौनपुर वासियों को चाहिए की आओ मिल के जौनपुर की तरक्की के लिए काम करें और इसे एक ऐसा शहर बनाएं की अब किसी जौनपुरी को अपना वतन ना छोड़ना पड़े |
एक बार अवश्य सुनें जौनपूर के युवाओं के बेबाक विचार |
नोट : युवाओं के विचारों से हमारा जौनपुर टीम सहमत हो यह आवश्यक नहीं |
मै जौनपुर भैसनि गान्व का रहने वाला हुन मुज्हे ऐतिहासिक स्थल के बारे मे जानकारिया चाहिये था /
जवाब देंहटाएंहमे गर्व होता है कि हम जोन्पुर के निवसि है आप सभि से मेरा अनुरोध है कि यदि आप जोन्पपुर के निवसि है तोाप जोउन्पुर को छोड कर मत जइये............
जवाब देंहटाएंन जायें तो रोज़गार यहाँ कौन देगा ?
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