जौनपुर का अतीत बहुत स्वर्णिम रहा है ,इस को कभी शिराज -ए -हिंद की खिताब से नवाजा गया था . कहा जाता है कि जौनपुर में इब्राहिमशाह शर्की के समय में इरान से 1000 के लगभग आलिम (विद्वान् ) आये थे जिन्होंने पूरे भारत में जौनपुर को शिक्षा का बहुत बडा केंद्र बना दिया था . इसी कारण जौनपुर को शिराज़े हिंद कहा गया .शिराज का तात्पर्य श्रेष्ठता से होता है
.दरअसल तत्कालीन दौर में जौनपुर शिक्षा का बहुत बडा केंद्र था .आज मैं इसके अतीत के पन्नों को पलटना नहीं चाहता. .अतीत ही नहीं वर्तमान में भी
देश का ऐसा कोई प्रदेश या शहर नहीं होंगा जहाँ यहाँ के निवासी न रह रहें हों .
उत्तर प्रदेश से प्रशासनिक सेवाओं में सबसे ज्यादा लोग इसी जनपद से हैं और तो और यहाँ के जन्मे लोंगों ने विज्ञान और अनुसन्धान के क्षेत्र में पूरी दुनिया में नाम कमाया है .यह सब मैं इस लिए नहीं कह रहा हूँ कि यह मेरा गृह जनपद है बल्कि इस लिए कि यह एक ऐतिहासिक तथ्य है . अपने आप में यह दुनिया का एक अनूठा शहर है ,जिसके बीचों -बीच दो भागो में बांटती सदानीरा गोमती बहती है .मैं इसकी भी चर्चा नहीं करना चाहता कि कैसे इसका नाम यमदग्निपुर से यवनपुर होते हुए कालान्तर में जौनपुर के रूप में परिवर्तित हो गया .गोमती तट पर अवस्थित यह शहर प्राचीन भारत में ब्यापार -विनिमय का महत्त्वपूर्ण केंद्र था .भारतीय पुरातत्व के अथक अन्वेषक सर अलेक्जेंडर कनिंघम को जौनपुर की बड़ी मस्जिद के प्रस्तर खंड पर इश्वरवर्मन का एक अभिलेख मिला था ,जिससे मौखरियों के इतिहास को प्रकाशित करनें में काफी मदत मिली थी. जौनपुर में मलिक सरवर से लेकर शर्की बंधुओं ने 75 वर्षों तक स्वंतंत्र राज किया .इब्राहिमशाह शर्की के समय में जौनपुर सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत उपलब्धि हासिल कर चुका था .उसी के समय में जौनपुर में कला -स्थापत्य में एक नयी शैली का जनम हुआ.जिसे जौनपुर अथवा शर्की शैली कहा गया .कला -स्थापत्य के इस शैली का निदर्शन आज भी अटाला मस्जिद में किया जा सकता है ।
मैं राग जौनपुरी,चमेली , अमरुद,इमरती और जलेबी की खुशबू,मूली aur मक्का की चर्चा नही करना चाहता जिसकी अनेक कहानियाँ पुरनियों की जबान से आज भी तैरती रहती हैं .मैं वर्तमान और भविष्य के जौनपुर के बारे में यथार्थ परक बात करना चाहता हूँ .एक ऐसा शहर-ऐसा जनपद जो कि पूरी दुनिया में पुनः सर्वश्रेष्ठता हासिल कर सके .निश्चित रूप से इस डगर पर अनेक चुनौतियाँ हैं और राह में असंख्य कांटे.इन सबसे हमको निपटना होगा,नहीं तो पूर्व का शिराज केवल इतिहास में ही रह जायेगा.आज पूरी दुनिया जहाँ बदलाव के दौर से गुजर रही हैं वहीं जौनपुर भी इससे अछूता नहीं है.सामाजिक मान्यताएं बदल रही हैं-रिश्ते नातों की नई परिभाषाएं बन रही हैं,सामाजिक सरोकार कमरों तक सिमट गये हैं ,सब कुछ अर्थ मय हो चला है.समय की डगर पर जौनपुर भी सक्रिय है-आज जौनपुर के लोग भी सामाजिक सरोकार के नये रूप फेस बुक ,ट्विटर और ब्लॉग के जरिये पूरी दुनिया के साथ-साथ अपनेँ पड़ोसियों का भी कुशल-क्षेम जान रहे हैं
.
समय बदला-जमाना बदला लेकिन विकास के मामले में पिछले दो दशकों से आशा के अनुरूप अपना जौनपुर नहीं बदला.यहाँ पर शिक्षा के उच्चतम संसाधन होने बावजूद भी क्यों हमारे जनपद के विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर पर पिछड़ रहे है?विद्यार्थी उच्च अंक तो पा रहे है लेकिन इस उच्च अंक के पीछे हम कौन सी विधि अपना रहे है ?बेजोड़ खेती -किसानी वाली माटी के बावजूद भी हमारा किसान परेशान क्यों है? ओद्योगिकी कारण के क्षेत्र में जौनपुर आज क्यों पिछड़ रहा है.यह सब विचारणीय प्रश्न है . यह सही है कि शहर की हर डगर पक्की है लेकिन तंग है.यातायात के साधन तो हैं लेकिन सुगमता नहीं है.दिन के समय शहर में चक्रमण ,अच्छे -अच्छों को पसीना ला देता है.आज अगर जौनपुर को समय के साथ चलना है तो उसे नये दौर में ढलना होगा .यहाँ के लोंगों को धर्मं-जाति और राजनीति से ऊपर उठ कर इस शहर की गरिमा को पुनर्स्थापित करने के लिए मूल भूत सुविधाओं के प्रति जबाब देही तय करनी पड़ेगी.दिन में शहर की सड़कों पर दीखते जन सैलाब को नियंत्रित करने के लिए हमें कई बाई पास-ओवर ब्रिज की आवश्यकता है.अब इसमें देर नहीं की जानी चाहिए.इस मुद्दे
पर क्या पक्ष-क्या प्रतिपक्ष -सभी जौनपुर वासियों को एक होना होगा ..यह हम सब के लिए चुनौती
है . ,उसकी आहट अभी से आ रही है...
बकौल इकबाल साहब - .......
न संभलोगे तो मिट जाओगे ऐ हिंदोस्ता वालों ,
तुम्हारी दास्ताँ भी न होगी इन दास्तानों में.
With Regards-
Dr. Manoj Mishra
Sr.Lecturer
Department of Mass-Communication
V.B.S.Purvanchal University,Jaunpur
(U.P.) India
Phone- +91-9415273104(Mobile)
*Website : http://manjulmanoj.blogspot. com/
.दरअसल तत्कालीन दौर में जौनपुर शिक्षा का बहुत बडा केंद्र था .आज मैं इसके अतीत के पन्नों को पलटना नहीं चाहता. .अतीत ही नहीं वर्तमान में भी
देश का ऐसा कोई प्रदेश या शहर नहीं होंगा जहाँ यहाँ के निवासी न रह रहें हों .
उत्तर प्रदेश से प्रशासनिक सेवाओं में सबसे ज्यादा लोग इसी जनपद से हैं और तो और यहाँ के जन्मे लोंगों ने विज्ञान और अनुसन्धान के क्षेत्र में पूरी दुनिया में नाम कमाया है .यह सब मैं इस लिए नहीं कह रहा हूँ कि यह मेरा गृह जनपद है बल्कि इस लिए कि यह एक ऐतिहासिक तथ्य है . अपने आप में यह दुनिया का एक अनूठा शहर है ,जिसके बीचों -बीच दो भागो में बांटती सदानीरा गोमती बहती है .मैं इसकी भी चर्चा नहीं करना चाहता कि कैसे इसका नाम यमदग्निपुर से यवनपुर होते हुए कालान्तर में जौनपुर के रूप में परिवर्तित हो गया .गोमती तट पर अवस्थित यह शहर प्राचीन भारत में ब्यापार -विनिमय का महत्त्वपूर्ण केंद्र था .भारतीय पुरातत्व के अथक अन्वेषक सर अलेक्जेंडर कनिंघम को जौनपुर की बड़ी मस्जिद के प्रस्तर खंड पर इश्वरवर्मन का एक अभिलेख मिला था ,जिससे मौखरियों के इतिहास को प्रकाशित करनें में काफी मदत मिली थी. जौनपुर में मलिक सरवर से लेकर शर्की बंधुओं ने 75 वर्षों तक स्वंतंत्र राज किया .इब्राहिमशाह शर्की के समय में जौनपुर सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत उपलब्धि हासिल कर चुका था .उसी के समय में जौनपुर में कला -स्थापत्य में एक नयी शैली का जनम हुआ.जिसे जौनपुर अथवा शर्की शैली कहा गया .कला -स्थापत्य के इस शैली का निदर्शन आज भी अटाला मस्जिद में किया जा सकता है ।
मैं राग जौनपुरी,चमेली , अमरुद,इमरती और जलेबी की खुशबू,मूली aur मक्का की चर्चा नही करना चाहता जिसकी अनेक कहानियाँ पुरनियों की जबान से आज भी तैरती रहती हैं .मैं वर्तमान और भविष्य के जौनपुर के बारे में यथार्थ परक बात करना चाहता हूँ .एक ऐसा शहर-ऐसा जनपद जो कि पूरी दुनिया में पुनः सर्वश्रेष्ठता हासिल कर सके .निश्चित रूप से इस डगर पर अनेक चुनौतियाँ हैं और राह में असंख्य कांटे.इन सबसे हमको निपटना होगा,नहीं तो पूर्व का शिराज केवल इतिहास में ही रह जायेगा.आज पूरी दुनिया जहाँ बदलाव के दौर से गुजर रही हैं वहीं जौनपुर भी इससे अछूता नहीं है.सामाजिक मान्यताएं बदल रही हैं-रिश्ते नातों की नई परिभाषाएं बन रही हैं,सामाजिक सरोकार कमरों तक सिमट गये हैं ,सब कुछ अर्थ मय हो चला है.समय की डगर पर जौनपुर भी सक्रिय है-आज जौनपुर के लोग भी सामाजिक सरोकार के नये रूप फेस बुक ,ट्विटर और ब्लॉग के जरिये पूरी दुनिया के साथ-साथ अपनेँ पड़ोसियों का भी कुशल-क्षेम जान रहे हैं
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समय बदला-जमाना बदला लेकिन विकास के मामले में पिछले दो दशकों से आशा के अनुरूप अपना जौनपुर नहीं बदला.यहाँ पर शिक्षा के उच्चतम संसाधन होने बावजूद भी क्यों हमारे जनपद के विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर पर पिछड़ रहे है?विद्यार्थी उच्च अंक तो पा रहे है लेकिन इस उच्च अंक के पीछे हम कौन सी विधि अपना रहे है ?बेजोड़ खेती -किसानी वाली माटी के बावजूद भी हमारा किसान परेशान क्यों है? ओद्योगिकी कारण के क्षेत्र में जौनपुर आज क्यों पिछड़ रहा है.यह सब विचारणीय प्रश्न है . यह सही है कि शहर की हर डगर पक्की है लेकिन तंग है.यातायात के साधन तो हैं लेकिन सुगमता नहीं है.दिन के समय शहर में चक्रमण ,अच्छे -अच्छों को पसीना ला देता है.आज अगर जौनपुर को समय के साथ चलना है तो उसे नये दौर में ढलना होगा .यहाँ के लोंगों को धर्मं-जाति और राजनीति से ऊपर उठ कर इस शहर की गरिमा को पुनर्स्थापित करने के लिए मूल भूत सुविधाओं के प्रति जबाब देही तय करनी पड़ेगी.दिन में शहर की सड़कों पर दीखते जन सैलाब को नियंत्रित करने के लिए हमें कई बाई पास-ओवर ब्रिज की आवश्यकता है.अब इसमें देर नहीं की जानी चाहिए.इस मुद्दे
पर क्या पक्ष-क्या प्रतिपक्ष -सभी जौनपुर वासियों को एक होना होगा ..यह हम सब के लिए चुनौती
है . ,उसकी आहट अभी से आ रही है...
बकौल इकबाल साहब - .......
न संभलोगे तो मिट जाओगे ऐ हिंदोस्ता वालों ,
तुम्हारी दास्ताँ भी न होगी इन दास्तानों में.
With Regards-
Dr. Manoj Mishra
Sr.Lecturer
Department of Mass-Communication
V.B.S.Purvanchal University,Jaunpur
(U.P.) India
Phone- +91-9415273104(Mobile)
*Website : http://manjulmanoj.blogspot.