जौनपुर और आस पास के इलाकों में आपको पुराने ऐतिहसिक मंदिर बहुत से मिलेंगे जिनमे से एक है जौनपुर सुजानगंज के पश्चिमी छोर पर स्थित ऐतिहासिक शक्ति पीठ गौरी शंकर धाम जो आज शिव भक्तों के लिए आस्था और विश्वास का संगम बन चुका है।
माना जाता है की यह मंदिर चौदहवीं शताब्दी के आस पास आस्तित्व में आया और इसकी ख़ास बात यह है की यहाँ शिवलिंग स्वयंभू और कालातीत होने के साथ अर्द्ध नारीश्वर के रूप में है जो अपने आप में अनोखा है|
इस मदिर के बारे में आस पास के इलाके के लोग कुछ इस तरह से बताते हैं की 14वीं सदी में यहां के शासक भर थे। जिनकी नील की गोदाम यहां पर थी। पास के गांव से एक गाय आई और टीले पर स्थित झुरमुट (झाड़ी) में घुस गई। समय होने पर जब गाय वापस नहीं लौटी तो गाय का स्वामी खोज करते-करते जब उस टीले तक पहुंचा और झाड़ी में निगाह दौड़ाने पर उसने जो देखा उससे वह स्तब्ध रह गया। उसने देखा कि गाय के स्तन से दूध निकल रहा है जो नीचे एक काले पत्थर पर गिर रहा है और वह शांत खड़ी है।
कुछ देर बाद गाय बाहर आई तो उसे लेकर वह घर गया और आंखों देखी घटना का लोगों से जिक्र किया तो लोग आश्चर्यचकित रह गए। कुछ लोगों ने झाड़ी को साफ कर पत्थर की खोदाई कराई किंतु उसका दूसरा हिस्सा नहीं मिला। इसके बाद से इस स्थान की पूजा होने लगी।
पिछले ढाई सौ वर्षों से यहां पर कांवरियों का सैलाब उमड़ने लगा है। ऐसा लोगों में विश्वास है कि जो भी बाबा के दरबार में श्रद्धा और विश्वास के साथ आता है बाबा भोलेनाथ उसकी मनोकामना अवश्य पूरा करते हैं।
प्रत्येक सोमवार को और सावन के महीने में यहाँ खास करके बहुत भीड़ हुआ करती है और मेला लगता है |
माना जाता है की यह मंदिर चौदहवीं शताब्दी के आस पास आस्तित्व में आया और इसकी ख़ास बात यह है की यहाँ शिवलिंग स्वयंभू और कालातीत होने के साथ अर्द्ध नारीश्वर के रूप में है जो अपने आप में अनोखा है|
इस मदिर के बारे में आस पास के इलाके के लोग कुछ इस तरह से बताते हैं की 14वीं सदी में यहां के शासक भर थे। जिनकी नील की गोदाम यहां पर थी। पास के गांव से एक गाय आई और टीले पर स्थित झुरमुट (झाड़ी) में घुस गई। समय होने पर जब गाय वापस नहीं लौटी तो गाय का स्वामी खोज करते-करते जब उस टीले तक पहुंचा और झाड़ी में निगाह दौड़ाने पर उसने जो देखा उससे वह स्तब्ध रह गया। उसने देखा कि गाय के स्तन से दूध निकल रहा है जो नीचे एक काले पत्थर पर गिर रहा है और वह शांत खड़ी है।
कुछ देर बाद गाय बाहर आई तो उसे लेकर वह घर गया और आंखों देखी घटना का लोगों से जिक्र किया तो लोग आश्चर्यचकित रह गए। कुछ लोगों ने झाड़ी को साफ कर पत्थर की खोदाई कराई किंतु उसका दूसरा हिस्सा नहीं मिला। इसके बाद से इस स्थान की पूजा होने लगी।
पिछले ढाई सौ वर्षों से यहां पर कांवरियों का सैलाब उमड़ने लगा है। ऐसा लोगों में विश्वास है कि जो भी बाबा के दरबार में श्रद्धा और विश्वास के साथ आता है बाबा भोलेनाथ उसकी मनोकामना अवश्य पूरा करते हैं।
प्रत्येक सोमवार को और सावन के महीने में यहाँ खास करके बहुत भीड़ हुआ करती है और मेला लगता है |
Discover Jaunpur (English ), Jaunpur Photo Album
Admin and Founder
S.M.Masoom
Cont:9452060283
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
हमारा जौनपुर में आपके सुझाव का स्वागत है | सुझाव दे के अपने वतन जौनपुर को विश्वपटल पे उसका सही स्थान दिलाने में हमारी मदद करें |
संचालक
एस एम् मासूम