जौनपुर में सबसे अधिक शार्की समय के बनाये हुए मकबरे बहुत अधिक देखने को मिलते हैं जिनमे से अधिकतर के बारे में केवल इतिहासकार ही बता सकते हैं |
शार्की समय में १४०० से अधिक सूफी और ज्ञानी जौनपुर में आये क्यूँ की शार्की ज्ञानियों की इज्ज़त करते थे | इनमे से अधकतर पूरा जीवन जौनपुर में ही रहे और यहीं बने इनके मकबरे और उनके चाहने वाले आज तक उनकी क़ब्रों पे चादर चढाते , उर्स लगाते दिखते हैं |
उनका नाम औ निशाँ आज तलाशने में मुश्किल केवल इस कारण से होती है कि अब्राहिम लोधी ने उन्हें नष्ट कर दिया था और बाद में अब उनके केवल खंडहर या अधूरे और टूटे मकबरे ही बचे हैं |
इन्ही में से बहुत मशहूर है सात बादशाहों की कब्रें जो बड़ी मस्जिद से सटे हुए कब्रिस्तान में मिलती हैं |
यह इलाका अटाला मस्जिद से तकरीबन ९०० यार्ड की दूरी पे आज भी मोजूद है | यहाँ पे शार्की सुल्तान इब्राहीम शाह ,उनकी पत्नी, सुलतान फ़िरोज़ शाह जिसने जौनपुर बसाया के बेटे शाहजादा नासिर जहां मालिक , हुसैन शाह और उनके परिवार इत्यादि की कब्रें मौजूद हैं | कभी इन क़ब्रों के ऊपर रौज़े बने थे जिनकी सजावट देखते ही बनती थी लेकिन इब्राहीम लोधी के तोड़ने के बाद आज यहाँ ७२ कब्रें ही दिखती हैं | जौनपुर जंक्शन स्टेशन से यह जगह केवल एक किलोमीटर की दुरी पे है | इस स्थान पे आप जौनपुर जंक्शन से सब्जी मंदी, कोतवाली , नवाब युसूफ रोड होते हुए बड़ी मसजिद और इन सात मकबरों तक पहुँच सकते हैं |


उनका नाम औ निशाँ आज तलाशने में मुश्किल केवल इस कारण से होती है कि अब्राहिम लोधी ने उन्हें नष्ट कर दिया था और बाद में अब उनके केवल खंडहर या अधूरे और टूटे मकबरे ही बचे हैं |
इन्ही में से बहुत मशहूर है सात बादशाहों की कब्रें जो बड़ी मस्जिद से सटे हुए कब्रिस्तान में मिलती हैं |


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