कहते हैं कि गुज़रते व़क्त के साथ-साथ न जाने कितनी ही चीजें है जो कि बदलती रहती है.... वाकई कभी-कभी तो हैरत होती है.... वही शहर है वही आबोहवा...
एडिटर तरुण मित्र अख़बार जौनपुर निवासी योगेन्द्र विश्वकर्मा से एक बात चीत |
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