जैसा की मैं हमेशा कहता रहा हूँ की जौनपुर अपनी धरोहरों को सँभालने में पूरा नाकाम रहा है और यह बात जौनपुर की पहचान रहे व्यंजनों के मामले में भी सत्य साबित होती है | आज दुनिया भर में लखनऊ का क़लिया और कोरमा , रामपुर का तार गोश्त वहाँ की पहचान माना जाता है लेकिन जौनपुर जो सबसे पुरानी सभ्यता रहा है यहाँ के मशहूर व्यंजनों को जौनपुर के नाम से कोई नहीं जानता |
एक समय हुआ करता था जब जौनपुर का "लाल मुर्ग ' और बैगन का बना "बदिंजन बुरानी " का एक बड़ा नाम हुआ करता था जो जौनपुर की पहचान था लेकिन आज लोगों को यह नाम कम ही सुनाई देता है | जौनपुर के खाने की अपनी ही एक पहचान हुआ करती थी जिसमे प्याज ,लहसुन की जगह दही ,छास और खुशबूदार मसाले और ज़ाफ़रान का इस्तेमाल अधिक हुआ करता था |
आज आवश्यकता है की वो बावर्ची जो इस सभी व्यंजनों को बनाना जानते हैं उन्हें सामने लाया जाय और जौनपुर के मशहूर व्यंजनों को लोगों तक पहुंचाया जाय | आज भी भुलाय जा रहे व्यंजनों में कुछ नाम हैं जौनपुर की मशहूर "ठन्डे मसाले की मछली " जो गर्मियों के लिए ख़ास तौर पे बनायी जाती थी , जौनपुरी लाल मुर्ग जो आज भी बनाया जाता है , मुर्ग नूर बानू ( मेवा और अण्डों से भरा मुर्ग मुसल्लम ), मुर्ग पारस कबाब , गोश्त इब्राहिम शाह , शार्की मशरूम और शीरमाल , तुगलकी ज़ाफ़रान चावल , स्टू , शीरमाल और ताफतान इत्यादि एक बड़ी लम्बी भुला दी गयी लिस्ट है जिनका स्वाद और खुशबू आज भी पूरी दुनिया में धूम मचा देने के लिए काफी है बस आवश्यकता है विलुप्त होते जा रहे इन स्वादिष्ट व्यंजनों को एक बार फिर से इनके जानकारों द्वारा जीवित करने की |
लिट्टी चोखा , शीरमाल, मसरूम शीरमाल ,जौनपुरी बैंगन बंदीजन शाकाहारी व्यंजनों का स्वाद अपनी खोयी हुयी जौनपुरी पहचान वापस लाने के लिए काफी है |
Author : S.M.Masoom
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रेसीपी भी साथ में बताते चलते तो मजा आ जाता।
जवाब देंहटाएंavashya jald
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