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एस एम् मासूम से उनके जौनपुर आगमन पे एक मुलाक़ात उनके घर ज़ुल्क़द्र मंजिल में | |
जौनपुर में वेब पत्रकारिता के भीष्म पितामह कहलाने वाले एस एम मासूम जी ने जौनपुर के पत्रकार जगत को वेब पत्रकारिता का तोहफा दिया जागरूक किया और केवल इतना ही नहीं बिना किसी लोभ के जौनपुर के इतिहास और यहाँ की प्रतिभाओं को विश्व से रूबरू करवाया |
सबसे बड़ी विशेषता एस एम् मासूम में यह है की जो भी इनके पास सहयोग के लिए पहुँच गया ये उसे सहयोग देते हैं और हमेशा यही कहते हैं ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर | वतन की और यहाँ के लोगों के लिए सच्चे प्रेम को अगर देखना हो तो आप इसे एम् एम् मासूम जी में देख सकते हैं | हमारी शुभकामनाएं इनके साथ हैं |
मासूम साहब का पूरा खानदान ऐसा ही है. इंसानियत से भरा. धन्यवाद् पवन जी
जवाब देंहटाएंMassom Sahab Ko bahut bahut badhai........unki is nekdili ke liye hum bhi kayal hai unke..........
जवाब देंहटाएंमासूम जी का काम हमेशा क़ाबिले-ज़िक्र और क़ाबिले-तारीफ होता है.
जवाब देंहटाएंजल अमृत है .
जवाब देंहटाएंज्ञान को भी अमृत कहते हैं .
जल से तन निर्मल होता है , शांत होता है .
ज्ञान से मन निर्मल होता है, शांत होता है .
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/04/blog-post_20.html
जल अमृत है .
जवाब देंहटाएंज्ञान को भी अमृत कहते हैं .
जल से तन निर्मल होता है , शांत होता है .
ज्ञान से मन निर्मल होता है, शांत होता है .
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/04/blog-post_20.html
मासूम जी मासूम होने के साथ एक नेक इंसान भी हैं!
जवाब देंहटाएंमासूम जी
जवाब देंहटाएंक़ाबिले-तारीफ
masoom ji ko bahut badhai.
जवाब देंहटाएंहर नेक काम बंदगी है. मासूम जी के लिए शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसराहनीय कार्य।
जवाब देंहटाएं===============
"डंडा" संत स्वभाव की, यही मुख्य पहचान।
औरों की हरके व्यथा, करते जन-कल्याण॥
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सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
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जनाब मासूम साहेब को कैस जौनपुरी का सलाम...!
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