728x90 AdSpace

This Blog is protected by DMCA.com

DMCA.com for Blogger blogs Copyright: All rights reserved. No part of the hamarajaunpur.com may be reproduced or copied in any form or by any means [graphic, electronic or mechanical, including photocopying, recording, taping or information retrieval systems] or reproduced on any disc, tape, perforated media or other information storage device, etc., without the explicit written permission of the editor. Breach of the condition is liable for legal action. hamarajaunpur.com is a part of "Hamara Jaunpur Social welfare Foundation (Regd) Admin S.M.Masoom
  • Latest

    रविवार, 25 जून 2017

    हमारा जौनपुर के सभी पाठको को ईद की बहुत बहुत मुबारकबाद |



     https://www.facebook.com/smmasoomjaunpur/

    आप सभी पाठको को ईद मुबारक |--- एस एम् मासूम 

    सभी लोगों को ईद की मुबारकबाद के साथ मैं सबसे पहले मशहूर शायर कामिल जौनपुरी के इन शब्दों को आप सभी तक पहुंचाना चाहूँगा |

    मैखान-ए-इंसानियत की सरखुशी, ईद इंसानी मोहब्बत का छलकता जाम है।
    आदमी को आदमी से प्यार करना चाहिए, ईद क्या है एकता का एक हसीं पैगाम है।

                                                                 ...........मशहूर शायर कामिल जौनपुरी


    माहे रमजान में पूरे महीने हर मुसलमान रोज़े रखता है और इन रोजो में गुनाहों से खुद को दूर रखता है | पूरे महीने अल्लाह की इबादत के बाद जब ईद का चाँद नज़र आता है तो सारे मुसलमानों के चेहरे पे एक ख़ुशी नज़र आने लगती है | क्यूँ की यह ईद का चाँद बता रहा होता है की कल ईद की नमाज़ के बाद अल्लाह उनकी नेकियों को कुबूल करेगा और गुनाहों को धोने का एलान फरिश्तों से करवाएगा | चाँद देखते ही अल्लाह का हुक्म है ठहरो ख़ुशी की तैयारी करने से पहले गरीबों के बारे में सोंचो और सवा तीन किलो अन्न के बराबर रक़म परिवार के हर इंसान के नाम से निकालो और फ़ौरन गरीबों को दे दो जिस से उनके घरों में भी ईद वैसे ही मनाई जाए जैसे आपके घरों में मनाई जाएगी | यह रक़म निकाले बिना ईद की नमाज़ अल्लाह कुबूल नहीं करता | इस रक़म को फितरा कहते हैं जिसपे सबसे अहले आपके अपने गरीब रिश्तेदार , फिर पडोसी, फिर समाज का गरीब और फिर दूर के रोज़ेदार का हक़ होता है|



    बच्चों की ईद इसलिए सबसे निराली होती है क्योंकि उन्हें नए-नए कपड़े पहनने और बड़ों से ईदी लेने की जल्दी होती है. बच्चे, चांद देख कर बड़ों को सलाम करते ही यह पूछने में लग जाते हैं कि रात कब कटेगी और मेहमान कब आना शुरू करेंगे. महिलाओं की ईद उनकी ज़िम्मेदारियां बढ़ा देती है. एक ओर सिवइयां और रंग-बिरंगे खाने तैयार करना तो दूसरी ओर उत्साह भरे बच्चों को नियंत्रित करना. इस प्रकार ईद विभिन्न विषयों और विभिन्न रंगों के साथ आती और लोगों को नए जीवन के लिए प्रेरित करती है| ईद यही पैगाम लेकर आता है कि हम इसे मिलजुल कर मनाएं और अपने दिलों से किसी भी इंसान के लिए हसद और नफरतों को निकाल फेंके और सच्चे दिल से हर अमीर गरीब ,हिन्दू मुसलमान , ईसाई से गले मिलें और समाज को खुशियों से भर दें |


    शब्दकोष में ईद का अर्थ है लौटना और फ़ित्र का अर्थ है प्रवृत्ति |इस प्रकार ईदे फ़ित्र के विभिन्न अर्थों में से एक अर्थ, मानव प्रवृत्ति की ओर लौटना है| बहुत से जगहों पे इसे अल्लाह की और लौटना भी कहा गया है जिसका अर्थ है इंसानियत की तरफ अपने दिलों से नफरत, इर्ष्य ,द्वेष इत्यादि बुराईयों को निकालना |वास्वतविक्ता यह है कि मनुष्य अपनी अज्ञानता और लापरवाही के कारण धीरे-धीरे वास्तविक्ता और सच्चाई से दूर होता जाता है| वह स्वयं को भूलने लगता है और अपनी प्रवृत्ति को खो देता है. मनुष्य की यह उपेक्षा और असावधानी ईश्वर से उसके संबन्ध कोसमाप्त कर देती है| रमज़ान जैसे अवसर मनुष्य को जागृत करते और उसके मन तथा आत्मा पर जमी पापों की धूल को झाड़ देते हैं|इस स्थिति में मनुष्य अपनी प्रवृत्ति की ओर लौट सकता है और अपने मन को इस प्रकार पवित्र बना सकता है कि वह पुनः सत्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करने लगे|

     https://www.facebook.com/smmasoomjaunpur/
    हज़रत अली अलैहिस्सलाम कहते हैं कि हे लोगो, यह दिन आपके लिए ऐसा  दिन है कि जब भलाई करने वाले अल्लाह से अपना इनाम पाते  और घाटा उठाने वाले मायूस  होते हैं। इस तरह  यह दिन रोज़ महशर के दिन के समान होता है। इसलिए  अपने घरों से ईदगाह की ओर जाते समय तसव्वुर  कीजिए मानों आप क़ब्रों से निकल कर अल्लाह  की ओर जा रहे हैं। घर से नेकलने के  पहले  गुसल करे फिर नाश्ता कर के सर पे सफ़ेद रुमाल नंगे पैर ईद कि नमाज़ मैं जाए और दिल में यह ख्याल रहे की हमें जैसे अपनी क़ब्रों से उठाया गया है और रोज़ ऐ महशर है और हम अल्लाह के सामने अपने अपने अमाल पेश करने जा रहे हैं |

    नमाज़ में अपने स्थान पर खड़े होकर अल्लाह के सामने खड़े हो के अपने अमाल  को पेश कर रहे हैं ऐसा ख्याल  कीजिए। 

    ईद की नमाज़ होने के बाद एक फ़रिश्ता पुकार-पुकार कर कहता हैः शुभ सूचना है तुम्हारे लिए हे ईश्वर के दासों कि तुम्हारे पापों को क्षमा कर दिया गया है अतः बस अपने भविष्य के बारे में विचार करो कि बाक़ी दिन कैसे व्यतीत करोगे? इस शुभ सुन्चना को महसूस करने के बाद रोज़ेदार खुश हो जाता है और एक दुसरे को गले मिल के मुबारकबाद देता है | घरों की तरफ लौट के खुशियाँ मनाता है और अल्लाह से वादा करता है की अब पाप से बचूंगा और समाज में एकता और शांति के लिए ही काम करूँगा | 

    घर लौटते समय, जन्नत की ओर लौटने की कल्पना कीजिए। 

    इसीलिये यह बेहतर है कि नमाज़ ए ईद खुले मैदान मैं अदा कि जाए और सर पे सफ़ेद रुमाल नंगे पैर ईद कि नमाज़ मैं जाए. नमाज़ से पहले गुसल करे और सजदा नमाज़ के दौरान मिट्टी पे करे|




    आप सभी पाठको को ईद मुबारक |--- एस एम् मासूम 





     Admin and Owner
    S.M.Masoom
    Cont:9452060283
    • Blogger Comments
    • Facebook Comments

    1 comments:

    1. But if the sport doesn't want you to go on, it's going to pick the next number should you say low and a lower number should you say high. They ARE typically programmed to streak intentionally outcome of|as a end result of} it is the only means they can provide out massive jackpots. They put aside a proportion of their take, and when the "rave bank" is full, they start cheating in your favor to pay it again fast. Every spin is taken into account a brand-new spin, with an consequence of any attainable image combination. Over-under bets, also known as whole bets, are a wager that the 토토사이트 factors whole for a sport might be bigger or smaller than a sportsbook predicts.

      जवाब देंहटाएं

    हमारा जौनपुर में आपके सुझाव का स्वागत है | सुझाव दे के अपने वतन जौनपुर को विश्वपटल पे उसका सही स्थान दिलाने में हमारी मदद करें |
    संचालक
    एस एम् मासूम

    Item Reviewed: हमारा जौनपुर के सभी पाठको को ईद की बहुत बहुत मुबारकबाद | Rating: 5 Reviewed By: S.M.Masoom
    Scroll to Top