सिकंदर लोधी जब जौनपुर को तबाह कर के और हुसैन शाह शार्की को पराजित करके बंगाल चला गया तो उसने अपने लड़के जलालखा को को शार्की राज्य का प्रशासक बना दिया । लेकिन उस समय के हालात को देखते हुयी जलाल खा को जौनपुर में रहना उचित नहीं लगा और वो जौनपुर से १० किलोमीटर दूर पूर्व की ओर रहना पसंद किया और वहाँ पे एक महल बनाया और उस इलाक़े को अपने नाम पे जलालपुर नाम दिया और उसे रमणीक बनाने का प्र त्न भी किया । सई नदी के किनारे उसने नौ लाख का एक पथ्थर का पुल का निर्माण करवाया । सिकंदर लोधी के बाद उसका बड़ा बेटा इब्राहिम लोधी गद्दी पे बैठा और उसने अपने भाई जलाल खा को जौनपुर से बुलवा लिया लेकिन जलाल खा ने किसी किसी भय के कारण उस आज्ञा का पालन नहीं किया और कालपी भाग गया ।
इब्राहिम लोधी ने फिर दरया खा लोहानी को जौनपुर का प्रशासक बना के के खुद कालपी जलाल खा के पीछे चला गया । जौनपुर के शाही पुल से ये जलाल पुर का पल लगभग १७५ साल पुराना है ।
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