महाभारत काल में वर्णित महर्षि यमदग्नि की तपोस्थली जमैथा ग्राम जहां परशुराम ने धर्नुविद्या का प्रशिक्षण लिया था। गोमती नदी तट परस्थित वह स्थल आज भी क्षेत्रवासियों के आस्था का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तो यह है कि उक्त स्थल के समुचित विकास को कौन कहे वहां तक आने-जाने की सुगम व्यवस्था आज तक नहीं की जा सकी है|
जौनपुर शहर में मानिक चौक-बलुआघाट बाईपास रोड पर बावनवीर हनुमान मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थापित विशाल प्रतिमा लोगों का ध्यान खींचती है.अब आस-पास के लोग इस विशाल हनुमान प्रतिमा का जिक्र अपने घर की लोकेशन बताने में करने लगे हैं.प्रतिमा की ऊँचाई लगभग 28 फुट है.|
'बड़े हनुमान मंदिर'के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर शहर के बलुआ घाट क्षेत्र में है.इस प्राचीन मंदिर का नवनिर्माण उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं0 कमलापति त्रिपाठी के संरक्षण एवं आर्थिक सहयोग से हुआ था.नवनिर्माण का शिलान्यास 8 अप्रैल 1968 को उन्हीं के हाथों से हुआ था|
जौनपुर शहर से करीब 70 किमी0 दूर कैथी (वाराणसी)में गोमती और गंगा के संगम के पास पौराणिक महत्व का मार्कण्डेय महादेव मंदिर है| 'बाल्यावस्था में अल्पायु मार्कण्डेय ऋषि को यमराज के पाश से छुड़ा कर भगवान शिव द्वारा की गयी जीवन रक्षा' का कथानक इसी स्थल (मंदिर) से सम्बद्ध है|
त्रिलोचन महादेव मंदिर वाराणसी राजमार्ग पर जौनपुर से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित है| यह भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिर है| यह बाबतपुर से 16 किमी0 और वाराणसी से 36 किमी0 पर स्थित है| मंदिर के बगल में एक बड़ा तालाब भी स्नान-ध्यान के लिए है| इस धार्मिक स्थल की विशेष रूप से वाराणसी और जौनपुर में काफी मान्यता है। प्रत्येक सोमवार,शिवरात्रि और श्रावण मास में यहाँ काफी भीड़ हो
प्राचीन जागेश्वरनाथ मंदिर जौनपुर शहर के आलमगंज में स्थित है|भगवान शिव का यह मंदिर करीब 100 मीटर दूर स्थित मध्य काल में निर्मित जामा मस्ज़िद(बड़ी मस्ज़िद) का समकालीन माना जाता है| स्थानीय लोगों में इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है| कुछ वर्षों पूर्व इसका जीर्णोद्धार हुआ है|
जौनपुर शहर के पुरानी बाजार मुहल्ले में स्थित प्राचीन'पाँचों शिवाला मंदिर' आस्थावानों के बीच काफी प्रसिद्ध है। यह एक ही परिसर में आमने-सामने स्थित पाँच शिवालयों(शिव मंदिरों) का समूह है।
मैहर(मध्य प्रदेश)में स्थित देवी शारदा मंदिर और उनके विग्रह(प्रतिमा)की अनुकृति जौनपुर शहर के शास्त्रीनगर मुहल्ले में स्थापित है| मैहर देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर का निर्माण जाने-माने व्यवसायी राधेश्याम गुप्त ने कराया था| मंदिर की व्यवस्था एक ट्र्स्ट करता है| जिसके प्रधान न्यासी व्यापारी नेता एवं समाजसेवी सूर्यप्रकाश जायसवाल हैं| यह मंदिर पूर्वी उत्तर प्रदेश के श्रद्धालुओं में काफी लोकप्रिय है|
पूर्वी उत्तर प्रदेश में जौनपुर के शीतला चौकियां धाम की काफी मान्यता है| श्रद्धालु विभिन्न संस्कारों के लिए यहां आते है| साथ ही चौकियां माई को पूज कर देवी शक्तिपीठों की यात्रा पर आगे निकलने की परम्परा भी है|देवी शीतला को संक्रामक रोगों से बचाव के लिए भी पूजा जाता है। नवरात्र में शीतला चौकियां धाम दिन-रात श्रद्धालुओं से भरा रहता है। श्रद्धालु दर्शन-पूजन के साथ मुण्डन,यज्ञोपवीत,विवाह आदि संस्कारों के लिए भी यहां आते हैं।
मार्कण्डेय पुराण में उल्लिखित 'शीतले तु जगन्माता, शीतले तु जगत्पिता, शीतले तु जगद्धात्री-शीतलाय नमोनम:' से शीतला देवी की ऐतिहासिकता का पता चलता है। शीतला माता का मंदिर स्थानीय व दूरदराज क्षेत्रों से प्रतिवर्ष आने वाले हजारों श्रद्घालु पर्यटकों के अटूट आस्था व विश्वास काकेन्द्र बिन्दु बना हुआ है लेकिन इसके भी सौन्दर्यीकरण की और लोगों का ध्यान नहीं जाता और यदि कभी जाता भी है तो सरकारी फाइलों में दब के रह जाता है |
शीतला चौकियां धाम में स्थित यह तालाब जलाशयों के निर्माण की हमारी समृद्ध परम्परा का प्रतीक है|इस तालाब में हमेशा पानी रहता है|
पंचमुखी हनुमान मंदिर गुलर घाट जौनपुर
जौनपुर शहर स्थित गूलर घाट पर प्राचीन रामजानकी मंदिर में पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा स्थापित है.जनपद में अपने तरह की यह अकेली प्रतिमा बतायी जाती है.आस्थावान लोगों में इसकी काफी मान्यता है.
रेणुका माता मंदिर जमैथा जौनपुर
जौनपुर शहर से करीब 65 किमी दूर सीमावर्ती कस्बा सूरापुर (सुल्तानपुर जनपद) के पास हनुमान जी का भव्य मंदिर विजेथुआ महावीरन के नाम से प्रसिद्ध है.यह पौराणिक स्थल के रूप में मान्य है.कहा जाता है कि संजीवनी बूटी लेने जा रहे हनुमान जी को रोकने के लिए रावण द्वारा भेजे गये कालनेमि का हनुमान जी ने यहीं वध किया था.मंदिर के बगल में मकरी कुण्ड है जहां मकरी रूपी शापित अप्सरा को हनुमान जी के हाथों निर्वाण प्राप्त हुआ था.इसे सिद्ध स्थल की मान्यता है और यहां मंगलवार,शनिवार,बुढवा मंगल आदि अवसरों पर भारी भीड़ होती है |
मंदिर के बगल में मकरी कुण्ड है जहां मकरी रूपी शापित अप्सरा को हनुमान जी के हाथों निर्वाण प्राप्त हुआ था.इसे सिद्ध स्थल की मान्यता है और यहां मंगलवार,शनिवार,बुढवा मंगल आदि अवसरों पर भारी भीड़ होती है |
बावन बियर हनुमान मंदिर बलुआ घाट जौनपुर
जौनपुर शहर में मानिक चौक-बलुआघाट बाईपास रोड पर बावनवीर हनुमान मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थापित विशाल प्रतिमा लोगों का ध्यान खींचती है.अब आस-पास के लोग इस विशाल हनुमान प्रतिमा का जिक्र अपने घर की लोकेशन बताने में करने लगे हैं.प्रतिमा की ऊँचाई लगभग 28 फुट है.|
बड़े हनुमान मंदिर
'बड़े हनुमान मंदिर'के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर शहर के बलुआ घाट क्षेत्र में है.इस प्राचीन मंदिर का नवनिर्माण उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पं0 कमलापति त्रिपाठी के संरक्षण एवं आर्थिक सहयोग से हुआ था.नवनिर्माण का शिलान्यास 8 अप्रैल 1968 को उन्हीं के हाथों से हुआ था|
मार्कंडेय मंदिर
मार्कण्डेय महादेव मंदिर
जौनपुर शहर से करीब 70 किमी0 दूर कैथी (वाराणसी)में गोमती और गंगा के संगम के पास पौराणिक महत्व का मार्कण्डेय महादेव मंदिर है| 'बाल्यावस्था में अल्पायु मार्कण्डेय ऋषि को यमराज के पाश से छुड़ा कर भगवान शिव द्वारा की गयी जीवन रक्षा' का कथानक इसी स्थल (मंदिर) से सम्बद्ध है|
त्रिलोचन महादेव मंदिर
त्रिलोचन महादेव मंदिर वाराणसी राजमार्ग पर जौनपुर से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित है| यह भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिर है| यह बाबतपुर से 16 किमी0 और वाराणसी से 36 किमी0 पर स्थित है| मंदिर के बगल में एक बड़ा तालाब भी स्नान-ध्यान के लिए है| इस धार्मिक स्थल की विशेष रूप से वाराणसी और जौनपुर में काफी मान्यता है। प्रत्येक सोमवार,शिवरात्रि और श्रावण मास में यहाँ काफी भीड़ हो
जागेश्वरनाथ मंदिर
प्राचीन जागेश्वरनाथ मंदिर जौनपुर शहर के आलमगंज में स्थित है|भगवान शिव का यह मंदिर करीब 100 मीटर दूर स्थित मध्य काल में निर्मित जामा मस्ज़िद(बड़ी मस्ज़िद) का समकालीन माना जाता है| स्थानीय लोगों में इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है| कुछ वर्षों पूर्व इसका जीर्णोद्धार हुआ है|
पाँचों शिवाला मंदिर
जौनपुर शहर के पुरानी बाजार मुहल्ले में स्थित प्राचीन'पाँचों शिवाला मंदिर' आस्थावानों के बीच काफी प्रसिद्ध है। यह एक ही परिसर में आमने-सामने स्थित पाँच शिवालयों(शिव मंदिरों) का समूह है।
मैहर मंदिर
मैहर(मध्य प्रदेश)में स्थित देवी शारदा मंदिर और उनके विग्रह(प्रतिमा)की अनुकृति जौनपुर शहर के शास्त्रीनगर मुहल्ले में स्थापित है| मैहर देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर का निर्माण जाने-माने व्यवसायी राधेश्याम गुप्त ने कराया था| मंदिर की व्यवस्था एक ट्र्स्ट करता है| जिसके प्रधान न्यासी व्यापारी नेता एवं समाजसेवी सूर्यप्रकाश जायसवाल हैं| यह मंदिर पूर्वी उत्तर प्रदेश के श्रद्धालुओं में काफी लोकप्रिय है|
शीतला चौकियां
पूर्वी उत्तर प्रदेश में जौनपुर के शीतला चौकियां धाम की काफी मान्यता है| श्रद्धालु विभिन्न संस्कारों के लिए यहां आते है| साथ ही चौकियां माई को पूज कर देवी शक्तिपीठों की यात्रा पर आगे निकलने की परम्परा भी है|देवी शीतला को संक्रामक रोगों से बचाव के लिए भी पूजा जाता है। नवरात्र में शीतला चौकियां धाम दिन-रात श्रद्धालुओं से भरा रहता है। श्रद्धालु दर्शन-पूजन के साथ मुण्डन,यज्ञोपवीत,विवाह आदि संस्कारों के लिए भी यहां आते हैं।
मार्कण्डेय पुराण में उल्लिखित 'शीतले तु जगन्माता, शीतले तु जगत्पिता, शीतले तु जगद्धात्री-शीतलाय नमोनम:' से शीतला देवी की ऐतिहासिकता का पता चलता है। शीतला माता का मंदिर स्थानीय व दूरदराज क्षेत्रों से प्रतिवर्ष आने वाले हजारों श्रद्घालु पर्यटकों के अटूट आस्था व विश्वास काकेन्द्र बिन्दु बना हुआ है लेकिन इसके भी सौन्दर्यीकरण की और लोगों का ध्यान नहीं जाता और यदि कभी जाता भी है तो सरकारी फाइलों में दब के रह जाता है |
शीतला चौकियां धाम में स्थित यह तालाब जलाशयों के निर्माण की हमारी समृद्ध परम्परा का प्रतीक है|इस तालाब में हमेशा पानी रहता है|
पंचमुखी हनुमान मंदिर गुलर घाट जौनपुर
जौनपुर शहर स्थित गूलर घाट पर प्राचीन रामजानकी मंदिर में पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा स्थापित है.जनपद में अपने तरह की यह अकेली प्रतिमा बतायी जाती है.आस्थावान लोगों में इसकी काफी मान्यता है.
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