जौनपुर की एक पहचान यहाँ के ऐतिहसिक इमामबाड़े भी हैं और उनसे निकलने वाले अज़ादारी के जुलूस हैं | मुहर्रम में तो अधिकतर लोग जातने हैं की कर्बला में हज़रात मुहम्मद सव के नवासे इमाम हुसैन को भूखा प्यासा शहीद कर दिया गया इसका दुःख इमाम हुसैन अस के चाहने वाले मनाते हैं | लेकिन यही जुलूस रमजान महीने की १९ से २१ में भी निकलता है और उस बार ग़म मनाया जाता है इमाम हुसैन अस के पिता और मुसलमानों के खलीफा हज़रत अली अस की शहादत का | जुलूस निकाल के उनके चाहने वाले उनकी शहादत पे आँसू बहाते और मातम करते हैं और लोगों को उनके द्वारा दिए गए इंसानियत के पैगाम को लोगों तक पहुंचाते हैं |
हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत 21 रमज़ान सन 40 हिजरी क़मरी को इराक के शहर कूफा की मस्जिद ऐ कूफा में हुयी | 19 रमज़ान को हजरत अली जब सुबह की नमाज़ पढ़ा रहे थे दुष्ट इब्ने मुल्जिम ने ज़हर से बुझी तलवार से उनपे वार किया और उन्हें इतना ज़ख़्मी क्र दिया की तीन दिन के बाद २१ रमजान को वे दुनिया से रुखसत हो गए | उन्होंने अपने परिजनों को इकट्ठा करके वसीयत की और शांत हृदय से वे अपने पालनहार से जा मिले।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम अपने जीवन के अन्तिम क्षणों तक इस्लामी शिक्षाओं के द्वारा इंसानियत और भाईचारे का पैगाम लोगों तक पहुंचाते रहे । अपने जीवन के अन्तिम महत्वपूर्ण क्षणों में उन्होंने जो वसीयत की है वह आने वाली पीढ़ियों के लिए पाठ है जिससे लाभ उठाना चाहिए
हजरत अली अलैहिस्सलाम की वसीयत की कुछ अहम् बातें |
1. तक्वा अखियार करो और अल्लाह से डरते रहो |
२. ज़िन्दगी में अनुशासन पे ध्यान दो और अपने कामो को आसान बनाओ |
३. लोगो के बीच मतभेदों को दूर करो |
४. लोगों की समस्याओं का समाधान किया करो |
५. पड़ोसियों से अच्छे ताल्लुक रखो और यतीमो की मदद किया करो |
६.क़ुरआन पर अमल करने को न भूलना और इसे अपनी ज़िन्दगी में उतारो |आयतुल्लाह नासिर मकारिम शीराज़ी कहते हैं कि एसा न हो कि हम केवल पवित्र क़ुरआन के पढ़ने तक सीमित रह जाएं और उसके मूल संदेश अर्थात उसकी बातें अपनाने को भूल जाएं
७. लोगों को बुरे काम करने से रोको और अच्छ काम करने का आदेश दो
हज़रत अली अस का मशहूर कथन है की मुसलमान तुम्हारा धर्म से भाई है और गैर मुसलमान तुम्हारा इंसानियत के रिश्ते से भाई है |
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