हमारा जौनपुर सोशल वेलफेयर फाउंडेशन"का मिशन "दोहरा मुक्त जौनपुर " और "सेव टीथ-सेव लाइफ"
जौनपुर के दोहरे की भी अपनी ही एक अलग कहानी है | इसको खाने वाले मजबूर लाचार हो जाते हैं | एक बार इसकी आदत लग गयी तो शमशान जाने के बाद ही छूट पाती है | यह दोहरा केवल जौनपुर में ही पाया जाता है और यह अभी तक लोकल स्तर पे ही बनाया जाता है लेकिन अब जौनपुर के बाहर भी यह जाने लगा है | लोकल स्तर पे बनने वाला यह दोहरा अपने नशे और जानलेवा विशेषता के कारण पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है |.
जानकार बताते हैं कि दोहरा की शुरूआत महफिल से ही हुई है। यह अलग बात थी कि तब का दोहरा माउथ कैंसर तक इंसान को नहीं पहुंचाता था। वजह उसे बनाने व खाने का तरीका भी अलग था। लखनऊ मार्ग स्थित बसारतपुर में आजादी के पूर्व दोहरा बनाया जाना शुरू हुआ। शुरू में सुपाड़ी के टुकड़े में इलाइची, लौंग, चूना मिलाकर खाया जाता था। इसका सेवन महफिल में लोग समय गुजारने के लिए करते थे, किंतु धीरे-धीरे इसका रूप बदलता गया और आज इसने एक नशे का रूप ले लिया जो कैंसर म्रत्यु का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है |
दोहरा कैसे बनाया जाता है और इसमें ऐसी क्या चीज़ मिलाई जाती है की इसकी आदत छुडाने पे भी नहीं छूटती इसका पता लगाना आसान नहीं फिर भी लोगों से पूछ ताछ करने पे पता चला कि सुपाड़ी को एक पात्र में तीन दिन रखा जाता है। इसके बाद चूने के पानी में इसे सोधा जाता है। इसके बाद इसकी फर्री काटी जाती है। पहाड़ी कत्था, ब्रास, पिंपरमिंट, चूना के अलावा कुछ केमिकल मिलाकर इसे तैयार किया जाता है। यह सब सभी अपने-अपने तरीके से मिलाते हैं। | कुछ लोगों का मानना है की कि अफीम की पत्ती का इस्तेमाल होता तो कोई छिपकली के इस्तेमाल की बात करते हैं लेकिन फिर भी इसमें कौन सा नशा होता है यह आज तक एक रहस्य ही बना हुआ है |
फैसल हसन तबरेज़ ने हमारे टीम को बताया की वो उसे बंद करवाने के लिए लगे हुए हैं और उनके साथ है विकास तिवारी जी और जल्द ही इस ज़हर से जौनपुर को मुक्ति मिल जायगी |फैसल हसन तबरेज़ ने ने यहाँ तक बेबाकी से कह डाला की उन्होने इसका इस्तेमाल वर्षं किया और मुह की बिमारी का एहसास होने के बाद इसी छोड़ा | कैंसर हो जाने का क्या डर हो सकता है उन्होंने खुद इसे महसूस किया है |
बाज़ार में 5, 10, 20, 30 रुपये आदि रेट के हिसाब से प्रति पैकेट मिलने वाले इस ज़हर के बारे में अधिक जानने के लिए " हमारा जौनपुर " की टीम इस बार जौनपुर के कई मशहूर डॉक्टर्स से मिली जिस से की लोगों को इसके नुकसान के बारे में जागरूक किया जा सके |
डॉक्टर्स ने एक मत हो के बताया की दोहरा खाने से मनुष्य के जीवन पर बहुत घातक प्रभाव पड़ता है। लार ग्रंथियां सूख जाती हैं। फिर पाचन तंत्र की गड़बड़ी समेत अनेक बीमारियों का जन्म हो जाता है जो जटिल एवं असाध्य बन जाती है। जीवन को नष्ट कर देती हैं। इन्हीं बीमारियों से घिरकर मौत हो जाती है। लार का प्रमुख कार्य भोजन को पचाने के लिए पाचक रस तैयार करना एवं शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना है। मुंह में दोहरा रखते ही लार का स्त्राव होता है। जिसे दिन भर दोहरा खाने वाले थूक देते हैं। साधारणतया लार का स्त्राव भोजन करते समय ही होना चाहिए, जो भोजन में मिश्रित होकर आमाशय में जाना चाहिए। लेकिन दिन भर दोहरा खाने वाले लार को बाहर निकालते रहते हैं। लार ग्रंथियां सूख जाती हैं। जिनके भोजन करते समय लार का स्त्राव कम होता है और भोजन के साथ लार पर्याप्त मात्रा में मिश्रित नहीं हो पाता है। परिणाम स्वरूप भोजन पचाने में लार सहायक नहीं बन पाता एवं पाचन में गड़बड़ी पैदा हो जाती है। सही ढंग से भोजन नहीं पचा पाने के कारण अनेक प्रकार के पौष्टिक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है। जिसके कारण हार्मोनल संतुलन भी ठीक नहीं रहता। शरीर में पाचन तंत्र से जुड़ी अनेक प्रकार की बीमारियां जन्म ले लेती हैं एवं जटिल होकर जानलेवा बन जाती हैं।
डा.गौरव मौर्य ने सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश में बांदा जनपद में तंबाकू खाने के बाद 67 फीसद लोग कैंसर से पीड़ित हो रहे है, जबकि जौनपुर में 53 फीसद लोग दोहरा और तंबाकू का उपयोग करने के बाद कैंसर का शिकर हो रहे है। वहीं डा.तूलिका मौर्या ने बताया कि प्रदेश में मैनपुर जनपद के 35 फीसद कैंसर से पीड़ित मरीज खैनी, सुपारी, पान खाने के कारण हो रहे है। चिकित्सक द्वय ने कहा कि दोहरा शरीर के लिए काफी हानिकारक है।
मीठा जहर' दोहरा खाने वालों के कारण कैंसर रोगियों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। धड़ल्ले से बिक रहे दोहरे को खाने के बाद लोग कैंसर के शिकर हो रहे है। मशहूर डेंटिस्ट डॉ तूलिका मौर्या और डॉ गौरव प्रकाश मौर्या ने बताया की कुछ सर्वे रिपोर्टस इस बात की तरफ इशारा करती है की टाटा हास्पिटल मुंबई में हर तीसरा कैंसर मरीज उत्तर प्रदेश से ही होता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इसमें अकले 53 फीसद मरीज जौनपुर से ही होते है।
मौजूदा समय में स्थिति यह हो गई हैं कि शहर सहित ग्रामीण इलाके में भी इसकी मांग तेजी के साथ बढ़ गई है। इसी का नतीजा यह हैं कि जनपद में माउथ कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। माउथ कैंसर के शिकार मरीजों को देखने के बाद चिकित्सक भी जौनपुर के दोहरा का जिक्र शुरू कर दे रहे है| इसका सेवन करने वालों का मुंह खुलना कम हो रहा है। झटका लगने के बाद इसका सेवन बंद करने तक का प्रयास करना शुरू कर देते है, लेकिन वे नशे की ऐसी लत से घिर जाते हैं कि उससे निकलना भारी हो जाते है। इसी वजह से उनके मुंह में छाले के बाद अल्सर हो जाता है। बावजूद इसके वे अपने जीवन से इसे दूर नहीं कर पाते है। जिसका नतीजा यह होता है कि इस नशे को जिंदगी से अलग न कर माउथ कैंसर को गले लगा लेते है। अपनों की जिंदगी बचाने के लिए परिवार जी-जान लगा देते है, किंतु अंत में निराशा ही हाथ लगती है|
जौनपुर के मशहूर कांग्रेस नेता जनाब फैसल हसन तबरेज़ के विचार दोहरा मुक्त जौनपुर के विषय पे |
जौनपुर के दोहरे की भी अपनी ही एक अलग कहानी है | इसको खाने वाले मजबूर लाचार हो जाते हैं | एक बार इसकी आदत लग गयी तो शमशान जाने के बाद ही छूट पाती है | यह दोहरा केवल जौनपुर में ही पाया जाता है और यह अभी तक लोकल स्तर पे ही बनाया जाता है लेकिन अब जौनपुर के बाहर भी यह जाने लगा है | लोकल स्तर पे बनने वाला यह दोहरा अपने नशे और जानलेवा विशेषता के कारण पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है |.
जानकार बताते हैं कि दोहरा की शुरूआत महफिल से ही हुई है। यह अलग बात थी कि तब का दोहरा माउथ कैंसर तक इंसान को नहीं पहुंचाता था। वजह उसे बनाने व खाने का तरीका भी अलग था। लखनऊ मार्ग स्थित बसारतपुर में आजादी के पूर्व दोहरा बनाया जाना शुरू हुआ। शुरू में सुपाड़ी के टुकड़े में इलाइची, लौंग, चूना मिलाकर खाया जाता था। इसका सेवन महफिल में लोग समय गुजारने के लिए करते थे, किंतु धीरे-धीरे इसका रूप बदलता गया और आज इसने एक नशे का रूप ले लिया जो कैंसर म्रत्यु का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है |
फैसल हसन तबरेज़ ने हमारे टीम को बताया की वो उसे बंद करवाने के लिए लगे हुए हैं और उनके साथ है विकास तिवारी जी और जल्द ही इस ज़हर से जौनपुर को मुक्ति मिल जायगी |फैसल हसन तबरेज़ ने ने यहाँ तक बेबाकी से कह डाला की उन्होने इसका इस्तेमाल वर्षं किया और मुह की बिमारी का एहसास होने के बाद इसी छोड़ा | कैंसर हो जाने का क्या डर हो सकता है उन्होंने खुद इसे महसूस किया है |
बाज़ार में 5, 10, 20, 30 रुपये आदि रेट के हिसाब से प्रति पैकेट मिलने वाले इस ज़हर के बारे में अधिक जानने के लिए " हमारा जौनपुर " की टीम इस बार जौनपुर के कई मशहूर डॉक्टर्स से मिली जिस से की लोगों को इसके नुकसान के बारे में जागरूक किया जा सके |
डॉक्टर्स ने एक मत हो के बताया की दोहरा खाने से मनुष्य के जीवन पर बहुत घातक प्रभाव पड़ता है। लार ग्रंथियां सूख जाती हैं। फिर पाचन तंत्र की गड़बड़ी समेत अनेक बीमारियों का जन्म हो जाता है जो जटिल एवं असाध्य बन जाती है। जीवन को नष्ट कर देती हैं। इन्हीं बीमारियों से घिरकर मौत हो जाती है। लार का प्रमुख कार्य भोजन को पचाने के लिए पाचक रस तैयार करना एवं शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना है। मुंह में दोहरा रखते ही लार का स्त्राव होता है। जिसे दिन भर दोहरा खाने वाले थूक देते हैं। साधारणतया लार का स्त्राव भोजन करते समय ही होना चाहिए, जो भोजन में मिश्रित होकर आमाशय में जाना चाहिए। लेकिन दिन भर दोहरा खाने वाले लार को बाहर निकालते रहते हैं। लार ग्रंथियां सूख जाती हैं। जिनके भोजन करते समय लार का स्त्राव कम होता है और भोजन के साथ लार पर्याप्त मात्रा में मिश्रित नहीं हो पाता है। परिणाम स्वरूप भोजन पचाने में लार सहायक नहीं बन पाता एवं पाचन में गड़बड़ी पैदा हो जाती है। सही ढंग से भोजन नहीं पचा पाने के कारण अनेक प्रकार के पौष्टिक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है। जिसके कारण हार्मोनल संतुलन भी ठीक नहीं रहता। शरीर में पाचन तंत्र से जुड़ी अनेक प्रकार की बीमारियां जन्म ले लेती हैं एवं जटिल होकर जानलेवा बन जाती हैं।
डा.गौरव मौर्य ने सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश में बांदा जनपद में तंबाकू खाने के बाद 67 फीसद लोग कैंसर से पीड़ित हो रहे है, जबकि जौनपुर में 53 फीसद लोग दोहरा और तंबाकू का उपयोग करने के बाद कैंसर का शिकर हो रहे है। वहीं डा.तूलिका मौर्या ने बताया कि प्रदेश में मैनपुर जनपद के 35 फीसद कैंसर से पीड़ित मरीज खैनी, सुपारी, पान खाने के कारण हो रहे है। चिकित्सक द्वय ने कहा कि दोहरा शरीर के लिए काफी हानिकारक है।
मीठा जहर' दोहरा खाने वालों के कारण कैंसर रोगियों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। धड़ल्ले से बिक रहे दोहरे को खाने के बाद लोग कैंसर के शिकर हो रहे है। मशहूर डेंटिस्ट डॉ तूलिका मौर्या और डॉ गौरव प्रकाश मौर्या ने बताया की कुछ सर्वे रिपोर्टस इस बात की तरफ इशारा करती है की टाटा हास्पिटल मुंबई में हर तीसरा कैंसर मरीज उत्तर प्रदेश से ही होता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इसमें अकले 53 फीसद मरीज जौनपुर से ही होते है।
मौजूदा समय में स्थिति यह हो गई हैं कि शहर सहित ग्रामीण इलाके में भी इसकी मांग तेजी के साथ बढ़ गई है। इसी का नतीजा यह हैं कि जनपद में माउथ कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। माउथ कैंसर के शिकार मरीजों को देखने के बाद चिकित्सक भी जौनपुर के दोहरा का जिक्र शुरू कर दे रहे है| इसका सेवन करने वालों का मुंह खुलना कम हो रहा है। झटका लगने के बाद इसका सेवन बंद करने तक का प्रयास करना शुरू कर देते है, लेकिन वे नशे की ऐसी लत से घिर जाते हैं कि उससे निकलना भारी हो जाते है। इसी वजह से उनके मुंह में छाले के बाद अल्सर हो जाता है। बावजूद इसके वे अपने जीवन से इसे दूर नहीं कर पाते है। जिसका नतीजा यह होता है कि इस नशे को जिंदगी से अलग न कर माउथ कैंसर को गले लगा लेते है। अपनों की जिंदगी बचाने के लिए परिवार जी-जान लगा देते है, किंतु अंत में निराशा ही हाथ लगती है|
जानिये जौनपुर के मशहूर ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ मैहर अब्बास क्या कहते हैं जौनपुर के दोहरे के नशे के बारे में ?
जौनपुर के मशहूर कांग्रेस नेता जनाब फैसल हसन तबरेज़ के विचार दोहरा मुक्त जौनपुर के विषय पे |
हमारा जौनपुर सोशल वेलफेयर फाउंडेशन"का मिशन "दोहरा मुक्त जौनपुर " और "सेव टीथ-सेव लाइफ" "दांत बचाओ-जीवन बचाओ" । हमारा जौनपुर की टीम जौनपुर के मशहूर डेंटिस्ट डॉ तूलिका मौर्या और डॉ गौरव प्रकाश मौर्या से एक मुलाक़ात और चर्चा|
ला. सैयेद मोहम्मद मुसतफा से "दोहरा मुक्त जौनपुर " विषय पे बात चीत |
समाज सेवक विकास तिवारी
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