मैं यह बात हमेशा से कहता रहाहूँ की जौनपुर अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को सँभालने में नाकाम रहा है और पिछले आठ वर्षों से अपने दोनों वेबपोर्टल के द्वारा जौनपुर की उन ऐतिहासिक धरोहरों और रहस्यों को समय समय पे आप सभी के सामने पेश करता रहा हूँ और मुझे यह ख़ुशी है की मैं पूरे विश्व को ही नहीं अपने नेताओं और सरकार तक यह बात पहुंचाने में कामयाब रहा हूँ की जौनपुर एक ऐसा ऐतिहासिक स्थल है जिसे वो स्थान नहीं मिला जो इसे मिलना चाहिए था |
समय समय पे हमारा जौनपुर की टीम जौनपुर और आस पास के लोगों को यहाँ के इतिहास और ऐतिहासिक स्थलों के बारे में कितनी जानकारी है इसका सर्वेक्षण किया करती है और दुःख की बात यह है लोगों को अपने शहर के इतिहास और इन ऐतिहासिक स्थलों के बारे में अधिक जानकारी नहीं है | यहाँ आने वाले पर्यटकों को आस पास के लोगों से कुछ अधिक जानकारी नहीं मिल पाती और अगर मिलती भी है तो वो या तो सतही स्तर की हुआ करती है या किवदंतियों पे आधारित हुआ करती है |
इस बात को ध्यान रखते हुए हमारा जौनपुर टीम ने यह फैसला लिया की आज की नयी नस्लों को जौनपुर के इतिहास की सही जानकारी दी जाय | जौनपुर के सन जॉन स्कूल और संस्था भारत विकास परिषद् के सहयोग से "हमारा प्रयास बच्चे जाने जौनपुर का इतिहास " के परचम तले स्कूल के बच्चों को पूरे जौनपुर के मुख्य मुख्य ऐतिहसिक स्थलों की सैर करवाई और जौनपुर के उस इतिहास की जानकारी दी जो राजा दशरत के सकालीन युग से लेकर १८५७ की आजादी की लड़ाई तक की निशानियों को अपने आपमें समेटे हुए हैं |
बच्चों को इस पूरे टूर में जमैथा के जमदाग्नि आश्रम से ले कर शाही किले में मौजूद १८५७ की आजादी की लड़ाई तक के बारे में बताया गया | बच्चों ने इस इतिहास को नयी जानकारी के रूप में ग्रहण किया अंत में यह भी कहा सर हम हर ऐतिहासिक स्थाल की विस्तृत जानकारी भी लेना चाहते हैं और इसके लिए फिर से कभी समय मिले तो टूर पे हम सबको ले जाएँ |
केवल इतना ही नहीं बच्चों ने शाही पुल पे स्थित गन्दगी को हटाने के लिए सरकार को अपना सन्देश दिया और कहा यदि यहाँ पे सुन्दर घाट होते तो कितना मज़ा आता | बच्चों की पहली पसंद बनी बड़ी मस्जिद जिसके विशालकाय गुम्बदों को देख के वे चकित रह गए | शाही किला केवल एक ऐसा स्थान बच्चों को दिखा जहां अगर वो परिवार के साथ आके बैठना चाहें कुछ पल तो बैठ सकते हैं जबकि शाही हम्माम के बंद होने से उन्हें दुःख हुआ और उसे अन्दर से देखने की इच्छा उनके मन में ही रह गयी |
बड़ी मस्जिद में इब्राहिम शार्की और हुसैन शार्की इत्यादि की शानदार क़ब्रों के कब्रिस्तान की बदहाल हालत देख बच्चे अचंभित थे की जिन्होंने जौनपुर को इतने नायाब मस्जिदें और ऐतिह्सक स्थल दिए उनकी ऐसी बदहाल हालत | वैसे मेरी नज़र में यह अपने आप में एक शोध का विषय है |
जौनपुर के ऐतिहासिक स्थलों का यह टूर लाल दरवाज़ा मस्जिद से होता हुआ , खालिस मुखलिस मस्जिद, पांचो शिवाला , बड़ी मस्जिद ,शाही किला, अटाला मस्जिद , शाही पुल, २४३ वर्ष पुराने हनुमान और सत्य नारायण मंदिर ,गज सिंह मूर्ती देखता हुआ यमदग्नि ऋषि के आश्रम, परशुराम की जन्म स्थली जमैथा में ख़त्म हुआ |
बच्चों के विचार उनके जौनपुर के बारे में ऐतिहासिक ज्ञान के बारे में अगले लेख द्वारा बताऊंगा जिसमे विडियो भी शामिल रहेगा |
इस प्रयास के लिए हमारा जौनपुर टीम विक्रम कुमार जी ,सन जॉन स्कूल मैनेजमेंट और भारत विकास परिषद् की आभारी है |
समय समय पे हमारा जौनपुर की टीम जौनपुर और आस पास के लोगों को यहाँ के इतिहास और ऐतिहासिक स्थलों के बारे में कितनी जानकारी है इसका सर्वेक्षण किया करती है और दुःख की बात यह है लोगों को अपने शहर के इतिहास और इन ऐतिहासिक स्थलों के बारे में अधिक जानकारी नहीं है | यहाँ आने वाले पर्यटकों को आस पास के लोगों से कुछ अधिक जानकारी नहीं मिल पाती और अगर मिलती भी है तो वो या तो सतही स्तर की हुआ करती है या किवदंतियों पे आधारित हुआ करती है |
इस बात को ध्यान रखते हुए हमारा जौनपुर टीम ने यह फैसला लिया की आज की नयी नस्लों को जौनपुर के इतिहास की सही जानकारी दी जाय | जौनपुर के सन जॉन स्कूल और संस्था भारत विकास परिषद् के सहयोग से "हमारा प्रयास बच्चे जाने जौनपुर का इतिहास " के परचम तले स्कूल के बच्चों को पूरे जौनपुर के मुख्य मुख्य ऐतिहसिक स्थलों की सैर करवाई और जौनपुर के उस इतिहास की जानकारी दी जो राजा दशरत के सकालीन युग से लेकर १८५७ की आजादी की लड़ाई तक की निशानियों को अपने आपमें समेटे हुए हैं |
बच्चों को इस पूरे टूर में जमैथा के जमदाग्नि आश्रम से ले कर शाही किले में मौजूद १८५७ की आजादी की लड़ाई तक के बारे में बताया गया | बच्चों ने इस इतिहास को नयी जानकारी के रूप में ग्रहण किया अंत में यह भी कहा सर हम हर ऐतिहासिक स्थाल की विस्तृत जानकारी भी लेना चाहते हैं और इसके लिए फिर से कभी समय मिले तो टूर पे हम सबको ले जाएँ |
केवल इतना ही नहीं बच्चों ने शाही पुल पे स्थित गन्दगी को हटाने के लिए सरकार को अपना सन्देश दिया और कहा यदि यहाँ पे सुन्दर घाट होते तो कितना मज़ा आता | बच्चों की पहली पसंद बनी बड़ी मस्जिद जिसके विशालकाय गुम्बदों को देख के वे चकित रह गए | शाही किला केवल एक ऐसा स्थान बच्चों को दिखा जहां अगर वो परिवार के साथ आके बैठना चाहें कुछ पल तो बैठ सकते हैं जबकि शाही हम्माम के बंद होने से उन्हें दुःख हुआ और उसे अन्दर से देखने की इच्छा उनके मन में ही रह गयी |
बड़ी मस्जिद में इब्राहिम शार्की और हुसैन शार्की इत्यादि की शानदार क़ब्रों के कब्रिस्तान की बदहाल हालत देख बच्चे अचंभित थे की जिन्होंने जौनपुर को इतने नायाब मस्जिदें और ऐतिह्सक स्थल दिए उनकी ऐसी बदहाल हालत | वैसे मेरी नज़र में यह अपने आप में एक शोध का विषय है |
जौनपुर के ऐतिहासिक स्थलों का यह टूर लाल दरवाज़ा मस्जिद से होता हुआ , खालिस मुखलिस मस्जिद, पांचो शिवाला , बड़ी मस्जिद ,शाही किला, अटाला मस्जिद , शाही पुल, २४३ वर्ष पुराने हनुमान और सत्य नारायण मंदिर ,गज सिंह मूर्ती देखता हुआ यमदग्नि ऋषि के आश्रम, परशुराम की जन्म स्थली जमैथा में ख़त्म हुआ |
बच्चों के विचार उनके जौनपुर के बारे में ऐतिहासिक ज्ञान के बारे में अगले लेख द्वारा बताऊंगा जिसमे विडियो भी शामिल रहेगा |
इस प्रयास के लिए हमारा जौनपुर टीम विक्रम कुमार जी ,सन जॉन स्कूल मैनेजमेंट और भारत विकास परिषद् की आभारी है |
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एस एम् मासूम