जौनपुर की सबसे पहली वेबसाईट का श्रेय जौनपुर सिटी डॉट इन को जाता है जिसे मैंने २००९ में शुरू किया और ऑनलाइन इस जौनपुर सिटी डोमेन के साथ २०१० में किया |
यह वो समय था जब जौनपुर में लोगों को वेबसाईट के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी और इस वेबसाईट को ऑनलाइन लाने के साथ साथ मैंने जौनपुर में लोगों को जागरूक करना शुरू किया | जौनपुर जैसे शहर में जहां लोगों को उस समय वेबसाईट कैसे चले जाय इसकी जानकारी कम थी और रोज़गार की कमी के कारन मानसिकता यह की दो पैसे की कमाई के बिना कोई काम करना ही नहीं चाहते वहाँ लोगों को जागरूक करना बहुत आसान नहीं होता था |
लोगों को ऐसा लगने लगा इस जागरूकता अभियान को देख के की इसमें मेरा कोई फायदा है लेकिन धीरे धीरे लोगों का ध्यान इस तरफ आकर्षित होने लगा और जब मैंने २०१२ में हमारा जौनपुर डॉट कॉम हिंदी में ऑनलाइन किया तो इसकी चर्चा जगह जगह होने लगी और लोग मेरे पास खुद चल के आने लगे और वेबसाईट कैसे बनायी जाय पूछने लगे |
मैं इसे अपनी कामयाबी मानता हूँ की चाहे कुछ लोगों ने मेरी नीयत पे शक किया लेकिन अंत में मैं जौनपुर को इस वेब पोर्टल की अहमियत समझाने में कामयाब रहा और लोगों ने मुझे जौनपुर में इस वेबपोर्टल का जन्मदाता , भीष्म पितामह इत्यादि कहना शुरू कर दिया और आज यह समय आ गया जब मुझे लोगों को यह नहीं समझाना पड़ता की वेबसाईट क्या है इसे कैसे चलाया जाय और हर दो दिन में नयी नयी वेबसाईट वजूद में आती जा रही हैं |
मेरी वेबसाईट मुख्यतया जौनपुर के इतिहास यहाँ के समाज और प्रतिभाओं को विश्व तक पहुंचाती है इसलिए अपने आप में एक अलग पहचान रखती है | न्यूज़ पोर्टल की बात करें तो यह राजेश श्रीवास्तव हैं जिनको मैंने इसकी अहमियत को समझाया और इन्होने कामयाबी के साथ शिराज़ ऐ हिन्द डॉट कॉम के नाम से चलाया और आज भी अपनी मेहनत से अपनी कामयाबी का झंडा बलंद किये हुए है |
आप सभी के सहयोग और प्रेम के लिए आभारी हूँ और यदि आप जौनपुर या आस पास किसी गाँव के निवासी हैं और आप जौनपुर से जुड़े विषयों पे लिखते हैं या आप में कोई प्रतिभा है , आप कुछ दुनिया से कहना चाहते हैं तो हमारा जौनपुर सोशल वेलफेयर फाउंडेशन की टीम से संपर्क करें |


लोगों को ऐसा लगने लगा इस जागरूकता अभियान को देख के की इसमें मेरा कोई फायदा है लेकिन धीरे धीरे लोगों का ध्यान इस तरफ आकर्षित होने लगा और जब मैंने २०१२ में हमारा जौनपुर डॉट कॉम हिंदी में ऑनलाइन किया तो इसकी चर्चा जगह जगह होने लगी और लोग मेरे पास खुद चल के आने लगे और वेबसाईट कैसे बनायी जाय पूछने लगे |
मैं इसे अपनी कामयाबी मानता हूँ की चाहे कुछ लोगों ने मेरी नीयत पे शक किया लेकिन अंत में मैं जौनपुर को इस वेब पोर्टल की अहमियत समझाने में कामयाब रहा और लोगों ने मुझे जौनपुर में इस वेबपोर्टल का जन्मदाता , भीष्म पितामह इत्यादि कहना शुरू कर दिया और आज यह समय आ गया जब मुझे लोगों को यह नहीं समझाना पड़ता की वेबसाईट क्या है इसे कैसे चलाया जाय और हर दो दिन में नयी नयी वेबसाईट वजूद में आती जा रही हैं |
जौनपुर सिटी डॉट इन और हमारा जौनपुर डॉट कॉम जो आज पूरे विश्व में जौनपुर की पहचान बनी हुयी है केवल मेरा वतन से प्रेम और मेरा शौक़ है इसलिए इस पे डाला जाने वाला इंटरव्यू ,लेख और ऐतिहासिक जानकारी यदि कोई भी देता है तो पूरे विश्व में इसे मुफ्त में पहुचाया जाता है इसके लिए कोई शुल्क नहीं लगता | केवल एक शुल्क लगता है वो यह की अपने वतन जौनपुर को लोगों तक पहुंचाएं और लोगों को बताएं की वो भी इसे ऐसा सुन्दर बनाने का प्रयास करें जिससे पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके और दुनिया में जौनपुर को सही स्थान मिल सके |
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