हर धर्म की तरह इस्लाम में भी इसको मानने वाले तो प्रकार के हुआ करते हैं जिनमे एक वो होते हैं जो अपने धर्म के उसूलों पे चलते हुए अपने धर्म की मदद से समाज में इंसानियत का पैगाम दिया करते हैं और दुसरे वो होते हैं जो सत्ता ,धन या शोहरत की लालच में पथभ्रष्ट हो जाते हैं और ज़ुल्म ,ना इंसाफी और नफरतों का पैगाम देने लगते हैं | यह हाल हर धर्म का हुआ करता है और इसी लिए हर धर्म में कहीं हक देखने को मिलता है तो कहीं बातिल और इसी प्रकार हर धर्म में उनकी अंदरूनी जिहाद चलता रहता है |
इस्लाम के उदय के समय मक्का वालों ने पैगम्बर मुहम्मद साहब को इतना आतंकित किया कि उन्हें अपने जन्म स्थान मदीना जाना पड़ा। वहां भी उन्हें चैन से न रहने दिया गया और उन पर लगातार कई हमले हुए जिसके लिए उन्हें आत्मरक्षार्थ जेहाद करना पड़ा फिर धीरे धीरे जो आतंकित किया करते थे वो पैगम्बर मुहम्मद साहब के चमत्कारों और उनके बेहतरीन पैगाम को देख के उनके साथ हो लिए और पैगम्बर मुहम्मद साहब मक्का वापस आ गए |
आज का दिन हिजरी केलिन्डर के अनुसार रजब महीने की २० तारिख है और यह वही दिन था जब एक बार फिर से शाम में इस्लाम धर्म का बागी बादशाह मुआव्विया का देहांत हुआ और उसकी जगह एक आतंकवादी प्रवृत्ति का बादशाह उसके बीटा यजीद हुआ जिसने हुक्म दिया पैगम्बर मुहम्मद साहब के नवासे हुसैन से कहो की या तो वो ज़ुल्म और ना इंसाफी को इस्लाम का हिस्सा मान लें या फिर अगर वो ना मानें तो उनका सर काट के लाया जाय |
इमाम हुसैन (अ.स ) हज़रत मुहम्मद (स.अ व ) के नवासे थे और यह कैसे संभव था कि वो यज़ीद जैसे ज़ालिम और बदकार को खलीफा मान लेते ? इमाम हुसैन ने नेकी की दावत देने और लोगों को बुराई से रोकने के लिए अपना पहला सफर मदीने से मक्का का शुरू करने का फैसला कर लिया । ये इस्लाम के इतिहास में पहला सफ़र थे जो सीधे सीधे सत्ता के लालची यकीन के आतंकवाद के खिलाफ था |
इमाम हुसैन (अ.स ) ने अपना वतन मदीना अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ छोड़ा मक्का की तरफ गए वहाँ भी दुश्मन ने उन्हें क़त्ल करने की साज़िश की तो वो कूफा की तरफ चले जहां से लोग उन्हें बुला रहे थे लेकिन वहाँ भी इमाम हुसैन (अ.स ) के भाई मुस्लिम को शहीद कर दिया और कूफा के बहार की इमाम हुसैन (अ.स ) को घेर लिया गया और उन्हें कर्बला के सुनसान रेगिस्तान में ले गए जहां इतिहास की आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई इमाम हुसैन (अ.स ) और उनके परिवार वालों ने लड़ी और जब इमाम हुसैन (अ.स ) , उनके साथी उनके बेटे भाई सब शहीद हो गए तो यह लड़ाई उनकी बहन जनाब ऐ जैनब ने लड़ी |
आज भी मुसलमानों में यह आतंकवाद की जंग इमाम हुसैन (अ.स ) को मानने वाले अपनी कलम के इस्तेमाल से लड़ा करते हैं और हर जगह इंसानियत और भाईचारे का पैगाम दुनिया को दिया करते हैं |

इस्लाम के उदय के समय मक्का वालों ने पैगम्बर मुहम्मद साहब को इतना आतंकित किया कि उन्हें अपने जन्म स्थान मदीना जाना पड़ा। वहां भी उन्हें चैन से न रहने दिया गया और उन पर लगातार कई हमले हुए जिसके लिए उन्हें आत्मरक्षार्थ जेहाद करना पड़ा फिर धीरे धीरे जो आतंकित किया करते थे वो पैगम्बर मुहम्मद साहब के चमत्कारों और उनके बेहतरीन पैगाम को देख के उनके साथ हो लिए और पैगम्बर मुहम्मद साहब मक्का वापस आ गए |
आज का दिन हिजरी केलिन्डर के अनुसार रजब महीने की २० तारिख है और यह वही दिन था जब एक बार फिर से शाम में इस्लाम धर्म का बागी बादशाह मुआव्विया का देहांत हुआ और उसकी जगह एक आतंकवादी प्रवृत्ति का बादशाह उसके बीटा यजीद हुआ जिसने हुक्म दिया पैगम्बर मुहम्मद साहब के नवासे हुसैन से कहो की या तो वो ज़ुल्म और ना इंसाफी को इस्लाम का हिस्सा मान लें या फिर अगर वो ना मानें तो उनका सर काट के लाया जाय |
इमाम हुसैन (अ.स ) हज़रत मुहम्मद (स.अ व ) के नवासे थे और यह कैसे संभव था कि वो यज़ीद जैसे ज़ालिम और बदकार को खलीफा मान लेते ? इमाम हुसैन ने नेकी की दावत देने और लोगों को बुराई से रोकने के लिए अपना पहला सफर मदीने से मक्का का शुरू करने का फैसला कर लिया । ये इस्लाम के इतिहास में पहला सफ़र थे जो सीधे सीधे सत्ता के लालची यकीन के आतंकवाद के खिलाफ था |
इमाम हुसैन (अ.स ) ने अपना वतन मदीना अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ छोड़ा मक्का की तरफ गए वहाँ भी दुश्मन ने उन्हें क़त्ल करने की साज़िश की तो वो कूफा की तरफ चले जहां से लोग उन्हें बुला रहे थे लेकिन वहाँ भी इमाम हुसैन (अ.स ) के भाई मुस्लिम को शहीद कर दिया और कूफा के बहार की इमाम हुसैन (अ.स ) को घेर लिया गया और उन्हें कर्बला के सुनसान रेगिस्तान में ले गए जहां इतिहास की आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई इमाम हुसैन (अ.स ) और उनके परिवार वालों ने लड़ी और जब इमाम हुसैन (अ.स ) , उनके साथी उनके बेटे भाई सब शहीद हो गए तो यह लड़ाई उनकी बहन जनाब ऐ जैनब ने लड़ी |
आज भी मुसलमानों में यह आतंकवाद की जंग इमाम हुसैन (अ.स ) को मानने वाले अपनी कलम के इस्तेमाल से लड़ा करते हैं और हर जगह इंसानियत और भाईचारे का पैगाम दुनिया को दिया करते हैं |

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