जौनपुर शाही किले का बाहरी हिस्सा जिसे मुइन खान खाना ने बाद में बनवाया था | |
इसी बाहरी फाटक में दाखिल होने के पहले एक 6 फीट लम्बा खम्बा है जो एक गोल से चबूतरे पे लगा हुआ है | बचपन से सुना करता था की इस खम्बे पे लिखी इबारत को जिसने पढ़ लिया उसे दुनिया का खजाना मिल जायेगा |
इस बार जब मैं जौनपुर पहुंचा और ऐसे ही एक दिन किले की तरफ से होता हुआ मित्र से मिलने जा रहा था तो नज़र उसी खम्बे पे पद गयी और बचपन की बात याद आ गयी | जब मैं खम्बे पे पहुंचा तो वहाँ फारसी में कुछ इबारत लिखी मिली | मेरे साथ मेरे मित्र जनाब कैसर साहब भी थे जो पर्शियन (फ़ारसी) के अच्छे जानकार भी हैं मैंने उन्ही से पुछा भाई आप क्या इसे पढ़ सकते हैं तो खजाना मिल जाएगा |
उन्होंने भी कोशिश की और बाद में ताज्जुब की इबारत साफ़ है और इसे पढना भी आसान फिल जहालत भरी बातें समाज में कैसे फैल गयीं की खजाने का पता लिखा है ?
इस 6 फीट के खम्बे पे 17 लाइन की इबारत लिखी हुयी है | ये शिला लेख गोलाकार चबुतरे पे लगा हुआ है और उस पे फारसी मे कुछ लिखा हुआ है | इस शिला लेख की लिखावट सन ११८० हिजरी की है | इसको सैयेद मुहम्मद बशीर खां क़िलेदार ने शाह आलम जलालुद्दीन बादशाह तथा नवाब वज़ीर के समय मे लगवाया था |
यदि आप फ़ारसी जानते हैं तो आप भी इसे आसानी से पढ़ सकते हैं |
सय्यद मुहम्मद बशीर खान ने यहा के शासक और कोतवाल ,फौजदार और निवासियो को चेतावनी दी कि जौनपुर की आय मे सैयदो व बेवाओं तथा उनसे संबंधित और दीन की सहायता हेतू जो धन निश्चित है उसमे कोई कमी ना की जाय | हिन्दुओ को राम गंगा और त्रिवेणी और मुसलमानो को खुदा व रसूल (स.अ व ) व पंजतन पाख ,सहाबा और चाहारदा मासूम और सुन्नी हजरात को चार यार की क़सम है कि यदि उन्होंने इसका पालन नहीं किया तो खुदा और रसूल की उसपे धिक्कार होगी और प्रलय के दिन मुख पे कालिमा लगी होगी तथा नर्क निवासियो की पंक्ती मे शामिल होगा | बारह रबिउल अव्वल ११८० हिजरी को इस शुभ कार्य का पत्थर सैयेद मुहम्मद बशीर खां क़िलेदार ने लगवाया |

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