जौनपुर के कलाकारों और प्रतिभाओं को दुनिया तक पहुंचाने की श्रंखला में आज आपके सामने पेश हैं जनाब मोहम्मद जमशेद साहब जिनकी कला के नमूने देख मैं भी दंग रह गया |
जनाब जमशेद साहब कुरान शरीफ के सुंदर मनमोहक कलात्मक और आकर्षक इस्लामिक या अरबिक कैलीग्राफी के माहिर हैं | जनाब जमशेद जी ने तमिल तेलगु कन्नड़ एवम बंगाली भाषाओँ की लिपि का इस्तेमाल करते हुए अरबिक कैलीग्राफी को बड़े ही आकर्षक रूप में पेश किया है |
जमशेद साहब का जन्म जौनपुर के एक शिछित परिवार में हुआ | इनके पिता स्वर्गीय मुहम्मद फाजिल साहब मुनिस्पिल बोर्ड जौनपुर में सेवारत थे | जमशेद साहब के चाचा स्वर्गीय कामिल साहब एक प्रसिद्द कवि और लेखक थे | प्रतिभाओं से भरे परिवार में जनाब जमशेद साहब की परवरिश हुयी | कैलीग्राफी का हुनर भी इनके खून में था क्यूंकि इनके दादा स्वर्गीय मुंशी अब्दुल मजीद साहब इस कला के माहिर थे और अपने समय की मशहूर साप्ताहिक पत्रिका "बर्क" का प्रकाशन किया करते थे |
जमशेद जी ने अपने इस चित्रकारी के शौक़ को पूरा करने के लिए लखनऊ विश्वविधालय से फाइन आर्ट्स में स्नातक की डिग्री (BFA) हासिल की और अपनी कर्म भूमि मुंबई को बना लिया जहां उनको हिंदी ब्लिट्ज में नौकरी मिल गयी | पच्चीस वर्षों तक जमशेद जी इस पत्रिका से जुड़े रहे लेकिन अपनी इस्लामिक कैलीग्राफी की कला को निखारते रहे |
शांत स्वभाव के कलाकार जमशेद जी के पास अब अनगिनत कलाकृतियों का खजाना है जिसे हम सभी देखना अवश्य चाहेंगे और जमशेद जी से निवेदन करते हैं की कम से कम जौनपुर में एक बार अपनी कलाकृतियों की नुमाईश अवश्य करें जिस से हम सभी उनकी कला से रूबरू हो सकें |
जमशेद जी को सराहा तो बहुत गया, लोगों ने इनसे काफी कुछ सीखा भी लेकिन इस कला के कद्रदानो की कमी के कारण लोग इसमें कम रूचि लेते देखे गए हैं लेकिन यह सब बातें एक कलाकार के लिए कोई मायने नहीं रखती क्यूँ की हीरे की पहचान केवल एक जौहरी ही कर सकता है |
जनाब जमशेद साहब कुरान शरीफ के सुंदर मनमोहक कलात्मक और आकर्षक इस्लामिक या अरबिक कैलीग्राफी के माहिर हैं | जनाब जमशेद जी ने तमिल तेलगु कन्नड़ एवम बंगाली भाषाओँ की लिपि का इस्तेमाल करते हुए अरबिक कैलीग्राफी को बड़े ही आकर्षक रूप में पेश किया है |
जमशेद साहब का जन्म जौनपुर के एक शिछित परिवार में हुआ | इनके पिता स्वर्गीय मुहम्मद फाजिल साहब मुनिस्पिल बोर्ड जौनपुर में सेवारत थे | जमशेद साहब के चाचा स्वर्गीय कामिल साहब एक प्रसिद्द कवि और लेखक थे | प्रतिभाओं से भरे परिवार में जनाब जमशेद साहब की परवरिश हुयी | कैलीग्राफी का हुनर भी इनके खून में था क्यूंकि इनके दादा स्वर्गीय मुंशी अब्दुल मजीद साहब इस कला के माहिर थे और अपने समय की मशहूर साप्ताहिक पत्रिका "बर्क" का प्रकाशन किया करते थे |
जमशेद जी ने अपने इस चित्रकारी के शौक़ को पूरा करने के लिए लखनऊ विश्वविधालय से फाइन आर्ट्स में स्नातक की डिग्री (BFA) हासिल की और अपनी कर्म भूमि मुंबई को बना लिया जहां उनको हिंदी ब्लिट्ज में नौकरी मिल गयी | पच्चीस वर्षों तक जमशेद जी इस पत्रिका से जुड़े रहे लेकिन अपनी इस्लामिक कैलीग्राफी की कला को निखारते रहे |
शांत स्वभाव के कलाकार जमशेद जी के पास अब अनगिनत कलाकृतियों का खजाना है जिसे हम सभी देखना अवश्य चाहेंगे और जमशेद जी से निवेदन करते हैं की कम से कम जौनपुर में एक बार अपनी कलाकृतियों की नुमाईश अवश्य करें जिस से हम सभी उनकी कला से रूबरू हो सकें |
जमशेद जी को सराहा तो बहुत गया, लोगों ने इनसे काफी कुछ सीखा भी लेकिन इस कला के कद्रदानो की कमी के कारण लोग इसमें कम रूचि लेते देखे गए हैं लेकिन यह सब बातें एक कलाकार के लिए कोई मायने नहीं रखती क्यूँ की हीरे की पहचान केवल एक जौहरी ही कर सकता है |
ऐसे ही एक जौहरी हैं जौनपुर के जनाब तुफैल अंसारी साहब जिन्होंने जमशेद जी के बारे में लिखा था जिसे आज मैं इस वेबसाईट से पेश कर रहा हूँ |
जमशेद जी की कला के बारे में पत्रपत्रिकाओं और अख़बारों में अक्सर लिखा जाता रहा है |
जनाब जमशेद साहब के हुनर की ऐसी मिसाल देखने को कहीं नहीं मिलती |मोहम्मद जमशेद,मोबाइल :+91-9833819411 |
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