
कहते है आवश्यकता विकास की जननी होती हैं। यह खोज वही कर सकता जो इन समस्याओं से प्रतिदिन जुझता है। ऐसा ही करनामा कर दिखाया है जौनपुर के किसानों ने। जौनपुर के सैकड़ो किसानो के फसलो की सुरक्षा कफन कर रही हैं। यह वही कफन हैं जिसमें लाशो को लपेट कर उनका अंतिम संस्कार किया जाता हैं। रंग विरंगे चमकीला कफन देखकर जहां नील गाय किसानो के खेतो में घुसना तो दूर उसके आस पास तक नही फटकती हैं।
पिछले दो दशक से जौनपुर के किसानो की फसलो के लिए नील गाये विलेन बन गयी हैं। किसान दिन रात कड़ी मेहनत के बल पर फसलो को उगाता हैं। फसल तैयार होने से पहले ही नील गायो का झुण्ड खेतो में धावा बोलकर पल भर में चट कर जाते हैं। किसानो के पास हाथ मलने के अलावा कोई चारा नही हैं। किसान फसलो को बचाने के लिए दिन रात खेतो की पहरेदारी करते हैं।इसके बावजूद इनके हाथ कुछ भी नही आता
गाढ़ी मेहनत को बचाने के लिए किसानों ने कई हथकण्डा अपनाया लेकिन सब बेकार गया। आखिर में किसानो के लिए यह कफन ही रामबाण ही साबित हुआ। किसानो का कहना हैं कि रंगबिरंगी चमकीली कपड़ो को देखकर नील गाये मेरे खेतो के पास नही आती साथ ही पतंगबाज लड़के भी मेरे खेतो में नही घुसते।
जहां आम लोग कफन को छुना दूर उसके पास तक नही फटकते ऐसे किसानो ने इसे अपने फसलो का सुरक्षा कवच बनाकर कफन के प्रति फैली सारी भ्रान्तियो को दूर कर दिया हैं।
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