
ब्लॉग शब्द को सबसे पहले १९९९ में पीटर मेरहोल्ज़ ने इस्तेमाल किया था जिसे उसने १९९७ में जोर्न बेर्गेर द्वारा इस्तेमाल वी ब्लॉग शब्द से लिया था | हिंदी ब्लॉगिंग की शुरुआत 2 मार्च २००३ को हुयी थी और पहला अधिकृत ब्लॉग नौ दो ग्यारह बना |
हिंदी ब्लॉगिंग ने इन १४ सालो में बहुत से उतार चढ़ाव देखे इसमें साहित्य से ले के फोटो ब्लॉग, म्यूजिक ब्लॉग, पोडकास्ट, , वीडियो ब्लॉग, सामूहिक ब्लॉग, प्रोजेक्ट ब्लॉग, कारपोरेट ब्लॉग इत्यादि ने अपने पैर जमाए और बहुत से लोगों ने इसे सामाजिक सरोकारों से जुड़ते हुए भी जारी रखा | २००६ में मैंने भी अपना ब्लॉग अमन का पैगाम बनाया जो बहुत चर्चित रहा और अन्य ब्लॉगर का सहयोग भी इसे हासिल रहा | अमन का पैगाम ब्लॉग में ६३ से अधिक दुनिया के मशहूर ब्लॉगर ने अपने लेख और सदेश द्वारा समाज में अमन का पैगाम दिया जो अपने आपमें एक नया और कामयाब तजुर्बा था |
धीरे धीरे इस ब्लॉगजगत का भी व्यपारीकरण होने लगा और लोगों को लगा की धन कमाने का आसान माध्यम यह बन सकता है और लोगों ने पैसे ले के बड़े बड़े ब्लॉगर सम्मलेन करवाने शुरू कर दिये और पैसे ले के लोगों के लेख कवितायेँ छापनी शुरू कर दी और बहुत से लोगों ने अपने ओहदे ,ताक़त और धन के इस्तेमाल से अख़बारों में अपने ब्लॉग के बारे में छपवाना शुरू कर दिया और बिना मेहनत बड़े ब्लॉगर बन बैठे इससे जो अच्छे ब्लॉगर थे उनको ठेस लगी और वे हतोत्साहित हुए और साथ ही साथ वो समझ गए यहाँ भी साहित्य और सामाजिक सरोकारों से जुड़ के इमानदार लेखनी की क़दर नहीं होने लगी है | धन और ताक़त के बल पे साहित्यकार ,कवि और बड़ा ब्लॉगर बनने के इस चलन ने हिंदी ब्लॉगजगत को बहुत पीछे धकेल दिया और ब्लॉगर के जोश में कमी आने लगी | इसी बीच फेसबुक ने अपना पैर सोशल मीडिया में ज़माना शुरू कर दिया था और ब्लॉगजगत के नाराज़ ब्लॉगर ने अपने ब्लॉग पे लिखने की जगह फेसबुक पे लिखना शुरू कर दिया |
बहुत से ब्लॉगर आज भी अपने ब्लॉग पे लिखते रहते हैं लेकिन अब वहाँ कमेन्ट कम आते हैं और अंत पे उन्हें पाठक तलाशने के लिए फेसबुक का सहारा लेना पड़ता है | हिंदी ब्लॉग जगत का भविष्य कुछ ऐसा है की आज कुछ ही ब्लॉगर ऐसे हैं जो हिम्मत नहीं हारे हैं और इस आशा में की दिन ब्लॉग के पलटेंगे अपनी लेखनी का करिश्मा अपने अपने ब्लॉग पे दिखा रहे हैं | इन्ही में मेरा भी एक ब्लॉग अमन का पैगाम है नौ वर्ष पूरे हो चुके हैं |
ब्लॉगजगत एक तरफ फिर से ताक़त हासिल करने में लगा है इसी बीच चौथा खम्बा कहे जाने वाले पर्त्रकारिता करने वालों का ध्यान अंतरजाल पे अपना आसन जमे ब्लॉगर ने आकर्षित किया और उन्हें लगा की क्यूँ न वेब पत्रकारिता के लिए इस प्लातेफ़ोर्म का इस्तेमाल किया जाय | क्यूँ की यहाँ आजादी थी जहां आप अपने पोर्टल के खुद पत्रकार, खुद ही संपादक और खुद रिपोर्टर हुआ करते हैं और अगर एडवरटाइजर से कुछ धन आया वो पूरा आपका होता है |
आर्काइव में पुरानी चीजें यथा मुद्रण सामग्री, फिल्म, आडियो जमा होती रहती हैं जिसे जब कभी सुविधानुसार पढ़ा जा सकता है. ऑनलाइन पत्रकारिता में मल्टीमीडिया का प्रयोग होता है जिसमें, टैक्स्ट, ग्राफिक्स, ध्वनि, संगीत, गतिमान वीडियो, थ्री-डी एनीमेशन, रेडियो ब्रोडकास्टिंग, टीव्ही टेलीकास्टिंग प्रमुख हैं. और यह सब ऑनलाइन होता है, यहाँ तक कि पाठकीय प्रतिक्रिया भी. कहने का वेब मीडिया में मतलब प्रस्तुतिकरण और प्रतिक्रियात्मक गतिविधि एवं सब कुछ ऑनलाइन होता है. परंपरागत प्रिंट मीडिया एट ए टाइम संपूर्ण संदर्भ पाठकों को उपलब्ध नहीं करा सकता किन्तु ऑनलाइन पत्रकारिता में वह भी संभव है|
जौनपुर में ब्लॉगर बहुत अधिक नहीं थे क्यूँ की इन्टरनेट यहाँ का युवा तो इस्तेमाल करता है लेकिन साहित्यकार, लेखक जिनकी उम्र अधिक होती है कम ही इस्तेमाल करते हैं | डॉ मनोज मिश्र का माँ पलायनम और मेरा अमन का पैगाम जौनपुर के पहले ब्लोग्स में गिना जाता है |
जब मैंने आज से सात वर्ष पहले यहाँ के लोगों को जागरूक करना शुरू किया तो पहले लेखको और साहित्यकारों तक पहुंचा लेकिन उन्होंने अंतर्जाल की दुनिया पे अंतरजाल की जानकारी न होने के काराण आना पसंद नहीं किया जबकि उन्हें इस बात में बहुत अधिक रूचि दिखी की उनकी किताब ऑनलाइन हो के दुनिया तक पहुंचे |
फिर मैंने यहाँ के पत्रकारों को जागरूक करना शुरू किया और कई वेब न्यूज़ पोर्टल बने जिन्हें मैंने स्वम उनको इसकी ताक़त दिखाने के लिए बनाया और तब से आज तक मशरूम की तरह सैकड़ों न्यूज़ वेब पोर्टल बन गए | लेकिन आज भी अच्छे पत्रकारों के वेब न्यूज़ पोर्टल की कमी को महसूस किया जा सकता है या आप कहलें की धन कमाने के लिए तो बहुत से वेब न्यूज़ पोर्टल बने लेकिन पत्रकारीता के लिए बहुत कम वेब न्यूज़ पोर्टल बने और यही कारण है की कॉपी पेस्ट और एक ही तरह की खबरें और एक जैसे टाइटल आप हर पोर्टल पे देख सकते हैं | सही और विश्वसनीय खबर देने की जगह लोगों में चर्चा का विषय बनने वाली ख़बरों में लोगों की रूचि अधिक नज़र आती है |
लेकिन मुझे ख़ुशी है की कुछ पत्रकार इस मामले में बड़े सीरियस हैं और बेहतरीन वेब न्यूज़ पोर्टल चला रहे हैं और इस पोर्टल पे विडियो और तस्वीरों का बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं और जौनपुर में एक पहचान और नाम बना सके हैं |
वेब न्यूज़ पोर्टलचलाने वालों से यही कहूँगा पत्रकार बने, खुद न्यूज़ बनाएं और मेहनत करते हुए इसे अपने अखबार की तरह चलायें जहां मालिक भी आप संपादक भी आप और पत्रकार भी आप ही हैं | वेब न्यूज़ पोर्टल चलाने वालों को चाहिए की अपनी अलग पहचान अपनी लेखनी और मेहनत से बनाएं और जितने भी वेब न्यूज़ पोर्टल बने हैं उन सब को एक दुसरे के साथ लिंक शेयर करना चाहिए जिस से अंतरजाल पे उन सबकी पकड़ एक जैसी हो |और जब पाठको का विशवास जीत लेंगे तो पैसा अवश्य आयगा इसलिए सिर्फ कुछ पैसा कमाने के लिए नहीं इमानदार पत्रकारिता के लिए इसे चलायें और फिर देखिएं ताक़त भी मिलेगी और धन भी और वो सब केवल आपकी मेहनत के बदले मिलेगा |
लेखक एस एम् मासूम

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बहुत अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंब्लॉग चलते रहने चाहिए ताकि हिंदी का प्रचार-प्रसार बढे