ये मंदिर गोमती नदी के उत्तरी तट पे क़िले पे पश्चिम और दख्खीन के कोने पे है | सद्भावना पुल के कोने पे ये मंदिर स्थित है जो देखने में अब सुएक आम मंदिर जैसा ही दिखता है । देख कोई ये नहीं कह सकता कि ये बहुत पुराना मंदिर है । वहां मजूद पुजारी जी ने बड़े प्रेम से इस मंदिर में बताया लेकिन वो भी इसे १२५ साल पुराण ही बता सके । ये जौनपुर का प्राचीनतम मंदिर है जो जौनपुर आबाद होने के बहुत पहले निर्माण हुआ था | इस समय मंदिर का प्राचीन भवन मौजूद नही है लेकिन पत्थर की ठोस मूर्ती जो बडे आकार की है आज भी मौजूद है |
इसके बारे मे मशहूर है की अयोध्या के राजा राम चंद्र जी के काल मे यहा करार बीर नामक दुष्ट रहता था जो आने जाने वाले यात्रियो को कष्ट पहुचाता था | राजा राम चंद्र को जब पता लगा तो यहा आ के उसकी हत्या कर दी और लोगो को कष्ट से मुक्ती दिल्वाई | सन ११६८ ईसवी मे राजा विजय चंद्र ने करार बीर का मंदिर बनवाया | लेकिन राजा विजय चंद्र ने करार बीर का मंदिर बनवाया इस संबंध मे मतभेद है |
ऐसे ही इस मंदिर के निर्माण और वास्तविक ढांचा टूटने के बारे में बहुत से बातें समाज में फैली हुयी हैं जिनमे आपस में मतभेद है इसलिए सही निष्कर्ष पे पहुँच पाना आसान नहीं है ।
आज यह मंदिर गोमती किनारे सद्भावना पुल के शुरू में स्थित है और लोग श्रद्धा से यहां दर्शन करने के लिए आते हैं ।
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