थक गया रात का पहरू जागकर, थक गयी स्वप्न सौरभ भरी बांसुरी
साहित्यकार स्वामीनाथ पाण्डेय नही रहे|
लम्बी बीमारी के चलते जानेमाने साहित्यकार प्रो स्वामीनाथ पाण्डेय का निधन। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने उनकी राष्ट्रीय कविताओं से प्रभावित होकर उन्हें ब्यक्तिगत पत्र लिखकर पांचजन्य के लिए मागी थी उनकी रचनायें। डोभी छेत्र के हरिहर पुर गांव स्थित अपने पैतृक आवास पर ली अंतिम सांस।
चंदवक, जौनपुर । डोभी के पत्रकार वारीन्द्र पाण्डेय के पिता एवं जानेमाने साहित्यकार प्रो. स्वामीनाथ पाण्डेय का तिरोधान शुक्रवार को प्रात: जौनपुर जनपद के हरिहरपुर गाँव स्थित साहित्य - साकेत मे उनके पैतृक आवास पर हो गया । कविता, कहानी, उपन्यास, निबन्ध एवं लघुकथा के सशक्त हस्ताक्षर प्रो. पाण्डेय हृदय एवं गुर्दा रोग से बीएचयू के गहन चिकित्सा केन्द्र मे महीनों से जीवन मृत्यु से संघर्ष कर रहे थे । उनकी इच्छा पर एक दिन पूर्व उन्हे घर लाया गया था । उनके निधन समाचार मिलते ही साहित्यकारों एवं पत्रकारों मे शोक व्याप्त हो गया ।
ज्ञातव्य है कि प्रो. पाण्डेय राष्टीय संस्कृत महाविद्यालय डोभी जौनपुर मे साहित्य विभागाध्यक्ष एवं प्राचार्य पद पर कार्यरत रहते हुये सन 1943 से साहित्य सेवा मे लगे रहे । सम्प्रति ' आज ', ' धर्मयुग ', ' दिनमांग ' , जैसे पत्रपत्रिकाओं मे अपने लेख और कविता से साहित्य जगत को समृद्ध करते रहे । पूर्व प्रधनमन्त्री ' अटल बिहारी बाजपेई ' ने उनकी राष्टीय कविताओं से प्रभावित होकर उन्हे व्यक्तिगत पत्र लिखकर पांचजन्य के लिये उनकी रचनायें मांगी थी । सन 1962 मे भारत - पकिस्तान के युद्ध के वक्त पर उन्होने रणरंगिनी नामक वीर रस का काव्य संग्रह लिखकर सेना के जवानों का उत्साहवर्धन किया । शहीदों के प्रति लिखी कविता मे ' तुम्हारे रक्त का वंदन करेंगी प्रात की किरणें ' साहित्य जगत मे खूब सराही गयी । उनकी प्रसिद्ध काव्य कृतियों मे ' विश्वविकम्पन ' , ' ज्ञानोदय ' , ' अघोर पुरुष ' तथा हाल मे प्रकशित ' खंड - खंड सेतु ' के अलावा नवगीत के उद्भव और विकास मे उनका उत्कृष्ट योगदान रहा है । इस क्रम मे ' गोमती ', ' भटके विश्वासों के स्वर ' और ' उस काली तस्वीर से ' आदि काव्य संग्रह उक्त विधा को जीवंत बनाये है ।
प्रो. पाण्डेय अपने पीछे पत्नी राधा के अलावा छ : पुत्र और पुत्रियां छोड़ गये है । मुखाग्नि उनके छोटे पुत्र वारीन्द्र पाण्डेय ने दिया ।
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लम्बी बीमारी के चलते जानेमाने साहित्यकार प्रो स्वामीनाथ पाण्डेय का निधन। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने उनकी राष्ट्रीय कविताओं से प्रभावित होकर उन्हें ब्यक्तिगत पत्र लिखकर पांचजन्य के लिए मागी थी उनकी रचनायें। डोभी छेत्र के हरिहर पुर गांव स्थित अपने पैतृक आवास पर ली अंतिम सांस।
चंदवक, जौनपुर । डोभी के पत्रकार वारीन्द्र पाण्डेय के पिता एवं जानेमाने साहित्यकार प्रो. स्वामीनाथ पाण्डेय का तिरोधान शुक्रवार को प्रात: जौनपुर जनपद के हरिहरपुर गाँव स्थित साहित्य - साकेत मे उनके पैतृक आवास पर हो गया । कविता, कहानी, उपन्यास, निबन्ध एवं लघुकथा के सशक्त हस्ताक्षर प्रो. पाण्डेय हृदय एवं गुर्दा रोग से बीएचयू के गहन चिकित्सा केन्द्र मे महीनों से जीवन मृत्यु से संघर्ष कर रहे थे । उनकी इच्छा पर एक दिन पूर्व उन्हे घर लाया गया था । उनके निधन समाचार मिलते ही साहित्यकारों एवं पत्रकारों मे शोक व्याप्त हो गया ।
ज्ञातव्य है कि प्रो. पाण्डेय राष्टीय संस्कृत महाविद्यालय डोभी जौनपुर मे साहित्य विभागाध्यक्ष एवं प्राचार्य पद पर कार्यरत रहते हुये सन 1943 से साहित्य सेवा मे लगे रहे । सम्प्रति ' आज ', ' धर्मयुग ', ' दिनमांग ' , जैसे पत्रपत्रिकाओं मे अपने लेख और कविता से साहित्य जगत को समृद्ध करते रहे । पूर्व प्रधनमन्त्री ' अटल बिहारी बाजपेई ' ने उनकी राष्टीय कविताओं से प्रभावित होकर उन्हे व्यक्तिगत पत्र लिखकर पांचजन्य के लिये उनकी रचनायें मांगी थी । सन 1962 मे भारत - पकिस्तान के युद्ध के वक्त पर उन्होने रणरंगिनी नामक वीर रस का काव्य संग्रह लिखकर सेना के जवानों का उत्साहवर्धन किया । शहीदों के प्रति लिखी कविता मे ' तुम्हारे रक्त का वंदन करेंगी प्रात की किरणें ' साहित्य जगत मे खूब सराही गयी । उनकी प्रसिद्ध काव्य कृतियों मे ' विश्वविकम्पन ' , ' ज्ञानोदय ' , ' अघोर पुरुष ' तथा हाल मे प्रकशित ' खंड - खंड सेतु ' के अलावा नवगीत के उद्भव और विकास मे उनका उत्कृष्ट योगदान रहा है । इस क्रम मे ' गोमती ', ' भटके विश्वासों के स्वर ' और ' उस काली तस्वीर से ' आदि काव्य संग्रह उक्त विधा को जीवंत बनाये है ।
प्रो. पाण्डेय अपने पीछे पत्नी राधा के अलावा छ : पुत्र और पुत्रियां छोड़ गये है । मुखाग्नि उनके छोटे पुत्र वारीन्द्र पाण्डेय ने दिया ।
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