भारत के आज़ाद होने के बाद से रजवाड़े और ज़मींदार ख़त्म हो गए लेकिन उनकी शान शौकत के गवाह उनके महालात आज भी मौजूद है | अयोध्या का नाम सुनते ही लोगों के मन में राजा दशरत का नाम याद आता है लेकिन राजा दशरथ के महल के साथ साथ अलग अलग काल के अन्य राजाओं के महल आज भी अयोध्या में अच्छी हालत में मौजूद हैं जिनमे से एक है राजा दर्शन सिंह का आलिशान महल |
इस महल को राजा ददुआ का महल कहा जाता है जिसका नाम राज सदन है | इस महल का निर्माण राजा ददुआ ने १८५६ में करवाया था | यहाँ महल अयोध्या के श्री हात इलाके में आज भी अच्छी हालत में स्थित है जिसमे राजा ददुआ के परिवार वाले रहा करते हैं | महा राजा दर्शन सिंह की इस नस्ल में महा रानी विमला देवी के दो पुत्र विमलेंद्र मोहन प्रताप सिंह और शैलेन्द्र मोहमं प्रताप सिंह हुए | इनमे से भाई विमलेंद्र मोहन प्रताप सिंह को राज गद्दी सौपी गए और कहते भाई को राज के काम सँभालने की ज़िम्मेदारी सौंपी गए जिसे वो आज भी निभा रहे हैं |विमलेंद्र मोहन प्रताप सिंह के पुत्र मशहूर साहित्य कार भी है | अब इस राज सदन को हेरिटेज होटल बनाने की तैयारी शुरू है |
इस महल को राजा ददुआ का महल कहा जाता है जिसका नाम राज सदन है | इस महल का निर्माण राजा ददुआ ने १८५६ में करवाया था | यहाँ महल अयोध्या के श्री हात इलाके में आज भी अच्छी हालत में स्थित है जिसमे राजा ददुआ के परिवार वाले रहा करते हैं | महा राजा दर्शन सिंह की इस नस्ल में महा रानी विमला देवी के दो पुत्र विमलेंद्र मोहन प्रताप सिंह और शैलेन्द्र मोहमं प्रताप सिंह हुए | इनमे से भाई विमलेंद्र मोहन प्रताप सिंह को राज गद्दी सौपी गए और कहते भाई को राज के काम सँभालने की ज़िम्मेदारी सौंपी गए जिसे वो आज भी निभा रहे हैं |विमलेंद्र मोहन प्रताप सिंह के पुत्र मशहूर साहित्य कार भी है | अब इस राज सदन को हेरिटेज होटल बनाने की तैयारी शुरू है |
दशरथ महल बड़ास्थान |
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