शहर के पूर्वी छोर पर स्थित राजा साहब का पोखरा बतौर उत्सव स्थल जाना जाता है.पोखरे के आस-पास का विस्तृत मैदान कार्तिक पूर्णिमा और विजयादशमी के अवसर पर गुलजार होता है|
इन दोनों मेलों में शहर और ग्रामीण क्षेत्रों से काफी भीड़ जुटती है.दसहरा मेला का मुख्य आकर्षण राजा जौनपुर की सवारी,रावण वध की लीला और रावण के तीन विशालकाय पुतलों का दहन रहा है.हालांकि अब जगह-जगह दसहरा मेले के आयोजन से यहां के परम्परागत दसहरा मेले की रौनक पर असर पड़ा है.इस पक्के पोखरे पर जलाशय के चारों तरफ नहाने के बाद कपड़ा बदलने,गीले कपड़े सुखाने,पूजा-पाठ करने और सूर्य की धूप लेने जैसे कामों के लिए पर्याप्त स्थान एवं व्यवस्थाएं हैं.अब सरकार द्वारा इसे प्राचीन धरोहर के रूप में संरक्षित किया जा रहा है.हाल ही में
पर्यटन विभाग और प्रशासन ने इसका सुन्दरीकरण कराया है|
इन दोनों मेलों में शहर और ग्रामीण क्षेत्रों से काफी भीड़ जुटती है.दसहरा मेला का मुख्य आकर्षण राजा जौनपुर की सवारी,रावण वध की लीला और रावण के तीन विशालकाय पुतलों का दहन रहा है.हालांकि अब जगह-जगह दसहरा मेले के आयोजन से यहां के परम्परागत दसहरा मेले की रौनक पर असर पड़ा है.इस पक्के पोखरे पर जलाशय के चारों तरफ नहाने के बाद कपड़ा बदलने,गीले कपड़े सुखाने,पूजा-पाठ करने और सूर्य की धूप लेने जैसे कामों के लिए पर्याप्त स्थान एवं व्यवस्थाएं हैं.अब सरकार द्वारा इसे प्राचीन धरोहर के रूप में संरक्षित किया जा रहा है.हाल ही में
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