कर्बला में इमाम हुसैन (अ.स) का सामना एक ज़ालिम बादशाह की फ़ौज से हुआ और उन्होने शहादत पायी और शहीद हो के दुनिया को यह बता गए ज़ुल्म ना तो इंसानियत का नाम है और ना ही इस्लाम ।
दशहरे के अवसर पे भी रावण का पुतला जला के यही पैग़ाम दिया जाता है कि ज़ुल्म और अत्याचार धर्म नहीं अधर्म है ।
आइये हम सब भी मुहर्रम और दशहरे के पैग़ाम को ध्यान में रखते हुए ज़ुल्म और ज़ालिम से दूर रहे और समाज में प्रेम और भाईचारे का संदेश दें यही इस दोनों को मनाने का सबसे बेहतरीन तरीका है ।
.... एस एम मासूम
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