डॉ मनोज मिश्र जी से मेरी जान पहचान उस समय हुई जब मैंने जौनपुर से जुड कर काम करना शुरू किया और जौनपुर कि वेबसाइट तथा जौनपुर ब्लॉगर अस्सोसिअशन बनाया | डॉ मनोज मिश्रा जी का जौनपुर से प्रेम देख कर मुझे बड़ी खुशी हुई और लगा कि मुझे एक ऐसा साथी मिल गया जो जौनपुर को विश्व से जोड़ने में मेरा साथ देगा और मेरा सोंचना सत्य साबित हुआ |
डॉ मनोज मिश्रा जी का पूरा परिवार नाम और शोहरत से दूर भागता रहता है | मुझे लगा यह बड़ी नाइंसाफी है| डॉ मनोज जी का परिवार जौनपुर का एक ऐसा परिवार है जिसका जौनपुर के लिए बड़ा योगदान रहा है | आज आप सभी को इस परिवार से रूबरू करवाते समय मुझे बड़ी खुशी हों रही है |
आप सभी डॉ अरविन्द मिश्रा और डॉ मनोज मिश्रा जी को उनके ब्लॉग पे पढ़ा करते हैं लेकिन यह बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इनकी परवरिश कैसे परिवार में हुई. डॉ अरविन्द मिश्रा और डॉ मनोज मिश्रा जी का परिवार जौनपुर जनपद का चिकित्सा परिवार के रूप में जाना जाता है. इनके परिवार की चार पीढीयाँ चिकित्सा कर्म में पिछले सौ सालों से लगी है.आप के परदादा पंडित द्वारिका प्रसाद मिश्र,दादा पंडित उदरेश मिश्र पूर्वांचल के महान वैद्य थे.आपके चाचा भी जहाँ चिकित्सा कर्म से जुड़े हैं वहीं दूसरे चाचा डॉ सरोज कुमार मिश्र लम्बे समय तक नासा अमेरिका में उच्च पदस्त वैज्ञानिक थे और आज भी वे अपनेँ अनुसन्धान से भारत का नाम अमेरिका में रोशन कर रहे है.
डॉ अरविन्द मिश्रा और डॉ मनोज मिश्रा जी के पिता स्व डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्र सही मायने में महान इंसान थे | उच्च विचार, वाले डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्र जी का मानवीय व्यक्तित्व बहुत ही पारदर्शी हुआ करता था | उनकी शिक्षा -दीक्षा इलाहाबाद विश्विद्यालय ,कलकत्ता विश्वविद्यालय और बनारस काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई थी.उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और साहित्य के उद्भट विद्वान् प्रोफेसर विष्णुकांत शास्त्री कलकत्ता विश्वविद्यालय में उनके गुरु हुआ करते थे. सन 1962 में जब लोग हाई स्कूल भी नही पढ़ पाते थे तब डॉ मिश्र कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्यापन की नौकरी छोड़ गाँव-घर की पुकार पर वापस अपनेँ समाज की सेवा के लिए घर आ गये.अपने आचरण व्यवहार ,निर्णय ,समर्थन -असमर्थन में वे हमेशा पारदर्शी रहे | उन के व्यवहार में व्यवहार में कृत्रिमता कभी नहीं पाई गयी | डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्र जी एक कुशल चिकित्सक के साथ साथ साहित्य लेखन समाज उपयोगी किर्याकलापो ,पत्रकारिता एवं सामाजिक कल्याण के कामो में भी रूचि रखते थे |सत्तर से लेकर नब्बे के दशक तक शायद ही कोई राष्ट्रीय पत्र न रहा हो जिसमें डॉ साहब के विचारोत्तेजक आलेख न प्रकाशित हुए हों.दिनमान-रविवार जैसी पत्रिकाओं नें उन्हें कई बार पुरष्कृत भी किया था. इसी कारण से उनके बड़े पुत्र डॉ अरविन्द मिश्रा विज्ञानं से और छोटे पुत्र डॉ मनोज मिश्रा पत्रकारिता से जुड सके |
डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्र जी जौनपुर जनपद के बहु प्रतिष्ठित व्यक्ति थे .एक कुशल चिकित्सक के साथ वे सामाजिक क्रिया कलापों में जनपद से लेकर प्रदेश भर विभिन्न संगठनों के माध्यम से सक्रिय रहते थे. यही नहीं अपनी तमाम व्यस्तताओं के वावजूद गाँव में भी वे अपनी ग्राम सभा चुरावनपुर तेलीतारा के लगातार तीन दशकों तक ग्राम प्रधान एवं सरपंच भी बने रहे जो उनकी लोकप्रियता को बताता है.उनके सामने कोई ग्राम प्रधान/सरपंच का चुनाव इसलिए नहीं लड़ता था कि वे दबंग छवि वाले व्यक्ति थे बल्कि इसलिए कि उन सामान योग्य कोई और नहीं था और लोग सामूहिक रूप से उनसे निवेदन किया करते थे कि आप ही ग्राम प्रधान/सरपंच बने रहे | लोग आज भी क्षेत्र मेंउनके द्वारा कराए गए विकास कार्यों को लेकर याद करते हैं . वे गाँधी जी के सेवा मार्ग के अडिग विश्वासी थे और कांग्रेसी थे| वे अपने विचारों को तर्क पूर्ण निबन्धों,लेखों, लघु लेखों ,एवं कविताओं द्वारा व्यक्त भी किया करते थे | उनके लेख ,निबंध और कविताएँ हजारो पत्र पत्रिकाओं में छपा करती थी | उनके दोनों पुत्रों डॉ अरविन्द मिश्र और डॉ मनोज मिश्रा को यह ब्लॉगजगत पहचानता है | जल्द ही इस परिवार के इन दोनों भाइयों के बारे में और इनके चाचा डॉ सरोज मिश्रा जी का विज्ञान के छेत्र में क्या योगदान रहा आप सभी के सामने पेश करूँगा |
डॉ मनोज मिश्रा जी का पूरा परिवार नाम और शोहरत से दूर भागता रहता है | मुझे लगा यह बड़ी नाइंसाफी है| डॉ मनोज जी का परिवार जौनपुर का एक ऐसा परिवार है जिसका जौनपुर के लिए बड़ा योगदान रहा है | आज आप सभी को इस परिवार से रूबरू करवाते समय मुझे बड़ी खुशी हों रही है |
आप सभी डॉ अरविन्द मिश्रा और डॉ मनोज मिश्रा जी को उनके ब्लॉग पे पढ़ा करते हैं लेकिन यह बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इनकी परवरिश कैसे परिवार में हुई. डॉ अरविन्द मिश्रा और डॉ मनोज मिश्रा जी का परिवार जौनपुर जनपद का चिकित्सा परिवार के रूप में जाना जाता है. इनके परिवार की चार पीढीयाँ चिकित्सा कर्म में पिछले सौ सालों से लगी है.आप के परदादा पंडित द्वारिका प्रसाद मिश्र,दादा पंडित उदरेश मिश्र पूर्वांचल के महान वैद्य थे.आपके चाचा भी जहाँ चिकित्सा कर्म से जुड़े हैं वहीं दूसरे चाचा डॉ सरोज कुमार मिश्र लम्बे समय तक नासा अमेरिका में उच्च पदस्त वैज्ञानिक थे और आज भी वे अपनेँ अनुसन्धान से भारत का नाम अमेरिका में रोशन कर रहे है.
डॉ अरविन्द मिश्रा और डॉ मनोज मिश्रा जी के पिता स्व डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्र सही मायने में महान इंसान थे | उच्च विचार, वाले डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्र जी का मानवीय व्यक्तित्व बहुत ही पारदर्शी हुआ करता था | उनकी शिक्षा -दीक्षा इलाहाबाद विश्विद्यालय ,कलकत्ता विश्वविद्यालय और बनारस काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई थी.उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और साहित्य के उद्भट विद्वान् प्रोफेसर विष्णुकांत शास्त्री कलकत्ता विश्वविद्यालय में उनके गुरु हुआ करते थे. सन 1962 में जब लोग हाई स्कूल भी नही पढ़ पाते थे तब डॉ मिश्र कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्यापन की नौकरी छोड़ गाँव-घर की पुकार पर वापस अपनेँ समाज की सेवा के लिए घर आ गये.अपने आचरण व्यवहार ,निर्णय ,समर्थन -असमर्थन में वे हमेशा पारदर्शी रहे | उन के व्यवहार में व्यवहार में कृत्रिमता कभी नहीं पाई गयी | डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्र जी एक कुशल चिकित्सक के साथ साथ साहित्य लेखन समाज उपयोगी किर्याकलापो ,पत्रकारिता एवं सामाजिक कल्याण के कामो में भी रूचि रखते थे |सत्तर से लेकर नब्बे के दशक तक शायद ही कोई राष्ट्रीय पत्र न रहा हो जिसमें डॉ साहब के विचारोत्तेजक आलेख न प्रकाशित हुए हों.दिनमान-रविवार जैसी पत्रिकाओं नें उन्हें कई बार पुरष्कृत भी किया था. इसी कारण से उनके बड़े पुत्र डॉ अरविन्द मिश्रा विज्ञानं से और छोटे पुत्र डॉ मनोज मिश्रा पत्रकारिता से जुड सके |
डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्र जी जौनपुर जनपद के बहु प्रतिष्ठित व्यक्ति थे .एक कुशल चिकित्सक के साथ वे सामाजिक क्रिया कलापों में जनपद से लेकर प्रदेश भर विभिन्न संगठनों के माध्यम से सक्रिय रहते थे. यही नहीं अपनी तमाम व्यस्तताओं के वावजूद गाँव में भी वे अपनी ग्राम सभा चुरावनपुर तेलीतारा के लगातार तीन दशकों तक ग्राम प्रधान एवं सरपंच भी बने रहे जो उनकी लोकप्रियता को बताता है.उनके सामने कोई ग्राम प्रधान/सरपंच का चुनाव इसलिए नहीं लड़ता था कि वे दबंग छवि वाले व्यक्ति थे बल्कि इसलिए कि उन सामान योग्य कोई और नहीं था और लोग सामूहिक रूप से उनसे निवेदन किया करते थे कि आप ही ग्राम प्रधान/सरपंच बने रहे | लोग आज भी क्षेत्र मेंउनके द्वारा कराए गए विकास कार्यों को लेकर याद करते हैं . वे गाँधी जी के सेवा मार्ग के अडिग विश्वासी थे और कांग्रेसी थे| वे अपने विचारों को तर्क पूर्ण निबन्धों,लेखों, लघु लेखों ,एवं कविताओं द्वारा व्यक्त भी किया करते थे | उनके लेख ,निबंध और कविताएँ हजारो पत्र पत्रिकाओं में छपा करती थी | उनके दोनों पुत्रों डॉ अरविन्द मिश्र और डॉ मनोज मिश्रा को यह ब्लॉगजगत पहचानता है | जल्द ही इस परिवार के इन दोनों भाइयों के बारे में और इनके चाचा डॉ सरोज मिश्रा जी का विज्ञान के छेत्र में क्या योगदान रहा आप सभी के सामने पेश करूँगा |
जौनपुर ब्लागर्स डाक्टर मनोज मिश्र और अरविन्द मिश्र के संबंध में और उनके पिता के बारे में काफी सारगर्भित जानकारी देने के लिए आभार ....
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