उत्तर भारतीय खासकर पूर्वी लोकगीतों में पूरी पूरी सामजिक व्यवस्था के दर्शन होते है। जब भाई अपनी बहन के घर जाता है, तो बहन अपना दुख बता लेने के बाद भाई से कहती है, 'ये दुख किसी से मत कहना। ये दुख माँ से मत कहना, वह रोएगी,पिताजी से भी न कहना वो भी रोयेंगे। ये सारे दुख अगुआ से कहना, उसी ने ऐसे घर में मेरा ब्याह कराया।'
मँचिया बइठलि अम्मा रोईहनि हो राम
ईहो दुख ए भइया बाबा अगवाँ जनि कहिहा
सभवा बइठल बाबा रोईहनि हो राम
ईहो दूख ए भइया अगुवा अगवाँ कहिह
जिनि अगुआ कइलऽ मोर बीयहवा हो राम
यह गीत श्रीमती विजय लक्ष्मी ने गाया है जोकि डॉ पवन विजय की माँ हैं।
Dr. Pawan K. Mishra
Associate Professor of Sociology
Delhi Institute of Rural Development
New Delhi.
91-9540256540
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