आज इन्टरनेट का युग है और अब तो यहाँ देश विदेश के सामान भी लोग इन्टरनेट से खरीदा करते हैं| बड़े शहरों में तो जो चाहिए इन्टरनेट से आर्डर करें और आपके घर सामान तुरंत आ जाता है यहाँ तक की खाना भी नेट से आर्डर किया जाता है | ऐसे समय में अब इस बात की आवश्यकता महसूस की जा रही है की लोग इन्टरनेट का सही इस्तेमाल करना जानें जिस से उनके व्यापार में भी फायदा हो और उपभोक्ताओं का भी भला हो |
जौनपुर में बिजली की खराब हालत और लैपटॉप की पहुँच कम लोगों तक होने के कारण लोगों की पहुँच इन्टरनेट तक हर समय रह पाना संभव नहीं हुआ करता और यही एक कारण है की लोग इन्टरनेट का इस्तेमाल अपने मोबाइल फ़ोन से किया करते हैं जिसमे से उनका अधिक समय सोशल साइट्स पे गुज़रता है जिसमे से फेसबुक और Youtube मुख्य है | लेकिन इनका सही उपयोग नहीं हो पाटा और समय इधर उधर की बेकार बातों में ही गुज़र जाता है |
जौनपुर को विश्व से जोड़ने की तमन्ना मेरे दिल में उस समय से थी जब १९९७ में मैंने इन्टरनेट का इस्तेमाल सीखा और इसकी उपयोगिता को पहचाना लेकिन मेरा यह सपना पूरा हुआ २०१० में जब मैंने जौनपुर की दो वेबसाइट अंग्रेजी और हिंदी में "जौनपुर सिटी डॉट इन" और "हमारा जौनपुर डॉट कॉम" की शुरुआत की और आज पाठकों के सहयोग से ४-५ हज़ार से अधिक लोग इनको देखते हैं | हमारी इन वेबसाइट के ऑनलाइन होते ही मेरे पास दूर दूर से मुबारकबाद के फ़ोन आने लगे और लोग दूर बैठे अपने वतन जौनपुर के बारे में यहाँ के समाज के बारे में , इतिहास को जानने लगे |
ऐसे में मुझे मेरा सपना पूरा होते दिखने लगा और मैंने इन्टरनेट और इसके इस्तेमाल के बारे में लोगों को बताने का प्रयास शुरू कर दिया | डॉ मनोज मिश्र का मैं हमेशा आभारी रहूँगा की उन्होंने मुझे vbspu की कार्यशाला में अपनी बात रखने का अवसर दिया और उस समय के कुलपति सुन्दरलाल जी का सहयोग भी मुझे मिला | विश्वविद्यालय में मेरे लेक्चर को लोगों ने पसंद किया और बहुत से लोग आगे आये और आज अपना blog कामयाबी के साथ चला रहे हैं |
हमारे पत्रकार भाइयों ने भी मुझे बहुत सहयोग दिया लेकिन मुझसे इस ज्ञान को सीखने में अधिक रूचि नहीं दिखा सके शायद इसका कारण वेबसाइट और blog की ताक़त की पहचान अभी तक उन्हें नहीं थी या मुंबई रहने के कारण मुझ तक उनकी पहुँच नहीं हो सकी | जौनपुर के लोगों की स्टूडेंट और पत्रकारों की ३५ से अधिक वेबसाइट मैंने बनायीं जिसमे से अधिकतर केवल इसलिए बनायीं की उन्हें इसकी अहमियत का अंदाज़ा हो जाये | लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने में इसकी अहमियत को पहचाना जैसे विश्वविद्यालय ने , मौलाना सफ़दर साहब ने , और राजेश श्रीवास्तव जी ने और अरुण जी ने इसकी अहमियत को पहचाना और आज वे अपनी वेबसाइट और ब्लॉग कामयाबी के साथ चला रहे हैं |
अब दो सवाल सामने आता है की कैसे वेबसाइट शुरू करें और क्यूँ शुरू करें ?
आप यदि पत्रकार हैं, या आपका व्यापार है, या आप लेखक हैं तो आपकी पहली आवश्यकता यह है की आप अपनी बात लोगों तक पहुंचाएं | जिसमे लिए अक्सर लोग सोशल वेबसाइट का इस्तेमाल करते हैं और अपनी बात लोगों तक कुछ समय के लिए पहुंचा लेते हैं लेकिन अपनी कुछ भी पहचान नहीं बना पाते बल्कि उस सोशल वेबसाइट के विजिटर बढ़ाते जाते हैं और उनका फायदा अनजाने में करते जाते हैं | सही तरीका यह है की आप अपनी वेबसाइट बनाएं और उसको सोशल मीडिया के इस्तेमाल से आगे बढाते जायें जिससे आपकी अपनी वेबसाइट पे लोगों का आना जान बढे और आपकी दुनिया में एक पहचान बने | जैसे मैंने जब वेबसाइट बनायी तो उसे लोगों तक पहुंचाने के लिए google, youtube और फेसबुक का इस्तेमाल किया और आज ५-६ हज़ार से अधिक लोग हर दिन मेरी जौनपुर की वेबसाइट पे आते हैं क्यूंकि वो अब इसे पहचान गए हैं | फेसबुक पे पेज बना के भी आप ऐसा कर सकते हैं|
आप की वेबसाइट पे हर दिन जिनते लोग आयेंगे उतनी ही उसकी कीमत होगी और विज्ञापन की कीमत होगी | इस बात को समझाने के लिए मैंने जौनपुर बाज़ार का पेज बनाया जिसका फायदा जल्द लोगों को मिलना शुरू हो जायेगा | जौनपुर के फेसबुक पेज पे जैसे ही एक विज्ञापन जाता है इसे १-२ घंटे में ही जौनपुर के ५-७०० लोग देख लिया करते हैं | इसे से आप अंदाज़ा लगा लें की क्या इससे अधिक तेज़ी से कोई विज्ञापन लोगों तक पहुँच समता है ? नहीं पहुँच संकट बस आवश्यकता है तो इस वेबसाइट और blog की ताक़त को पहचानने की और इसके सही इस्तेमाल जो समझने की |
अब सवाल यह उठता है की कैसे वेबसाइट या blog बनाया जाए ?
वेबसाइट या blog को बनाने के लिए अधिकतर लोग webdesigner की मदद लिया करते हैं जो अक्सर इतना चार्ज करता है की छोटे व्यापारी , पत्रकार इसके इस्तेमाल का इरादा त्याग देते हैं | और यदि एक बार वेबसाइट या blog बनवा भी लिया तो उसे बार बार अपडेट करने का चार्ज भरी बढ़ने लगता है |
जबकि आप खुद चाहें तो ज़रा सी मेहनत से वेबसाइट बना भी सकते हैं और हमेशा इसे वैसे ही अपडेट कर सकते हैं जैसे आप फेसबुक पे किया करते हैं | और खर्चा २५० से ५०० रुपये महिना से अधिक नहीं आएगा | इतना खर्चा करके आप कम से कम २-३ हज़ार रुपये केवल ६-७ महीने की म्हणत के बाद विज्ञापन इत्यादि से कमाना शुरू कर सकते है यदि आपका संपर्क समाज में है तो और यदि नहीं है तो अंग्रेजी की वेबसाइट बना के google से adv खुद मिलने लगते हैं जब आपके विजिटर बढ़ने लगते हैं |
जब भी मेरा अगले बार जौनपुर आना हुआ तो अबश्य यहाँ के लोगों को इसके बारे में अधिक जानकारी देने की कोशिश करूँगा जिसे यहाँ के लोग विश्व से जुड़ सकें और कुछ आमदनी भी कर सकें| जौनपुर के व्यापारियों को आज इसकी अह्म्मियत समझने की आवश्यकता अवश्य है |
जौनपुर का youtube चैनल
जौनपुर शहर फेसबुक पेज
जौनपुर शहर व्यापार पेज
एस एम् मासूम
संपर्क : smma50@gmail.com
09452060283
एडमिन
जौनपुर में बिजली की खराब हालत और लैपटॉप की पहुँच कम लोगों तक होने के कारण लोगों की पहुँच इन्टरनेट तक हर समय रह पाना संभव नहीं हुआ करता और यही एक कारण है की लोग इन्टरनेट का इस्तेमाल अपने मोबाइल फ़ोन से किया करते हैं जिसमे से उनका अधिक समय सोशल साइट्स पे गुज़रता है जिसमे से फेसबुक और Youtube मुख्य है | लेकिन इनका सही उपयोग नहीं हो पाटा और समय इधर उधर की बेकार बातों में ही गुज़र जाता है |
जौनपुर को विश्व से जोड़ने की तमन्ना मेरे दिल में उस समय से थी जब १९९७ में मैंने इन्टरनेट का इस्तेमाल सीखा और इसकी उपयोगिता को पहचाना लेकिन मेरा यह सपना पूरा हुआ २०१० में जब मैंने जौनपुर की दो वेबसाइट अंग्रेजी और हिंदी में "जौनपुर सिटी डॉट इन" और "हमारा जौनपुर डॉट कॉम" की शुरुआत की और आज पाठकों के सहयोग से ४-५ हज़ार से अधिक लोग इनको देखते हैं | हमारी इन वेबसाइट के ऑनलाइन होते ही मेरे पास दूर दूर से मुबारकबाद के फ़ोन आने लगे और लोग दूर बैठे अपने वतन जौनपुर के बारे में यहाँ के समाज के बारे में , इतिहास को जानने लगे |
ऐसे में मुझे मेरा सपना पूरा होते दिखने लगा और मैंने इन्टरनेट और इसके इस्तेमाल के बारे में लोगों को बताने का प्रयास शुरू कर दिया | डॉ मनोज मिश्र का मैं हमेशा आभारी रहूँगा की उन्होंने मुझे vbspu की कार्यशाला में अपनी बात रखने का अवसर दिया और उस समय के कुलपति सुन्दरलाल जी का सहयोग भी मुझे मिला | विश्वविद्यालय में मेरे लेक्चर को लोगों ने पसंद किया और बहुत से लोग आगे आये और आज अपना blog कामयाबी के साथ चला रहे हैं |
हमारे पत्रकार भाइयों ने भी मुझे बहुत सहयोग दिया लेकिन मुझसे इस ज्ञान को सीखने में अधिक रूचि नहीं दिखा सके शायद इसका कारण वेबसाइट और blog की ताक़त की पहचान अभी तक उन्हें नहीं थी या मुंबई रहने के कारण मुझ तक उनकी पहुँच नहीं हो सकी | जौनपुर के लोगों की स्टूडेंट और पत्रकारों की ३५ से अधिक वेबसाइट मैंने बनायीं जिसमे से अधिकतर केवल इसलिए बनायीं की उन्हें इसकी अहमियत का अंदाज़ा हो जाये | लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने में इसकी अहमियत को पहचाना जैसे विश्वविद्यालय ने , मौलाना सफ़दर साहब ने , और राजेश श्रीवास्तव जी ने और अरुण जी ने इसकी अहमियत को पहचाना और आज वे अपनी वेबसाइट और ब्लॉग कामयाबी के साथ चला रहे हैं |
अब दो सवाल सामने आता है की कैसे वेबसाइट शुरू करें और क्यूँ शुरू करें ?
आप यदि पत्रकार हैं, या आपका व्यापार है, या आप लेखक हैं तो आपकी पहली आवश्यकता यह है की आप अपनी बात लोगों तक पहुंचाएं | जिसमे लिए अक्सर लोग सोशल वेबसाइट का इस्तेमाल करते हैं और अपनी बात लोगों तक कुछ समय के लिए पहुंचा लेते हैं लेकिन अपनी कुछ भी पहचान नहीं बना पाते बल्कि उस सोशल वेबसाइट के विजिटर बढ़ाते जाते हैं और उनका फायदा अनजाने में करते जाते हैं | सही तरीका यह है की आप अपनी वेबसाइट बनाएं और उसको सोशल मीडिया के इस्तेमाल से आगे बढाते जायें जिससे आपकी अपनी वेबसाइट पे लोगों का आना जान बढे और आपकी दुनिया में एक पहचान बने | जैसे मैंने जब वेबसाइट बनायी तो उसे लोगों तक पहुंचाने के लिए google, youtube और फेसबुक का इस्तेमाल किया और आज ५-६ हज़ार से अधिक लोग हर दिन मेरी जौनपुर की वेबसाइट पे आते हैं क्यूंकि वो अब इसे पहचान गए हैं | फेसबुक पे पेज बना के भी आप ऐसा कर सकते हैं|
आप की वेबसाइट पे हर दिन जिनते लोग आयेंगे उतनी ही उसकी कीमत होगी और विज्ञापन की कीमत होगी | इस बात को समझाने के लिए मैंने जौनपुर बाज़ार का पेज बनाया जिसका फायदा जल्द लोगों को मिलना शुरू हो जायेगा | जौनपुर के फेसबुक पेज पे जैसे ही एक विज्ञापन जाता है इसे १-२ घंटे में ही जौनपुर के ५-७०० लोग देख लिया करते हैं | इसे से आप अंदाज़ा लगा लें की क्या इससे अधिक तेज़ी से कोई विज्ञापन लोगों तक पहुँच समता है ? नहीं पहुँच संकट बस आवश्यकता है तो इस वेबसाइट और blog की ताक़त को पहचानने की और इसके सही इस्तेमाल जो समझने की |
अब सवाल यह उठता है की कैसे वेबसाइट या blog बनाया जाए ?
वेबसाइट या blog को बनाने के लिए अधिकतर लोग webdesigner की मदद लिया करते हैं जो अक्सर इतना चार्ज करता है की छोटे व्यापारी , पत्रकार इसके इस्तेमाल का इरादा त्याग देते हैं | और यदि एक बार वेबसाइट या blog बनवा भी लिया तो उसे बार बार अपडेट करने का चार्ज भरी बढ़ने लगता है |
जबकि आप खुद चाहें तो ज़रा सी मेहनत से वेबसाइट बना भी सकते हैं और हमेशा इसे वैसे ही अपडेट कर सकते हैं जैसे आप फेसबुक पे किया करते हैं | और खर्चा २५० से ५०० रुपये महिना से अधिक नहीं आएगा | इतना खर्चा करके आप कम से कम २-३ हज़ार रुपये केवल ६-७ महीने की म्हणत के बाद विज्ञापन इत्यादि से कमाना शुरू कर सकते है यदि आपका संपर्क समाज में है तो और यदि नहीं है तो अंग्रेजी की वेबसाइट बना के google से adv खुद मिलने लगते हैं जब आपके विजिटर बढ़ने लगते हैं |
जब भी मेरा अगले बार जौनपुर आना हुआ तो अबश्य यहाँ के लोगों को इसके बारे में अधिक जानकारी देने की कोशिश करूँगा जिसे यहाँ के लोग विश्व से जुड़ सकें और कुछ आमदनी भी कर सकें| जौनपुर के व्यापारियों को आज इसकी अह्म्मियत समझने की आवश्यकता अवश्य है |
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एस एम् मासूम
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