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    मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

    जौनपुर मैं विक्रमा दित्य चंद्रगुप्त मार्य के समय के सिक्कों का विशाल संग्रह

    Vikramaditya Coins
    Vikramaditya ke Samay ke Sikke
    जौनपुर जिले के मछलीशहर कस्बे में एक युवक ने सिक्को का विशाल संग्रह कर रखा है। इसके खजाने में मुगल शासन काल से लेकर आज तक के सिक्के सजोकर रखा गया हैं। हलांकि इन सिक्को का सग्रह युवक के पिता ने शुरू की थी। पिता के इस अनूठे सपने को पूरा कर रहा उसका पुत्र।

    मछलीशहर कस्बे के निवासी राधेमोहन जयसवाल के पास मौजूद इन सिक्को के खजाने में सन, 1300 ई0 से लेकर आज तक के सिक्के ,असर्फी और रूपये मौजूद हैं। विक्रमा दित्य चंद्रगुप्त मार्य, गयासुददीन तुगलक, और अंग्रेजो के टक्कसाल में छापे गये ये चांदी,पीतल और तांबे के सिक्के हमारी पुरानी संस्कृति की याद ताजा कर रही है।

    मो0 यूसूफ कुरैशी (उर्द  के जानकार मौलवी

    इन नायाब सिक्को का संग्रह करने वाले इस युवक को ये सिक्के विरासत में मिले हैं। कीमती असर्फी, मुहरे, और सिक्के राधेमोहन के पुरखों ने खोटा सिक्का समझकर कबाड़खाने में डाल दिया था। इस युवक ने जब होश सभाला तो इलाहाबाद म्यूजियम प्रभारी और कुछ जानकारो दिखाया तब इसे पता चला कि जिन्हे पूर्वजों ने खेाटा समझकर रददी की टोकरी डाल दिया था वे बेशकीमती नगीने हैं।

    राधे मोहन जयसवाल (सिक्का का शौक़ीन  )
    नये पुराने इतने ढेर सारे सिक्के देखकर कस्वेवासी भी हैरत मे है। वे भी यही नही समझ पा रहे है कि राधेमोहन इतना ढेर सारा सिक्का जुटाये कैसे। फिलहाल राधेमोहन को धन्यवाद दे रहे है।

    डा0 अब्दुल कयूम  (स्थानीय)
    अिव. राधेमोहन गुप्ता जब छोटे थे तभी से सिक्को का शौकीन थे। इनके नजर मे जो भी सिक्के आते थे वो सजोंकर रखते रहे और उन्होने सिक्का रखते समय कभी सोचा भी नही था कि ये सिक्के इतने अनमोल हैै। ये उन्हे तब पता चला कि उनके धर एक मौलवी आया और सिक्को को देखकर कहा कि ये सिक्का बहुत ही अनमोल है।

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