Vikramaditya ke Samay ke Sikke |
मो0 यूसूफ कुरैशी (उर्द के जानकार मौलवी
इन नायाब सिक्को का संग्रह करने वाले इस युवक को ये सिक्के विरासत में मिले हैं। कीमती असर्फी, मुहरे, और सिक्के राधेमोहन के पुरखों ने खोटा सिक्का समझकर कबाड़खाने में डाल दिया था। इस युवक ने जब होश सभाला तो इलाहाबाद म्यूजियम प्रभारी और कुछ जानकारो दिखाया तब इसे पता चला कि जिन्हे पूर्वजों ने खेाटा समझकर रददी की टोकरी डाल दिया था वे बेशकीमती नगीने हैं।
राधे मोहन जयसवाल (सिक्का का शौक़ीन )
नये पुराने इतने ढेर सारे सिक्के देखकर कस्वेवासी भी हैरत मे है। वे भी यही नही समझ पा रहे है कि राधेमोहन इतना ढेर सारा सिक्का जुटाये कैसे। फिलहाल राधेमोहन को धन्यवाद दे रहे है।
डा0 अब्दुल कयूम (स्थानीय)
अिव. राधेमोहन गुप्ता जब छोटे थे तभी से सिक्को का शौकीन थे। इनके नजर मे जो भी सिक्के आते थे वो सजोंकर रखते रहे और उन्होने सिक्का रखते समय कभी सोचा भी नही था कि ये सिक्के इतने अनमोल हैै। ये उन्हे तब पता चला कि उनके धर एक मौलवी आया और सिक्को को देखकर कहा कि ये सिक्का बहुत ही अनमोल है।
बहुत उम्दा जानकारी |
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक पोस्ट |