आज यार कुछ मेहरबाँ था,
उसने मुझको बुला लिया साकी,
बाद मिलने के उसके सहरा में,
हमने इक जश्न मनाया साकी,
तेरे पैमाने को रहने ही दिया,
उसने होंठो से पिलाया साकी,
आज यार कुछ मेहरबाँ था,
मैंने ख्वाबों को सजाया साकी,
उसके दीदार की तलब थी मुझे,
उसने सागर को छलकाया साकी,
आज यार कुछ मेहरबाँ था,
सीधे दिल में उतर गया साकी,
मैंने रोका भी नहीं उसको ज़रा,
जो भी करना था कर गया साकी,
आज यार कुछ मेहरबाँ था,
मेरी साँसों को छू गया साकी,
मैंने दिल से उसे सलाम किया,
ज़िन्दगी का हुआ दौराँ साकी,
आज यार कुछ मेहरबाँ था,
उसने मुझको बुला लिया साकी....
~इमरान~
emranrizvi.blogspot.com
उसने मुझको बुला लिया साकी,
बाद मिलने के उसके सहरा में,
हमने इक जश्न मनाया साकी,
तेरे पैमाने को रहने ही दिया,
उसने होंठो से पिलाया साकी,
आज यार कुछ मेहरबाँ था,
मैंने ख्वाबों को सजाया साकी,
उसके दीदार की तलब थी मुझे,
उसने सागर को छलकाया साकी,
आज यार कुछ मेहरबाँ था,
सीधे दिल में उतर गया साकी,
मैंने रोका भी नहीं उसको ज़रा,
जो भी करना था कर गया साकी,
आज यार कुछ मेहरबाँ था,
मेरी साँसों को छू गया साकी,
मैंने दिल से उसे सलाम किया,
ज़िन्दगी का हुआ दौराँ साकी,
आज यार कुछ मेहरबाँ था,
उसने मुझको बुला लिया साकी....
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