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    शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

    जौनपुर का इतिहास केवल पढ़ें नहीं देखें और सुने भी |

    जौनपुर ब्लोगेर्स और अमन का पैग़ाम की आवाज़ अर्चना चावजी को सुनें जौनपुर का इतिहास.

    जौनपुर जो "शिराज़--हिंद" के नाम से भी मशहूर हैं, भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। मध्यकाल में शर्की शासकों की राजधानी रहा जौनपुर वाराणसी (भूतपूर्व बनारस) से 58 किमी. दूर है और यह  गोमती नदी के दोनों तरफ़ फैला हुआ है। गुप्तकालीन मंदिर भी यहाँ पे पाए जाते हैं तथा  गुप्त मुद्राओं के  संग्रह के मिलने की  खबरें भी मिल चुकी हैं, जिस से ऐसा लगता है की गुप्तकाल में यह नगर व्यापार का केंद्र रहा होगा. ऐसा भी मना जाता है की जौनपुर की स्थापना सम्भवतः 11वीं शताब्दी में हुई थी, लेकिन गोमती नदी की बाढ़ से यह नष्ट हो गया . फिर से 1359 में फिरोज शाह तुगलक ने अपने चचेरे भाई सुल्तान मुहम्मद की याद में इसकी स्थापना की थी.सुल्तान मुहम्मद का वास्तविक नाम जौना खां था। इसी कारण इस शहर का नाम जौनपुर रखा गया। फिरोज शाह तुगलक का क़िला अब भी यहाँ पर मौजूद है.


    fortjaunour 1394 के आसपास मलिक सरवर ने जौनपुर को शर्की साम्राज्य के रूप में स्थापित किया और यह शर्क़ी वंश (1394-1479) के स्वतंत्र राज्य की राजधानी भी रहा है.

    चलिए आज आप को जौनपुर के किले की सैर करवाता हूँ :

    जौनपुर शहर में गोमती तट पर स्‍थि‍त इस दुर्ग का र्नि‍माण फि‍रोज शाह ने 1362 में कराया था। इस दुर्ग के भीतरी फाटक 26.5 फीट उंचा तथा 16 फीट चौड़ा है। केन्‍द्रीय फाटक 36 फीट उंचा है। इसके उपर एक वि‍शाल गुम्‍बद बना है। वर्तमान में इसका पूर्वी द्वार तथा अन्‍दर की तरफ मेहराबे आदि‍ ही बची है, जो इसकी भव्‍यता की गाथा कहती है। इसके सामने के शानदार फाटक को मुनीम खां ने सुरक्षा की दृष्‍टि‍ से बनवाया था तथा इसे नीले एवं पीले पत्‍थरों से सजाया गया था। अन्‍दर तुर्की शैली का हमाम एवं एक मस्‍जि‍द भी है। इस दुर्ग से गोमती नदी एवं नगर का मनोहर दृश्‍य दि‍खायी देता है। इब्राहि‍म बरबक द्वारा बनवाई गई मस्‍जि‍द की बनावट में हि‍न्‍दु एवं बौद्ध शि‍ल्‍प कला की छाप है.

    मध्य काल के दौरान जौनपुर, उत्तर प्रदेश में निर्मित किला अपनें आप में विषेश था,  इसके रमणीय स्वरूप की विश्च भर सरहना हुई और आगे हुये निर्माणों के लिये यह आर्दश स्वरूप बन गया। भले आज के दौर में यह जीर्ण-शीर्ण है, पर एक समय बहुत ही नई, साफ सुथरी और सराहनीय उत्कृष्ट छवियों का प्रतीक था. पुराने वैभवपूर्ण, गौरवपूर्ण उत्तरी दरवाजे आज भी अन्य जगहों पर फैले हुये हैं.

    Jaunpur Fort Intro
    Jaunpur Fort
    jaunpur
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    8 comments:

    1. यादगार सैर है मासूम भाई
      सुन्दर प्रस्तुति कि बधाई

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    2. बहुत अच्छा वर्णन और चित्र भी अच्छे हैं...बधाई

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    3. जौनपुर ब्लोगेर्स और अमन का पैग़ाम की आवाज़ अर्चना चावजी को सुनें जौनपुर का इतिहास.
      .
      Thanks Archna jee

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    4. एक बात भूल गये आप. ईस किले में इस्तेमाल कि गई सारी सामग्री जाफराबाद के किले से (जौनपुर के किले से १० किलोमीटर पूरब) ली गई हैं. जाफराबाद में कन्नौज के राजा जयचंद का किला था.

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    5. अरे तार्केश्वेर जी जाफराबाद को भूल के कैसे काम चलेगा, कभी आप के घर आया तो चाए भी नहीं मिलेगी.

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    संचालक
    एस एम् मासूम

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