प्रेम राज पुर जौनपुर में ऊंचे टीले पे स्थित एक मज़ार वहाँ के लोगों के लिए बहुत अहमियत रखती है । ये मज़ार एवज़ अली खान पीर दमकी की है जो बहुत बड़े महात्मा और ऋषि थे । इन्होने इधर उधर भटकने के बाद शार्की समय की बनायी बदीय मंज़िल में अपना स्थायी रूप से निवास स्थान बना लिया ।
इनका देहांत ५ मुहर्रम को हुआ था इसलिए आज भी वहाँ के लोग ५ मुहर्रम के यहां बड़ी अक़ीदत से आते हैं । एवज़ अली खान की यह मज़ार पीर दमकी या सय्यद बाबा के नाम से मशहूर है ।
इस वर्ष भी ५ मुहर्रम को हजरत दमक शाह बाबा का सालाना उर्स अकीदत से मनाया गया। दमक बाबा को याद करते हुए दमक शाह बाबा कमेटी की ओर से तकरीर का आयोजन किया गया, जिसमें कौमी एकता का संदेश दिया गया। तकरीर का आगाज हाफिज़ अब्दुल सलाम ने कुराने पाक की तिलावत के साथ किया। उन्होंने कहा की बाबा ने दुनिया को जो शिक्षा दी है उस पर हम सभी को अमल कर अपनी हाले जिंदगी के साथ अपनी आखिरत को भी संवारना चाहिए।
इस मौके पर अल्लाह और उसके रसूल की बारगाह में देश में भाईचारे व अमन की दुआएं मांगी।
उर्स के बाद बाबा के मजार पर कुरान ख्वानी का आयोजन किया गया। उसके बाद बाबा के मजार को गुस्ल देकर संदल की रस्म अदा की गई उर्स का समापन किया गया। इस मौके काफी संख्या में अकिदतमंदों ने भाग लिया बाबा की बारगाह में दुआएं मांगी। ख़ास बात ये है की यहाँ सभी धर्म के लोग बाबा के उर्स में शिरकत करते है । वही उर्स में कव्वाली और नतिया कलाम का मुकाबला भी हुआ जिसे अकीदतमंदों ने खूब सराहा । बाबा के उर्स के पहले अकीदतमंदों ने प्रेमराजपुर आयशा मस्जिद से नातिया जुलूस निकाला जो अपने पारंपरिक रास्तो से होता हुआ बाबा की मजार पर जाकर सम्पन्न हुआ ।
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इनका देहांत ५ मुहर्रम को हुआ था इसलिए आज भी वहाँ के लोग ५ मुहर्रम के यहां बड़ी अक़ीदत से आते हैं । एवज़ अली खान की यह मज़ार पीर दमकी या सय्यद बाबा के नाम से मशहूर है ।
इस वर्ष भी ५ मुहर्रम को हजरत दमक शाह बाबा का सालाना उर्स अकीदत से मनाया गया। दमक बाबा को याद करते हुए दमक शाह बाबा कमेटी की ओर से तकरीर का आयोजन किया गया, जिसमें कौमी एकता का संदेश दिया गया। तकरीर का आगाज हाफिज़ अब्दुल सलाम ने कुराने पाक की तिलावत के साथ किया। उन्होंने कहा की बाबा ने दुनिया को जो शिक्षा दी है उस पर हम सभी को अमल कर अपनी हाले जिंदगी के साथ अपनी आखिरत को भी संवारना चाहिए।
इस मौके पर अल्लाह और उसके रसूल की बारगाह में देश में भाईचारे व अमन की दुआएं मांगी।
उर्स के बाद बाबा के मजार पर कुरान ख्वानी का आयोजन किया गया। उसके बाद बाबा के मजार को गुस्ल देकर संदल की रस्म अदा की गई उर्स का समापन किया गया। इस मौके काफी संख्या में अकिदतमंदों ने भाग लिया बाबा की बारगाह में दुआएं मांगी। ख़ास बात ये है की यहाँ सभी धर्म के लोग बाबा के उर्स में शिरकत करते है । वही उर्स में कव्वाली और नतिया कलाम का मुकाबला भी हुआ जिसे अकीदतमंदों ने खूब सराहा । बाबा के उर्स के पहले अकीदतमंदों ने प्रेमराजपुर आयशा मस्जिद से नातिया जुलूस निकाला जो अपने पारंपरिक रास्तो से होता हुआ बाबा की मजार पर जाकर सम्पन्न हुआ ।
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