जौनपुर पाँचवीं मोहर्रम का ऐतिहासिक जुलूस इमामबारगाह “बड़े इमाम’ मोहल्ला गुलरघाट से निकाला गया। सबसे पहले सोजखानी जमीर हसन व उनके हम नवां ने की। बाद सोजखानी जाकरी जाकिर ऐ अह्लेबत एस. एम. मासूम ने पढ़ी कर्बला के गम को बयान करते हुए एस. एम. मासूम ने कहा कि यजीद ने नहर फोरात (नदी का नाम) पर पहरा लगा दिया था, इमाम के खैमे तक पानी नहीं पहुंच पा रहा था, छोटे-छोटे बच्चे प्यासे थे, इमाम हुसैन स. के छह माह का लड़का अली असगर भी बहुत प्यासा था। इमाम जब उस अपने बच्चे को लेकर पानी का सवाल किया तो यजीदी फौज ने ऐसा तीर मारा की उस छह माह के बच्चे की गर्दन पर तीर लगी और वो वही शहीद हो गया।
एस एम् मासूम ने कहा दहशतगर्दी बादशाहों की ज़रुरत रही जिसे यजीद इस्लाम के नाम से किया करता था और इमाम हुसैन ने इसी भ्रम को तोड़ने के लिए कर्बला में अपनी कुर्बानी दे के बताया की इस्लाम अमन का पैगाम है दहशतगर्दों का धर्म नहीं |
मजलिस के खत्म होने पर बच्चे अलम मुबारक लेकर निकले जिसके हमराह अंजुमन जाफरी मखदूम शाह अढ़हन जुलूस गुलरघाट इमामबाड़ा बड़े इमाम गुलरघाट होते हुए शाही पुल, चहारसू चौराहा, कसेरी बाजार होता हुआ उक्त जुलूस कल्लू इमामबाड़ा, मखदूम शाह अढ़हन पर खत्म हुआ।
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