ईद -उल- जुहा -त्याग और वलिदान का त्यौहार

इस त्यौहार को पूरे विश्व भर में जोशो खरोश और बहुत ही उत्साह , आनंद के साथ मनाया जाता है .इसे वलिदान का त्यौहार या बड़ी ईद माना जाता है .हज के बाद तीर्थ यात्री या हाजी खुदा से क्षमा मांग उनका आशीष ले लेते हैं ! ईद की प्रार्थनाएं सुन्दर वस्त्रों से सज धज किसी ईदगाह या मस्जिद में शांति और अपने प्रिय की ख़ुशी की कामना से की जाती हैं
बकरीद की प्रार्थनाओं के बाद लोग अपने रिश्तेदारों , पड़ोसियों में इसी चढ़ाये हुए उपहार का आदान प्रदान करते हैं और खुशियाँ फैलाते हैं ! तो त्याग और वलिदान करते हैं वे अपने लिए मात्र छोटा सा हिस्सा ही रख बाकी सब बाँट देते हैं !
ये धू -अल-हिज्जाह मॉस में तीन दिनों तक मनाई जाती है !
हम चूंकि इस समबन्ध में अल्पज्ञानी हैं इस लिए कुछ अशुद्धियों हेतु क्षमा के साथ अपने सभी मुस्लिम भाइयों और अन्य भाइयों को भी ईद-उल-जुहा की ढेर सारी शुभ-कामनाएं देते हैं -सब खुशहाल रहें -त्याग करें केवल स्वार्थी न बनें और हर हालत में मानव और मानवता का धर्म निभाएं हमें बरगलाने वाले और अपनी झोली भरने वालों से सदा बचें !
हर त्यौहार अनोखा हो , लोग गले मिलें झूमें -खुशियाँ इस धरा पर बरसें ये चमन गुल गुलशन खिला रहे !
भ्रमर ५
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