जौनपुर सिटी और हमारा जौनपुर ने एक नयी श्रंखला की शुरुआत की है जिसमे जौनपुर के रहने वालों के विचारों को पेश किया जायेगा |
इस कड़ी में सबसे पहले पेश हैं जौनपुर सुजानगंज के पवन विजय जी के विचार. देखिये क्या कहते हैं पवन जी |
हमारे सुजानगंज में एक जने रहेन "सिउ मूरत चऊहान" अब पता नही जीवित हैं कि नही। ज़रा सी चबूतरा टाइप की जगह देखी उस पर चढ़ कर चिचिया चिचिया के बोलना शुरू " हमारे देस का बच्चा, हमारे देस की बच्ची, लकड़बग्घा उठाए ले जा रहा अऊर ये साले बलाक परमुखी का चुनाव लड़ी रहे।" शान्ति क्रान्ति का झंडा उठाये चऊहान जी गांव गिरांव घूमा करते थे निपट अकेले। आज छत्तीसगढ़ में लाल खून देखकर उस निपट अकेले व्यक्ति की याद आ गयी कि लोग मरें बच्चे मरें नेताजी की बला से। जिसके यहाँ मरे वो रोये हम तो कुर्सिया पे मरिबे।
पवन जी जौनपुर सुजानगंज के रहने वाले हैं जिनकी कर्म भूमि कानपूर रही है | पेशे से प्रोफेसर हैं और वतन से प्रेम इतना है की हर दिन सपना देखते हैं की कब वतन वापस आना होगा | जानिए पवन जी के बारे में |
हमारे सुजानगंज में एक जने रहेन "सिउ मूरत चऊहान" अब पता नही जीवित हैं कि नही। ज़रा सी चबूतरा टाइप की जगह देखी उस पर चढ़ कर चिचिया चिचिया के बोलना शुरू " हमारे देस का बच्चा, हमारे देस की बच्ची, लकड़बग्घा उठाए ले जा रहा अऊर ये साले बलाक परमुखी का चुनाव लड़ी रहे।" शान्ति क्रान्ति का झंडा उठाये चऊहान जी गांव गिरांव घूमा करते थे निपट अकेले। आज छत्तीसगढ़ में लाल खून देखकर उस निपट अकेले व्यक्ति की याद आ गयी कि लोग मरें बच्चे मरें नेताजी की बला से। जिसके यहाँ मरे वो रोये हम तो कुर्सिया पे मरिबे।
पवन जी जौनपुर सुजानगंज के रहने वाले हैं जिनकी कर्म भूमि कानपूर रही है | पेशे से प्रोफेसर हैं और वतन से प्रेम इतना है की हर दिन सपना देखते हैं की कब वतन वापस आना होगा | जानिए पवन जी के बारे में |
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