जौनपुर हजरत मखदमू शेख सदरूददीन चिरागे हिन्द हाजी हरमैन के दरगाह गरीबो
के लिए मक्का मदीना बन गया हैं। बकरीद के एक दिन पहले इस दरगाह पढ़ी जाने
वाली विशेष नमाज मक्का के बराबर शबाब मिलता हैं। शायद इसी के कारण हजारों
की संख्या में जायरिन यहां आकर नमाज अदा करते हैं।
जौनपुर मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर जफराबाद कस्बे में स्थापित इस हजरत मखदूम शेख सदरूद्दीन चिरागे हिन्द हाजी हरमैन बाबा की दरगाह पर हर वर्ष बकरीद के एक दिन पहले जयरिनों का जन सैलाब उमड़ता हैं। इसका मुख्य कारण हैं। यहां पर पढ़ाई जाने वाली नमाज मक्का मदीना में पढ़ाई जाने वाली नमाज के बराबर शबाब मिलता हैं। इसी लिए हरमैन की दरगाह को गरीबों का मक्का मदीना भी कहा जाता हैं। किसी मेले नही बल्की एक विशेष नमाज पढ़ने के लिए आये हैं। यह नमाज पिछले 700 वर्षो होती चली आ रही है
हाजी हरमैन की दरगाह में बाबा के अलावा सैकड़ो मजारे हैं। जिन्हे लोग बा नमाज बाद चूमते हैं और चादर पोशी कर देश में अमन चैन के लिए दुआ भी मांगते हैं। इस दरगाह में जौनपुर के अलावा पूरे प्रदेश से जायरीन आकर मत्थ टेकते हैं।
नमाज के बाद अकीकद मंद लोग रात भर चलने वाले उर्स में भी शिरकत करते हैं|
जौनपुर मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर जफराबाद कस्बे में स्थापित इस हजरत मखदूम शेख सदरूद्दीन चिरागे हिन्द हाजी हरमैन बाबा की दरगाह पर हर वर्ष बकरीद के एक दिन पहले जयरिनों का जन सैलाब उमड़ता हैं। इसका मुख्य कारण हैं। यहां पर पढ़ाई जाने वाली नमाज मक्का मदीना में पढ़ाई जाने वाली नमाज के बराबर शबाब मिलता हैं। इसी लिए हरमैन की दरगाह को गरीबों का मक्का मदीना भी कहा जाता हैं। किसी मेले नही बल्की एक विशेष नमाज पढ़ने के लिए आये हैं। यह नमाज पिछले 700 वर्षो होती चली आ रही है
हाजी हरमैन की दरगाह में बाबा के अलावा सैकड़ो मजारे हैं। जिन्हे लोग बा नमाज बाद चूमते हैं और चादर पोशी कर देश में अमन चैन के लिए दुआ भी मांगते हैं। इस दरगाह में जौनपुर के अलावा पूरे प्रदेश से जायरीन आकर मत्थ टेकते हैं।
नमाज के बाद अकीकद मंद लोग रात भर चलने वाले उर्स में भी शिरकत करते हैं|
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
हमारा जौनपुर में आपके सुझाव का स्वागत है | सुझाव दे के अपने वतन जौनपुर को विश्वपटल पे उसका सही स्थान दिलाने में हमारी मदद करें |
संचालक
एस एम् मासूम