माघ मास की अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या कहते हैं। यह योग पर आधारित महाव्रत है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगममें देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर इस करणभक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर गंगा सेवन करते हैं।संगम में स्नान केसंदर्भ में एक अन्य कथा का भी उल्लेख आता है वह है सागर मंथन की कथा। कथाके अनुसार जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए उससमय देवताओं एवं असुरों में अमृत कलश के लिए खींचा तानी शुरू हो गयीइससेअमृत की कुछ बूंदें छलक कर इलाहाबाद हरिद्वार नासिक और उज्जैन में जागिरा। यही कारण है कि यहां कि नदियों में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। यह तिथि अगर सोमवार के दिन पड़ता है तब इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है। अगर सोमवार हो और साथ ही महाकुम्भ लगा हो तब इसका महत्व अनन्त गुणा हो जाता है।
मौनी अमावस्या के अवसर पर मंगलवार को कड़ाके की ठण्ड के बीच श्रद्धालुओं ने विभिन्न नदियों, पोखरों व तालाबों में स्नान कर दान पुण्य किया। जिले के अनेक लोग इलाहाबाद के संगम में जाकर डुबकी लगाये। शहर के आदि गंगा गोमती के हनुमान घाट, सूरज घाट, अचला देवी घाट, राम घाट पर सवेरे से ही स्नानार्थियों का तातां लगा रहा जहां लोगों ने पवित्रजल में स्नान कर सूर्य देव को अर्घ दिया और गरीबों व ब्राह्मणों को दान दिया। नगर पालिका द्वारा घाटों की सफाई न कराये जाने से गन्दगी के कारण श्रद्धालुओं में रोष देखा गया। स्नान करने वालों का कहना था कि हनुमान घाट पर सर्वाधिक भीड़ रहती है लेकिन यह घाट उपेक्षा का शिकार है लोग घाट के बजाय उससे दूर जाकर स्नान किया।
इस विशेष पर्व पर घाट की सफाई आदि करना जरूरी था। ज्ञातव्य हो कि मौनी अमावस्या के दिन सूर्य तथा चन्द्रमा गोचरवश मकर राशि में आते हैं। इसलिये यह दिन सम्पूर्ण शक्ति से भरा हुआ और पावन अवसर बन जाता है। इस दिन मनु ऋषि का जन्म भी माना जाता है। इस दिन व्यक्ति को मौन रखने का भी विधान रहा है। इस व्रत का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी इन्दियों को वश में रखना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन स्नान, जप आदि के बाद हवन दान आदि किया जाता है इससे चित्त की शुद्धि होती है। पुराणों के अनुसार इस दिन सभी नदियों का जल गंगा जल के समान होता है। मौनी अमावस्या को स्नान करने के बाद मौन धारण करे और जाप करने तक मौन व्रत का पालन करे। इस दिन झूठ , कपट की आदि बातें नहीं करनी चाहिए। सभी बेकार की बातों को दूर रखकर अपने मन को सबल बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इससे मन शान्त होता है और शान्त मन शरीर को बसल बनाता है।
मौनी अमावस्या के अवसर पर मंगलवार को कड़ाके की ठण्ड के बीच श्रद्धालुओं ने विभिन्न नदियों, पोखरों व तालाबों में स्नान कर दान पुण्य किया। जिले के अनेक लोग इलाहाबाद के संगम में जाकर डुबकी लगाये। शहर के आदि गंगा गोमती के हनुमान घाट, सूरज घाट, अचला देवी घाट, राम घाट पर सवेरे से ही स्नानार्थियों का तातां लगा रहा जहां लोगों ने पवित्रजल में स्नान कर सूर्य देव को अर्घ दिया और गरीबों व ब्राह्मणों को दान दिया। नगर पालिका द्वारा घाटों की सफाई न कराये जाने से गन्दगी के कारण श्रद्धालुओं में रोष देखा गया। स्नान करने वालों का कहना था कि हनुमान घाट पर सर्वाधिक भीड़ रहती है लेकिन यह घाट उपेक्षा का शिकार है लोग घाट के बजाय उससे दूर जाकर स्नान किया।
इस विशेष पर्व पर घाट की सफाई आदि करना जरूरी था। ज्ञातव्य हो कि मौनी अमावस्या के दिन सूर्य तथा चन्द्रमा गोचरवश मकर राशि में आते हैं। इसलिये यह दिन सम्पूर्ण शक्ति से भरा हुआ और पावन अवसर बन जाता है। इस दिन मनु ऋषि का जन्म भी माना जाता है। इस दिन व्यक्ति को मौन रखने का भी विधान रहा है। इस व्रत का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी इन्दियों को वश में रखना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन स्नान, जप आदि के बाद हवन दान आदि किया जाता है इससे चित्त की शुद्धि होती है। पुराणों के अनुसार इस दिन सभी नदियों का जल गंगा जल के समान होता है। मौनी अमावस्या को स्नान करने के बाद मौन धारण करे और जाप करने तक मौन व्रत का पालन करे। इस दिन झूठ , कपट की आदि बातें नहीं करनी चाहिए। सभी बेकार की बातों को दूर रखकर अपने मन को सबल बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इससे मन शान्त होता है और शान्त मन शरीर को बसल बनाता है।
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