ये हिंदी ब्लॉगजगत डॉ पवन मिश्रा को भली भांति जानता है और हम उनकी लेखनी के दीवाने हैं | डॉ पवन मिश्रा जी से कई बार मुलाक़ात होते होते रह गयी | इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ की जब डॉ पवन जी का फ़ोन आया की आप जौनपुर में हैं या वापस मुंबई चले गए तो मैं जौनपुर से जा चुका था और जगदीशपुर में एक प्रोग्राम में शिरकत कर रहा था |
बस डॉ पवन मिश्रा जी का फ़ोन मिलते ही की वो जौनपुर में हैं मैंने आगे जाने का प्रोग्राम कैंसिल किया और वापस कुछ घंटों के लिए अपने वतन जौनपुर वापस लौट पड़ा |
बस डॉ पवन मिश्रा जी का फ़ोन मिलते ही की वो जौनपुर में हैं मैंने आगे जाने का प्रोग्राम कैंसिल किया और वापस कुछ घंटों के लिए अपने वतन जौनपुर वापस लौट पड़ा |
३-४ बजे के बीच डॉ पवन जी हमारे घर आये और उन्हें देखते ही मुझे महसूस हुआ की उनकी शक्सियत में एक आकर्षण है जो इल को मोह लेता है | |
उन्होंने आते ही मेरा घर देखने की इच्छा ज़ाहिर की तो तुरंत पूरी कर दी गयी | और फिर शुरू हुआ कभी ना ख़त्म होने वाला बातों का सिलसिला जो हमारे इलाके में घूमने के साथ साथ चलता रहा |
मेरा जौनपुर का घर गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है और उसके चारों तरफ से क भजन की आवाज़ें आती रहती हैं तो कभी अज़ान, नौहा और मजलिस की आवाजें जो मन में एक मिला जुला भाव पैदा करती है | एक ऐसा भाव जिसमे धर्म इंसानियत और भाईचारे की पहचान हुआ करता है |
डॉ पवन जी को सबसे पहले अपना घर दिखाया फिर पड़ोस की अपनी चार ऊँगली मस्जिद जहां हम सब अंदर तक गए और उसकी सुन्दरता तो डॉ पवन जी को इतना भा गयी की उन्होंने वहाँ तस्वीर निकालने का अवसर खोना उचित नहीं समझा |
उसके बाद हम पड़ोस के एक पुराने शिवाले में गए जिसे पंचों शिवाला के नाम से जाना जाता है | फिर गोमती नदी की सुन्दरता को निहारते हुए अपना सफ़र सदर इमामबाड़े पे जा के ख़त्म हुआ |
वापस घर आने के बाद इन जगहों की जानकारियाँ डॉ पवन जी ने एकत्रित की और बातों ही बातों पे ये फैसला ले लिया गया की जल्द ही जौनपुर की सुन्दरता को देखने का अवसर पूरे विश्व के हिंदी ब्लॉगजगत को देना चाहिए |
बहुत जल्द हिंदी ब्लॉगजगत को जौनपुर आने का निमंत्रण दिया जायगा |
मेरा जौनपुर का घर गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है और उसके चारों तरफ से क भजन की आवाज़ें आती रहती हैं तो कभी अज़ान, नौहा और मजलिस की आवाजें जो मन में एक मिला जुला भाव पैदा करती है | एक ऐसा भाव जिसमे धर्म इंसानियत और भाईचारे की पहचान हुआ करता है |
डॉ पवन जी को सबसे पहले अपना घर दिखाया फिर पड़ोस की अपनी चार ऊँगली मस्जिद जहां हम सब अंदर तक गए और उसकी सुन्दरता तो डॉ पवन जी को इतना भा गयी की उन्होंने वहाँ तस्वीर निकालने का अवसर खोना उचित नहीं समझा |
उसके बाद हम पड़ोस के एक पुराने शिवाले में गए जिसे पंचों शिवाला के नाम से जाना जाता है | फिर गोमती नदी की सुन्दरता को निहारते हुए अपना सफ़र सदर इमामबाड़े पे जा के ख़त्म हुआ |
वापस घर आने के बाद इन जगहों की जानकारियाँ डॉ पवन जी ने एकत्रित की और बातों ही बातों पे ये फैसला ले लिया गया की जल्द ही जौनपुर की सुन्दरता को देखने का अवसर पूरे विश्व के हिंदी ब्लॉगजगत को देना चाहिए |
बहुत जल्द हिंदी ब्लॉगजगत को जौनपुर आने का निमंत्रण दिया जायगा |
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एस एम् मासूम