इस्लाम धर्म के अनुसार जिस प्रकार अल्लाह ने इंसानों को मिटटी से बनाया उसी प्रकार से जिन्न को आग और हवा से बनाया और यही कारण है की वो प्रथ्वी पे भी है और अन्य ग्रहों पे भी पाया जा सकता है | इब्लीस जिसे आम भाषा में शैतान कहा जाता है और जिसके बारे में मशहूर है की वो इंसानों को बहकाता और गुमराह करता है अल्लाह का नाफरमान जिन्न है जिसे क़यामत तक की मोहलत अल्लाह ने दी है |
सबसे पहले जानते हैं की जिन्न कैसे होते हैं ?
जौनपुर के जिन्न और उनसे जुडी कहानियां |
जौनपुर मे भी आपको जिन्न से जुडी कहानिया बुजुर्ग लोग मिल जायेगे और हमाम दरवाज़े स्थित जिन्ननातो वाली मस्जिद तो मशहूर है ही | उस मस्जिद के बारे में मशहूर है की उसके कुंवे में जिन्न रहा करते हैं | जौनपुर सूफी संतों का शहर रहा है और यह सूफी अक्सर जिन्न से बातें किया करते थे | आज भी बहुत से खुशबूदार फूलों के पेड़ ऐसे हैं जिनका फूल कोई इसलिए नहीं तोड़ता की उसमे जिन्न वास करते हैं | लेकिनं आज से ९०-१०० वर्ष पहले जिन्न भारत से यह कहके चले गए की यह अब रहने वाली जगह नहीं रही | शायद आबादी के बढ़ जाने से उन्हें दिक्कत हुआ करती थी | लेकिन फिर भी कुछ जिन्न बचे हुए हैं जो अक्सर सुनसान जगहों पे पूरे परिवार के साथ वास करते हैं और कभी कभी इंसानों को दिखाई भी देते हैं |
मशहूर है की काली बिल्ली को नहीं मारना चाहिए क्यूँ की जिन्न अक्सर काली बिल्ली की शक्ल में आते हैं | हमारे समाज में बहुत से जादू टोन वाले गलत अमल से जिन्न को काबू क्र लेते हैं जिसे उनकी भाषा में मुअक्किल कहते हैं | उन्ही जिन्न के ज़रिये वो आने वाले परेशां लोगों के बारे में वो बातें बता देते हैं जिन्हें एक आम इंसान नहीं जान सकता लेकिन ऐसे इंसानों का अंत भी उन्ही जिन्न के हाथों किसी हादसे में हो जाया करता है |
शिया समुदाय में जिन्नों के बादशाह जाफ़र ऐ जिन्न का नाम बहुत मशहूर है जिसने कर्बला में इमाम हुसैन (अ.स ) की शहादत को सं ६१ हिजरी में अपनी आँखों से देखा था और पूरे जीवन रोता रहता था जिसका इन्तेकाल सं १९८५-८६ में हुआ |
वैज्ञानिक अपने तरीके से रिसर्च करने में लगे हैं और संभव है की एक दिन वो जिन्न के होने का प्रमाण पेश कर दें और जिन्न कहानियों की दुनिया से बहार निकल के हमारे सामने आ जाएँ | लेकिन ये भी सत्य है की जिस दिन जिन्न का वजूद सामने आया आत्मा और जिन्न का साया का खौफ इंसानों के दिल से अवश्य निकल जायगा | और जब तक ऐसा कोई सुबूत सामने नहीं आता तब तक मुसलमानों को जिन्न के वजूद पे यकीन और अन्य का अलाउद्दीन का जिन्न और जिन्न परियों की कहानियों का मज़ा लेते रहने में क्या हर्ज है ?
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