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    मंगलवार, 17 जुलाई 2018

    जानिये जौनपुर की मशहूर इमरती का इतिहास और साथ में लीजिये इसका स्वाद |

    जौनपुर की मशहूर इमारती के बारे में यह जानकारी मैंने दो वर्ष पहले अपनी वेबसाइट जौनपुर सिटी डॉन इन के द्वारा आप सभी से बांटी थी जिसे लोगों ने बहुत पसंद भी किया और बार बार अनुरोध भी किया की इस जानकारी को आगे बढाया जाए | इस जानकारी को बहुत से लोगों ने मेरे द्वारा खींची तस्वीर के साथ औरों तक पहुँचाया भी लेकिन अपने नाम से जो उचित नहीं लेकिन मेरा मकसद नाम कमाना नहीं बल्कि जौनपुर को विश्व से जोड़ना रहा है इसलिए मैं उनका भी आभारी हूँ की उन्होंने इस जानकारी को औरों तक पहुँचाया | 

    मैं मुंबई से जब भी जौनपुर आता हूँ तो मेरी कोशिश यह हुआ करती है की मैं जौनपुर के बारे में अधिक से अधिक जानकारी खुद इकठ्ठा करूँ और लोगों तक पहुँचाऊँ | इसी प्रयास में जा पहुंचा बेनीराम की दूकान पे जहां मुझे उनका सहयोग भी मिला और मुफ्त में इमारती भी खाने को मिली | यही हैं जौनपुर की खासियत आने वाले मेहमान की इज्ज़त करते हैं |


    एक बार फिर से आप सभी के सामने पेश हैं जौनपुर की इमारती क्यूँ की इसे जितनी बार खाया जाए मज़ा कम नहीं होता |


    जौनपुर जो "शिराज़-ए-हिंद" के नाम से भी मशहूर हैं, भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। मध्यकाल में शर्की शासकों की राजधानी रहा जौनपुर  गोमती नदी के दोनों तरफ़ फैला हुआ है। कभी यह  अपने इत्र और सुगंधित चमेली के तेलों के लिए मशहूर था लेकिन आज वहाँ इत्र तो कभी कभार दिख जाता है लेकिन चमेली का  तेल तलाशना मुश्किल हो जाता है.



    लेकिन जौनपुर शहर की हरे उड़द, देशी चीनी और देशी घी से लकड़ी की आंच पर बनी लजीज ‘इमरती’ अब भी देश-विदेश में धूम मचा रही है. शहर के ओलन्दगंज के नक्खास मुहल्ले मैं  बेनीराम कि दूकान वाली इमरती कि बात हे और है. बेनीराम देवी प्रसाद ने सन 1855 से अपनी दुकान पर देशी घी की ‘इमरती’ बनाना शुरू किया था||


    उस गुलामी के दौर मैं भी  बेनीराम देवीप्रसाद कि  इमरती सर्वश्रेष्ट मणि जाती थी. उसके बाद बेनी राम देवी प्रसाद के  उनके लड़के बैजनाथ प्रसाद, सीताराम व पुरषोत्तम दास ने  जौनपुर की प्रसिद्ध इमरती की महक तक बनाए रखी .अब जौनपुर की प्रसिद्ध इमरती को बेनीराम देवी प्रसाद की चौथी पीढ़ी के वंशजों रवीन्द्रनाथ, गोविन्, धर्मवीर एवं विशाल ने पूरी तरह से संभाल लिया है और इसे विदेश भी भेजा जाने लगा है.  जौनपुर की प्रसिद्ध इमरती आज तकरीबन 159 वर्ष पुरानी हो चुकी है और उसका स्वाद और गुणवत्ता अभी भी बरकरार है|




    जब कभी आप जौनपुर आयें तो ओलन्दगंज से ताज़ी इमारती का स्वाद चखना ना भूले | इमरती के लिए देशी चीनी आज भी बलिया से मंगाई जाती है। देशी चीनी और देशी घी में बनने के कारण इमरती गरम होने और ठंडी रहने पर भी मुलायम रहती है। बिना फ्रिज के इस इमरती को कम से कम दस दिन तक सही हालत में रखा जा सकता है।

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    1 comments:

    1. इसके साथ एक और तथ्य जुड़ा है --यह वही इमरती है जिसनें जौनपुर में मिठाई उद्योग को चौपट कर दिया है। शुभ अवसरों पर मिठाई के विविध रूपों को लेने लोग बाग़ बनारस की ओर रुख करते हैं।

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