लेकिन जौनपुर शहर की हरे उड़द, देशी चीनी और देशी घी से लकड़ी की आंच पर बनी लजीज ‘इमरती’ अब भी देश-विदेश में धूम मचा रही है. शहर के ओलन्दगंज के नक्खास मुहल्ले मैं बेनीराम कि दूकान वाली इमरती कि बात हे और है. बेनीराम देवी प्रसाद ने सन 1855 से अपनी दुकान पर देशी घी की ‘इमरती’ बनाना शुरू किया था||
उस गुलामी के दौर मैं भी बेनीराम देवीप्रसाद कि इमरती सर्वश्रेष्ट मणि जाती थी. उसके बाद बेनी राम देवी प्रसाद के उनके लड़के बैजनाथ प्रसाद, सीताराम व पुरषोत्तम दास ने जौनपुर की प्रसिद्ध इमरती की महक तक बनाए रखी .अब जौनपुर की प्रसिद्ध इमरती को बेनीराम देवी प्रसाद की चौथी पीढ़ी के वंशजों रवीन्द्रनाथ, गोविन्, धर्मवीर एवं विशाल ने पूरी तरह से संभाल लिया है और इसे विदेश भी भेजा जाने लगा है. जौनपुर की प्रसिद्ध इमरती आज तकरीबन 159 वर्ष पुरानी हो चुकी है और उसका स्वाद और गुणवत्ता अभी भी बरकरार है|
जब कभी आप जौनपुर आयें तो ओलन्दगंज से ताज़ी इमारती का स्वाद चखना ना भूले | इमरती के लिए देशी चीनी आज भी बलिया से मंगाई जाती है। देशी चीनी और देशी घी में बनने के कारण इमरती गरम होने और ठंडी रहने पर भी मुलायम रहती है। बिना फ्रिज के इस इमरती को कम से कम दस दिन तक सही हालत में रखा जा सकता है।
इसके साथ एक और तथ्य जुड़ा है --यह वही इमरती है जिसनें जौनपुर में मिठाई उद्योग को चौपट कर दिया है। शुभ अवसरों पर मिठाई के विविध रूपों को लेने लोग बाग़ बनारस की ओर रुख करते हैं।
जवाब देंहटाएं