कभी नरसिंह राव से सुना था की "जब हम अपनी संस्कृति भूल जायेंगे, तो उसके पार्ट-पुरजे कल मॉरीशस से ही मिलेंगे" लेकिन उस समय यह बात मेरी समझ में नहीं आई थी की कैसे यह संभव है की मारीशस देश जहां अंग्रेजी के साथ फ़्रांसीसी भाषा का बोलबाला है और मॉरीशियन क्रेयोल भाषा का इस्तेमाल बोलचाल में अधिक हुआ करता है वो देश भारतीय सस्कृति को संजो के रख सकेगा |सच ही कहा था नरसिंह राव ने जब हम अपनी संस्कृति भूल जायेंगे, तो उसके पार्ट-पुरजे कल मॉरीशस से ही मिलेंगे |
दो वर्ष पहले जब मेरी मुलाक़ात भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन मारीशस की चेयर मैन डा सरिता बुधु से जौनपुर में हुयी और उन्होंने मुझे हिंदी भाषा में जौनपुर के इतिहास को विश्व तक पहुंचाने के लिए सम्मानित किया तो मुझे भी उस समय नरसिंह राव के शब्द याद आ गए और मैंने उनके साथ काफी समय बिताया और शहर में घुमते हुए अंत में ज्योति सिन्हा जी के घर में बैठ के इस विषय में विस्तार में चर्चा हुयी जिसमे उनका बिहार के प्रति और भोजपुरी भाषा के प्रति प्रेम झलक रहा था और अपनी भारतीय पहचान खोजने की ख्वाहिश को मैंने उनसे बात चीत में आया | इसी बात चीत के दौरान मुझे एक भोजपुरी गीत याद आ गया "पनिया के जहाज से पलटनिया बन अइहा पिया" और समझ में आया की यह केवल एक गीत ही नहीं बल्कि भोजपुरी इलाके का दर्द है |
इस वर्ष मेरे जौनपुर ना होने के करान डा सरिता बुधु से मुलाक़ात तो नहीं हो सकी लेकिन उनका भोजपुरी प्रेम और उनके दिल का दर्द उनकी बातचीत में झलक रहा था और इसी के साथ साथ उनकी ख़ुशी अपने पुरखों के गाव उत्तर प्रदेश के बलिया जिले का दरामपुर जा के आने की झलक रही थी | डा सरिता बुधु के पुरखे कभी इसी गाँव में रहते थे और आज भी डा सरिता बुधु के खानदान के लोग रहते हैं जिनसे मिलने वो आयीं थी |
डा0 सरिता ने साफ कहा कि मारीशस का भारत से खून का रिश्ता है। मरीशस में बसने वाले जौनपुर, गोरखपुर, फैजाबाद, आजमगढ़, बलिया, देवरिया, वाराणसी समेत पूर्वाचंल के अन्य जनपदो के लोग ही है। मेरी तरह हजारो लोग अपने पूर्वजो का मूल गांव तलास रहे है। डा0 सरिता ने यह भी बताया कि हम लोग मारीशस में भारत की सभ्यता, संस्कृति ,कला को सजोकर रखी हूं। खासकर भोजपुर भाषा को। आने वाली पीढ़ी के लिए 125 स्कूल खोला गया है। अगले वर्ष मारीशस का 50 वीं वर्ष गांठ है। इस मौके पर करीब 150 स्कूल की स्थापना किया जायेगा। भारत में फिल्म निर्माताओ द्वारा भोजपुर भाषा की गंदी फिल्म बनाकर अश्लीलता फैलाने के सवाल पर वे गम्भीर हो गयी। उन्होने कहा कि ऐसा नही करना चाहिए भोजपुरी भाषा में समाजिक व परिवारिक फिल्म बनाकर समाज को एक अच्छा संदेश देना चाहिए।
आज भी गाँधी की तसवीरें घरों में लगाय बड़े बूढों का पैर छु के आशीर्वाद लेते और घरों में हल्दी, बैंगन, प्याज, लहसुन, चावल, टमाटर, कोहड़ा, लौकी, भिंडी, पपीता, लीची, नींबू की सब्जी खाते और भारतीय त्योहारों को मनाते ६५% से अधिक भारतीय आपको मारीशस में मिल जायेंगे जो अभी भी पश्चिमी सभ्यता से अछूता है |
आज भारत में वो पहले वाला बिहार देखने को नहीं मिलता लेकिन मारीशस में आप को वही पुरानी भारतीय संस्कृति देखने को मिल जायगी | सच हो कहा था नरसिंह राव ने जब हम अपनी संस्कृति भूल जायेंगे, तो उसके पार्ट-पुरजे कल मॉरीशस से ही मिलेंगे |
.. लेखक एस एम् मासूम
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