बौध समय के मछलीशहर का नाम मछिका खंड था
आज मछलीशहर की तरफ रुख किया कुछ वहाँ के समाज और वहाँ के इतिहास की जानकरी समझने के लिए और वहाँ के लोगों से मिलते मिलाते इस बात का विशवास हो गया की मछलीशहर एक ऐतिहासिक जगह है जिसके तार बौध समाज से जुड़े हैं |लेकिन वहाँ के लोगों से जब पुछा तो लगा की उनकी बातों में सत्यता कम और किवदंतियां अधिक पायी गयी जैसा की हमारे समाज में हर जगह देखा जा सकता है |वहाँ के एक ज्ञानी महा राज ने बताया की इसका पुराना नाम मझले शहर था | यह सत्य नहीं क्यूँ की इसका ज़िक्र इतिहास में तो मैंने आज तक नहीं देखा |
मछलीशहर में लोगों से मिलते हुए | |
जौनपुर से २० किलोमीटर दूर बसा शहर जिसे आज मछलीशहर के नाम से जाना जाता एक ऐतिहसिक शहर है जिसके तार बोद्ध समाज से जुड़े हुए हैं | मछलीशहर आज जौनपुर जिले का हिस्सा है जिसका बौध समय में नाम मछिका खंड था और यह बौध मोंक और गौतम बुध के आने जाने वाला स्थान था और उन्हें बहुत प्रिय था |
मछलीशहर को लोग घिसुआ के नाम से भी जानते हैं और यह ना वहाँ के एक मशहूर व्यक्ति घेसू के नाम पे पडा था जिसने उस समय में वहाँ एक कोट बनवाई थी | सूफियों की यहाँ पे आमद के निशाँ अब भी मिला करते हैं और मशहूर है की एक सूफी फ़कीर ने शार्की बादशाह को एक मछली भेंट की जो उसके लिए शुभ साबित हुयी और जब उसने शार्की राज्य स्थापित कर दिया तो इसका नाम मछलीशहर रखा |
सुलतान हुसैन शाह शार्की की बनवाई एक जामा मस्जिद यहाँ आज भी मौजूद है | यहाँ अच्छी हालत में मौजूद हैं | अट्ठारवीं शताब्दी इस्स्वी में महल के रहने वाले फ़तेह मुहम्मद जो मंगली मियाँ के नाम से मशहूर थे यहाँ आये और इसे अपने अधिकार में ले लिया | मगली मियाँ ने यहाँ ईद गाह बनवाई जो आज भी मौजूद है और कटाहत नमक स्थान पे एक किला बनवाया जिसके खंडहर आज भी देखे जा सकते हैं |यहाँ पे छोटी छोटी और भी कई मस्जिदें हैं जिनका निर्माण १८५७ में मौलवी अब्दुशाकूर ने करवाया या अन्य मस्जिदें भी हैं जिनका निर्माण वहाँ के ज़मींदार मुहमद नूह ने करवाया |
मंगली मियां की मज़ार मछलीशहर क़स्बे के पश्चिम में आबादी से दूर पुराफगूई ग्राम में अज भी है जहां अब बहुत कम लोग ही जाया करते हैं | यहाँ एक तालाब है और कर्बला भी बनी हुयी है |
सुलतान हुसैन शाह शार्की की बनवाई एक जामा मस्जिद |
यहाँ सूफियों की आमद की निशानियाँ क़ब्रों और मजारों की शक्ल में मिला करती है |
यहाँ पे मुस्लिम समाज के शिया और सुन्नी दोनों मिल जुल के रहते हैं | इमामबाड़ा क़दीमी यहाँ है जिसमे रखी जारी बहुत मशहूर है और माना जाता है की इसी के नक़्शे पे जौनपुर का छोटा इमामबाड़ा बना है |
यहाँ के लोग और उनका समाज जौनपुर के समाज जैसा ही है लेकिन यहाँ के लोगों को रेलवे स्टेशन बनाने का सपना जिसे पंडित जवाहर लाल नेहरु ने दिखाया आज भी सपना ही बना हुआ है क्यूँ की यहाँ के लोगों को २०-२५ किलोमीटर जंघई स्टेशन से ट्रेन पकडनी पड़ती है | अधिकतर लोग छोटे सफ़र के लिए बसों का इस्तेमाल करते हैं |
मछलीशहर की कुछ तसवीरें जो वहाँ के समाज को दर्शा रही हैं |
Machhlishahr Diyawanath Mahadev Temple |
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