रविवार की शाम को अपने पैतृक निवास जौनपुर से हैदराबाद जाने के दौरान बाबतपुर एयरपोर्ट पर बीएचयू के पूर्व कुलपति एवं वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. लालजी सिंह को हार्ट अटैक आ गया। एयरपोर्ट पर प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने उन्हें बीएचयू के लिए रेफर कर दिया। बीएचयू आईसीयू में इलाज के दौरान डॉ. लालजी सिंह का निधन हो गया।
उनका अंतिम संस्कार सोमवार को जौनपुर स्थित पैतृक गांव कलवारी में किया जाएगा। बीएचयू के कुलपति रहे डॉ. लालजी सिंह को फादर आफ डीएनए फिं गरप्रिंट के नाम से भी जाना जाता था।
लालजी सिंह ने जहां से शिक्षा-दीक्षा ली वहीं उन्होंने अंतिम सांस भी ली। कुलपति के कार्यकाल के दौरान वह मात्र एक रुपये वेतन लिया करते थे। इंटरमीडिएट तक शिक्षा जौनपुर जिले में लेने के बाद उच्च शिक्षा के लिए 1962 में श्री सिंह बीएचयू चले आए थे।
यहां से उन्होंने बीएससी, एमएससी और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। 2004 में उन्हें भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें पद्मश्री से विभूषित किया गया।
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उनका अंतिम संस्कार सोमवार को जौनपुर स्थित पैतृक गांव कलवारी में किया जाएगा। बीएचयू के कुलपति रहे डॉ. लालजी सिंह को फादर आफ डीएनए फिं गरप्रिंट के नाम से भी जाना जाता था।
लालजी सिंह ने जहां से शिक्षा-दीक्षा ली वहीं उन्होंने अंतिम सांस भी ली। कुलपति के कार्यकाल के दौरान वह मात्र एक रुपये वेतन लिया करते थे। इंटरमीडिएट तक शिक्षा जौनपुर जिले में लेने के बाद उच्च शिक्षा के लिए 1962 में श्री सिंह बीएचयू चले आए थे।
यहां से उन्होंने बीएससी, एमएससी और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। 2004 में उन्हें भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें पद्मश्री से विभूषित किया गया।
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