जौनपुर जिसे "शिराज़-ए-हिंद" कहा जाता है आज भी मशहूर है यहाँ के इत्र ,चमेली का तेल, मूली ,ईमारती और मक्के के लिए लेकिन दुःख की बात यह है यह सभी मशहूर चीज़ें आज विलुप्त होने के कगार पे हैं | चमेली का तेल तो एक समय में मुख्या रूप से यहाँ के लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था जो आज शायद ही किसी घर में आपको देखने को मिले |
बनवारी लाल जो इस चमेली के तेल के उध्योग से पिछली दो नस्लों से जुड़े हैं उनका कहना है की एक तो चमेली के फूल की पैदवार कम होती जा रही है दुसरे तिल के कारोबार से जुड़े लोगों को कड़ी मेहनत के बाद भी सही मुनाफा नहीं मिलने से यह कारोबार भी अब खतरे में आ गया है| ऐसे हालात में चमेली का तेल बनाना बहुत मंहगा पड़ने लगा है जिसकी वजह से अब जौनपुर में इसकी खपत ना के बराबर हुआ करती है और लोग इस व्यापार से दूर होते जा रहे हैं | अब जो व्यापारी हैं वो जब इसे बनाते हैं तो इसकी सप्लाई महानगरों में या दुसरे देशों में ही किया करते हैं |
चमेली का फूल एक सुगंन्धित फूल है। इसे अंग्रेजी में जास्मीन कहा जाता है| इसके फूलों की खुशबू सभी के मन को प्रसन्न कर लेती है|चमेली के फूल, पत्ते और जड़ तीनों ही चीज़े औषधीय कार्यों में उपयोग में ली जाती है| यही नहीं इसके फूलों से तेल और इत्र का निर्माण भी किया जाता है। इसकी पत्तियों में भी कई तरह के औषधीय गुण विद्यमान होते हैं। यह आपके दांत, मुंह, त्वचा और आँखों के रोगों में फायदा पहुंचाती है।
अब तो चमेली के तेल बाज़ार में आते हैं उनमे चमेली की खुशबू का इस्तेमाल अधिक हुआ करता है चमेली का इस्तेमाल नहीं होता | इसलिए बाज़ार से अगर आप चमेली का तेल औषधि के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं तो ज़रा देख भाल के इसे खरीदें |
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