शाही पुल पे खड़े हो के गोमती नदी के घाट पे बने मंदिरो की सुंदरता को देखने का अपना ही एक मजा है इस बार सोंचा चलो शाही पुल के किनारे गूलर घाट पे बने "राम जानकी " मंदिर हो लिया जाय और जा पहुंचा अपनी भक्तो की टीम के साथ राम जानकी मंदिर ।
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राम जानकी मंदिर का मुख्य द्वार |
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राम जानकी मंदिर |
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पीपल के पेड़ की जड़ में स्थित सबसे पुरानी मूर्ती |
राम जानकी मंदिर में वहाँ एक नेक दिल बाबा फलहारी महाराज मिले जिन्होंने पूरे मंदिर के बारे में बताया। फलहारी महाराज के अनुसार यह मंदिर सन १८३२ में बना था और इसमें सबसे पुरानी स्थापित मूर्ती अब नहीं है जो चोरी हो गयी ।
यहां राम मंदिर, हनुमान मंदिर और शनि देव का काले रंग का मंदिर मौजूद है जिसके पीछे एक पीपल का पुराना पेड़ है जिसकी जड़ में एक मूर्ती रखी है और उसी को आज सबसे पुरानी मूर्ती माना जाता है । यहां मंदिर में पानी में तैरता पथ्थर है जो रामेश्वरम से लाया गया है और यह वो पथ्थर है जिससे लंका जाने के लिए सेतु बनाया गया था । ध्यान से देखने पे यह मालूम होता है कि यह पथ्थर नहीं बल्कि कोरल है जो इतने बड़े पैमाने में पाये जाते हैं कि उनके इस्तेमाल से तैरता हुआ पुल्ल बनाया जा सकता है ।
काले रंग का शनिदेव का मदिर भी वहीँ किनारे पे है जहां काले रंग के कपडे चढ़ावे के रूप में जो आते है लटके हुए थे ।
मंदिर से बैठ के गोमती का नजारा बहुत सुंदर दिखाई देता है । फलहारी महाराज से मिल के ज्ञान में वृद्धि हुयी।
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मनीष शुक्ला ,मै और रणजीत पाठक जी |
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भक्तो की टीम |
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