जौनपुर। जनपद के एक चिकित्सक ने मानवता की ऐसी मिशाल पेश किया है जो इस आर्थिक युग में मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकीन है। इस चिकित्सक ने एक निर्धन मरीज की जान बचायी। साथ ही दवा, उपचार आदि में खर्च हुये 1 लाख 20 हजार रूपया भी माफ कर दिया। डाक्टर की इस दिलेरी ने उन चिकित्सकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है जो बिना पैसे के मरीजों का उपचार करना तो दूर, हाथ तक नहीं लगाते हैं। मालूम हो कि केराकत कस्बा निवासी इमरान नामक एक युवक के पेट में दर्द की शिकायत माह पूर्व आयी जिस पर उसकी पत्नी उसे पहले स्थानीय सरकारी अस्पताल ले गयी। वहां चिकित्सकों ने हालत गम्भीर देखते हुये जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया। यहां पर चिकित्सकों ने लगभग 15 दिन तक उपचार करने के बाद उसके परिजनों को बताया कि मरीज की आंत फट गयी है तथा इसका आपरेशन करना पड़ेगा। इमरान बहुत ही गरीब था जिसके चलते पैसे का इंतजाम नहीं हुआ तो चिकित्सक ने वाराणसी रेफर कर दिया। परिजन किसी तरह कुछ पैसे का इंतजाम करके बीएचयू ले गये जहां पैसे के अभाव में उपचार नहीं हो सका। मजबूर होकर परिजन उसे वापस जौनपुर लाकर निजी चिकित्सक डा. लाल बहादुर सिद्धार्थ के पास आये और अपनी मजबूरी बयां किये।
डा. सिद्धार्थ ने भगवान का नाम लेकर आपरेशन कर दिया। लगभग 25 दिन बाद मरीज पूरी तरह से ठीक हो गया। अस्पताल से छुट्टी मिलने का भी समय आया तो उसकी सास नजीबुन गांव जाकर जमीन गिरवी रखकर पैसे के इंतजाम में लग गयी। इसकी जानकारी जब चिकित्सक को हुई तो उन्होंने बिना पैसा लिये मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दिये। इस बाबत पूछे जाने पर डा. सिद्धार्थ ने बताया कि जिस समय इमरान हमारे पास आया, उसकी हालत काफी नाजुक थी। बचने की काई उम्मीद नहीं थी लेकिन उसके परिवार के जिद पर आपरेशन कर दिया। इतना ही नहीं, दवा, उपचार में लगने वाले पैसे को अपने पास से दिया। जब यह पूरी तरह से ठीक होने में कुल 1 लाख 20 हजार रूपया लगा। मरीज की सास द्वारा पैसा देने के लिये अपनी जमीन गिरवी रखने का मामला मेरे संज्ञान में आया तो मुझे लगा एक तरफ ये लोग पहले से गरीब हैं। यदि जमीन को गिरवी रख दिये तो ये लोग खाने के मोहताज हो जायेंगे। ऐसे में हमने बिना पैसा लिये मरीज को ठीक करके घर भेज दिया।
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