लेखक अनुराग मिश्रा |
तभी मेरा शरीर ना चाहते हुए बस के उपरी बाडी पे जाकर टकरायी आह पुरा शरीर हिल गया किसी तरह अपने आप को सम्हाला यात्रा बृतान्त लिखते समय मेरी मोबाईल तीन बार गिर चुकी है पुरी यात्रा के समय यही ऊठापटक होती रही बस का एक एक पुर्जा हिल रहा है मेरी ही नही सभी यात्रियो का बुरा हाल है पुरे बस मेँ धुल गर्दा होने के कारण चेहरे को मफलर सेँ बाधना पड़ा आप लोग सोचिए इस बस मेँ जो हमारे बुजुर्ग लोग बैठे होगे उनकी क्या हालत हो रही होगी सोचने की बात है ऐसे रोड पर एम्बुलेश मेँ जो गर्भवती महिलाएँ व मरीज बैठते होगे उनकी क्या हालत होती होगी मेरा तो मानना है कि जौनपुर की सड़को पर मरीज एम्बुलेंश पर बैठने से पहले हार्डाअटैक हो जाता होगा जौनपुर की सभी सड़के पुरी तरह सेँ गड्ढो मेँ तब्दील हो गयी है कोई इसका हालखबर नही लेने वाला ना शासन ना प्रशासन वाह रे देश की सरकारेँ प्रदेश की सरकार नचनियो को ठुमके लगवाने मेँ ब्यस्त है तो बड़की सरकार ओबामा को बुलाकर बिकाश की भोंपू बजवा रही है देश की हालत कितनी खराब है इससे किसी का कोई मतलब नही देश को खजाने को लुटना और जनता को चुसना सत्ता का कर्तब्य बन गया है किसी तरह बचते बचाते शाहगंज पहुचा आगे वाली सीट किसी महोदय ने खाली की तो मैँ जाकर बैठ गया आगे बढ़ने पर देखा तो एक बारात बीच सड़क पर जा रही थी जहां डीजे के फुहड़ गानो के धुन पर नाच रहे थे बस के हार्न बजाने पर कुछ नौजवान बस के बाडी को ठोकने लगे क्यूकि उनके नाचने मेँ बिघ्न जो पड़ गया फिर कुछ जागरुक साथियो ने हाथ दिखाकर बस को आगे बढ़वाया आखिर बाजार आ गया बस सेँ बाहर निकला तो मित्र गाड़ी लेकर खड़ा था कुशल क्षेम पुछा और गाड़ी पर बैठ गया |
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