न हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा इन्सान की औलाद है इन्सान बनेगा । जी हा कुछ ऐसा ही पाठ पढाया जाता है , जौनपुर के एक मदरसे में । यहा करीब आधे बच्चे हिन्दू पढ़ने आते है जो पढ़ते है अरबी , फारसी , व उर्दू और नाथ शरीफ वही मुसलिम बच्चे फर्राटे है संस्कृत व गणेश श्लोक , एक छत के नीचे हिन्दू , मुसलिम संस्कृति का संगम देखकर एैसा लगता मानो यहा सौ साल पुराना मानव का निर्माण हो रहा है।

मदरसा अनवारूल के प्रधानाचार्य, मोहम्मद सियाकत ने बताया कि करीब 500 छात्र-छात्राओं को तालीम दे रहे इस मदरसे में 16 शिक्षक पढ़ाते है जिनमें 6 हिन्दू है। शिक्षक यहां छात्र-छात्राओं को एक अच्छा देश का नागरिक बनाने में दिन रात मेहनत करते है। उनका कहना है कि यहांॅ कोई भेद-भाव नहीं किया जाता है।
इस मदरसे की जमीन एक ब्राहम्ण परिवार से मदरसे की कमेटी ने खरीदी थी कमेटी का मकसद साफ था, उनके मदरसे से पढ़ कर जब बच्चा बाहर जाये तो न सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल बने बल्कि पूरी मानवता की सेवा करें शायद यही वजह है कि आस-पास तीन और विद्यालय चलते है बावजूद इसके उन विद्य़ालयों में छात्रों की संख्या नाम मात्र है। जबकि इस आधुनिक व सौ साल पहले भारत की तस्वीर पेश कर रहे हैं, मदरसें में छात्रों की संख्या में इजाफा ही होता जा रहा है।
अगर वाक़ई हिन्दू-मुस्लिम में फर्क मिटाने की तालीम दी जा रही है.तो अच्छा काम हो रहा है.
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