जौनपुर आने पे मै अक्सर यहा के लोगो से यू ही मिला जुला करता हू जिस से मै उन्हे समझ सकू | क़रीब से देखने पे समझ मे आया यहा जब कोई ग्रुप किसी खास मक़्सद के लिये बनता है तो पूरा ग्रुप घन्टो बात करने के बाद भी किसी नतीजे पे नही पहुच पाता जिसका कारण सभी का खुद को सबसे अधिक अक़्ल्मन्द समझना और किसी एक को लीडर ना मानना हुआ करता है | मशहूर है ना कि जिस समूह मे "जने जने ठाकूर " हो या हर मेम्बर अलमबर्दार बन जाय तो समूह या तो टूट जाता है या फिर मक़्सद से हट जाता है |
मेरा मक़्सद जौनपुर को विश्वपटल पे एक पहचान दिलाना और दुनिया को इसके बारे मे और यहा की प्रतिभाओं के बारे मे बताना था जिसे मै कामयाबी के साथ पूरा करता चला आ रहा हू क्यू कि मैने यह काम अकेले ही शुरू किया था और इस राह पे उन लोगो का सहयोग मिलता गया जिन्हे जौनपुर से प्रेम था और ठकुरयी करने वाले मुझसे दूर ही रहे या अगर पास आये तो जल्द चले भी गये |
धन्यवाद उनका जो अपने वतन से प्रेम के कारण मुझसे जुडे और एक बडा काफिला वतन प्रेमियो का बनाते गये |
एस. एम मासूम
संचालक
हमारा जौनपुर डॉट काम
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