मामूल हो कि करीब दो वर्ष पूर्व जाम के चलते तत्कालिन जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने खरका तिराहे पर स्थित एआरटीओ कार्यालय को हटाने का आदेश दिया था। उस समय आसपास कही मकान न मिलने के कारण तथा सत्ता पक्ष के एक नेता के दबाव में सिटी स्टेशन के पास लाइन बाजार थाने का हिस्ट्रीशीटर बाला लखंदर यादव के घर में कार्यालय स्थापित कर दिया गया । कार्यालय सिटी स्टेशन के पास स्थापित होते ही मकान मालिक के गुर्गे और स्थानीय अराजकतत्व सक्रिय हो गये। वे लोग आये दिन कर्मचारियों अधिकारियो से मारपीट और गाली गलौज देने लगे। वहां पर आने वाले वाहन स्वामियों के साथ बदसलूकी तो आम बात हो गयी थी। हालत इतने खराब हो गये थे कि आम आदमी वहां जाने से डरता था। इन अराजक तत्वो के ऊपर एक सत्ता पक्ष के बड़े नेता का हाथ होने के कारण पुलिस उन पर हाथ डालने से कतराती थी।
जब यह सारा मामला डीएम भानुचंद्र गोस्वामी के कानो तक पहुंची तो उन्होने तत्काल वहां से दफ्तर हटाने का आदेश जारी कर दिया। डीएम आदेश मिलते ही अधिकारी कर्मचारी कार्यालय के लिए भवन की तलास शुरू कर दिया उधर अराजक तत्व और मकान मालिक कार्यालय को रूकवाने के लिए नेता मंत्रियों के पास सिफारिश शुरू कर दिया लेकिन डीएम के आगे उनका सारी मेहनत बेकार ही साबित हुआ।
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